सभी सिविल सर्विस अभ्यर्थियों हेतु श्रेष्ठ स्टडी मटेरियल - पढाई शुरू करें - कर के दिखाएंगे!
जलवायु विज्ञान भाग - 2
7.0 जल एवं थल समीर और मानसून
वास्तव में थल समीर और जल समीर छोटे स्तर पर मानसून ही होते हैं। ये दोनों भूमि और समुद्र के भिन्न-भिन्न उष्मन के कारण होती हैं। पहली दैनिक लय में होती है, जबकि दूसरी मौसमी लय में होती है।
दिन के समय भूमि समुद्र की तुलना में अधिक शीघ्रता से गर्म हो जाती है। गर्म हवा ऊपर की ओर उठती है, जिसके कारण एक स्थानीय कम दबाव का क्षेत्र निर्मित हो जाता है। समुद्र तुलनात्मक दृष्टि से ठंडा रहता है, जहां एक उच्च दबाव का क्षेत्र होता है, और जल समीर समुद्र से भूमि की ओर प्रवाहित होने लगती है। इसकी गति या शक्ति 5 से 20 मील प्रति घंटे की होती है, और यह कटिबंधीय क्षेत्रों में भूमध्यसागरीय क्षेत्रों की तुलना में अधिक शक्तिशाली होती है। इसका प्रभाव आमतौर पर तटीय क्षेत्र से 15 मील से अधिक के क्षेत्र में नहीं होता। इसकी अनुभूति विशेष रूप से तब अधिक होती है जब हम तटीय क्षेत्र में समुद्र की ओर मुँह करके खडे़ होते हैं।
रात्रि में स्थिति इसके ठीक विपरीत होती है। चूंकि भूमि समुद्र की तुलना में अधिक शीघ्रता से ठंडी है, अतः ठंडी और भारी हवा स्थानीय उच्च दबाव का क्षेत्र निर्मित करती है। समुद्र अपनी ऊष्मा को धारण किये रहता है, और यह काफी गर्म बना रहता है। इसका दबाव अपेक्षाकृत कम होता है। इस प्रकार एक थल समीर भूमि से समुद्र की ओर प्रवाहित होती है। कटिबंधीय क्षेत्रों के मछुवारे आमतौर पर बाहर जाने वाली थल समीरों का लाभ उठाते हैं, और इनके साथ नौवहन करते हैं। अगले दिन वे अंदर आती जलसमीरों के साथ नौवहन करते हुए वापस आते हैं, जिसमें उनके साथ उनकी संपूर्ण मछलियों की पकड़ भी होती है।
इसी प्रकार से मानसून की भी निर्मिति होती है। उदाहरणार्थ भारत के अधिकांश भागों में गर्मी के मौसम की तेज गर्मी गर्म हवा को ऊपर उठने के लिए प्रेरित करती है। आसपास के महासागरों का दक्षिण पश्चिम मानसून निम्न दबाव के भूमिगत क्षेत्रों की ओर आकर्षित होता है और प्रवाहित होता है, जो उप-महाद्वीप में भारी वर्षा में परिणामित होता है।
इसी प्रकार सर्दियों के मौसम के दौरान जब भूमि ठंड़ी रहती है, आसपास के समुद्र तुलनात्मक दृष्टि से गर्म बने रहते हैं। भारत-पाकिस्तान के क्षेत्र पर उच्च दबाव का क्षेत्र निर्मित हो जाता है, और उत्तर पूर्वी मानसून महाद्वीप से हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में प्रवाहित हो जाता है।
7.1 फोहन पवन या चिनूक पवन
फोहन पवन और चिनूक पवन दोनों शुष्क हवाएँ होती हैं जिनकी अनुभूति पर्वतों के अनुवात की ओर तब होती है जब नीचे आती हुई हवा बढ़ते दबाव के कारण संपीड़ित हो जाती है। फोहन पवन उत्तरी आल्प की घाटियों में विशेष रूप से वसंत के मौसम में स्विट्ज़रलैंड़ में अनुभव की जाती हैं, जबकि चिनूक पवन सर्दियों के मौसम में अमेरिका और कनाड़ा के रॉकीज़ के पूर्वी-ढ़ालों में अनुभव की जाती हैं। आल्प्स पर्वतों के दक्षिणी ढ़ालों से ऊपर की ओर उठने वाली हवा फैलती है और ठंडी हो जाती है। हवा जब संतृप्त होती है, तो संक्षेपण होता है और ऊंचे ढ़ालों पर वर्षा, और यहां तक कि हिमपात भी होता है।
उत्तरी ढ़ालों से नीचे आते हुए हवा को दबाव और तापमान में वृद्धि का अनुभव होता है। हवा संपीड़ित और गर्म हो जाती है। इसकी अधिकांश आर्द्रता नष्ट हो जाती है, और जब हवा घाटी के निचले स्तर तक पहुंचती है, तो यह पूर्ण रूप से शुष्क और गर्म होती है - फोहन। यह एक घंटे के अंदर तापमान में 15 से 30 अंश फेरनहाइट तक की वृद्धि कर सकती है! यह बर्फ को पिघलाती है और हिमस्खलनों का कारण भी बन सकती है। उत्तरी अमेरिका में इसे चिनूक कहते हैं, जिसका अर्थ है ‘‘बर्फ को खाने वाली‘‘। इन हवाओं का एक लाभ यह है कि ये फसलों और फलों की वृद्धि को बढ़ाती हैं और बर्फाच्छादित चरागाहों की बर्फ को पिघलाती है। रॉकीज़ में चिनूक 15 मिनट के अंदर तापमान में 35 अंश फेरनहाइट तक की वृद्धि करती है! आवर्ती चिनूक हवाओं की उपस्थिति का अर्थ होता है कि सर्दी का मौसम मध्यम स्तर का होगा।
8.0 चक्रवाती गतिविधि (Cyclonic Activity)
कटिबंधीय चक्रवात, आँधियाँ, तूफान और बवंडर विभिन्न प्रकार के कटिबंधीय चक्रवात होते हैं। वे अच्छी तरह से विकसित निम्न दबाव के तंत्र होते हैं जिनमें भीषण हवाएँ प्रवाहित होती हैं। आँधियाँ (typhoons) चीनी समुद्र में अक्सर होती हैं; कटिबंधीय चक्रवात (tropical cyclones) हिंद महासागर में होते हैं; तूफान कैरेबियाई वेस्ट इंडियन द्वीपों में होते हैं; बवंडर (tornadoes) पश्चिमी अफ्रीका की गिनी और दक्षिणी अमेरिका में होते हैं जिनमें तूफान को स्थानीय नाम है, और विली-विली उत्तर पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में होते हैं।
8.1 तूफान
तूफान मुख्य रूप से भूमध्यरेखा से 6 से 20 अंश उत्तर और दक्षिण के बीच होते हैं, और इनकी आवृत्ति जुलाई से अक्टूबर के बीच अधिक होती है। स्वरुप में वे शीतोष्ण चक्रवातों से छोटे होते हैं और उनका व्यास केवल 50 से 200 मील होता है, परंतु इसका दबाव ढाल अधिक खड़ा होता है। इनके दौरान 100 मील प्रति घंटे से तेज गति से चलने वाली हवाएँ आम हैं। आसमान बादलों से आच्छादित होता है और इस दौरान गरज और चमक के साथ भारी वर्षा भी होती है। तूफान के मद्देनजर क्षति व्यापक स्तर पर होती है, उदाहरणार्थ, 1922 में हुए एक तूफान के दौरान स्वतोव के तट पर इतनी विशाल लहरें उठी थीं कि इनमें 50,000 लोग डूब गए थे।
8.2 बवंडर
बवंडर छोटे किंतु अत्यधिक भयंकर कटिबंधीय और उपकटिबंधीय चक्रवात होते हैं जिनमें हवा 500 मील प्रति घंटे से भी अत्यधिक अधिक गति से घूमती है ! बवंडर एक अँधेरे कीप बादल के रूप में प्रतीत होता है जिसका व्यास 250 से 1,400 फुट होता है। जब एक बवंडर किसी क्षेत्र से गुजरता है, तो यह ऐंठता हुआ और मुडता हुआ गुजरता है, जिसके परिणामस्वरूप यह रास्ते में आने वाली हर वस्तु का पूर्ण नाश कर देता है। दबाव में इतना विशाल अंतर होता है कि मकानों में लगभग विस्फोट होते हैं। बवंडर अक्सर वसंत के दौरान अधिक होते हैं, परंतु ये अनेक देशों में सामान्य रूप से नहीं पाये जाते, और इनके विनाशकारी प्रभाव कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित होते हैं। बवंडर अमेरिका में काफी आम हैं और मुख्य रूप से मिसिसिप्पी द्रोणिका में होते हैं।
8.3 चक्रवात
चक्रवात अवसाद के नाम से अधिक प्रसिद्ध हैं, और ये शीतोष्ण अक्षांशों तक ही सीमित हैं। इसका न्यूनतम दबाव इसके मध्य और समताप रेखा में होता है, और जैसे कि जलवायु मानचित्रों में दिखाया गया है वे एक दूसरे के काफी निकट होती हैं। अवसादों का दायरा 150 से 2,000 मील के बीच हो सकता है।
वे काफी स्थिर रहते हैं या एक दिन में अनेक मील भी जा सकते हैं। चक्रवात के आने की सूचना आमतौर पर वायुदाबमापी को देखने से हो सकती है, जिसपर आंकड़ा काफी गिरा हुआ दिखाई देता है, आसमान काफी उदास हो जाता है, विरोधी हवा और तेज आंधियों से वातावरण भर जाता है। वर्षा या हिमपात होता है, और मौसम आमतौर पर काफी खराब हो जाता है। हवाएँ निम्न दबाव के क्षेत्रों के मध्य में में अंदर की ओर प्रवाहित होती हैं, जिनका घूर्णन उत्तरी गोलार्द्ध में वामावर्त होता है, और दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त होता है। चक्रवाती गतिविधि के दौरान होने वाली वर्षा गर्म कटिबंधीय हवा और ठंडी ध्रुवीय हवा के अभिसरण के कारण होती है। मोर्चे विकसित हो जाते हैं और संक्षेपण होने लगता है, जिसके कारण या तो वर्षा होती है, बर्फ या ओले के साथ वर्षा होती है।
अन्य कटिबंधीय चक्रवातों की विशेषतायें भी इन्हीं के समान होती हैं, और इनमें अंतर केवल सघनता, अवधि स्थान है। तूफानों का केंद्र शांत, और वर्षाविहीन होता है, जहां दबाव न्यूनतम (लगभग 965 एम बी) होता है, परंतु इसकी ‘‘आँख‘‘ के आसपास हवा की गति बोफोर्ट पैमाने के 12 बल (75 मील प्रति घंटा) से अधिक होती है। काले घने बादल जमा हो जाते हैं, और चक्रवाती हिंसक मौसम कई घंटे तक बना रहता है। 1780 में वेस्ट इंडीज के बारबाडोस में एक भयंकर तूफान आया था, जिसने लगभग संपूर्ण द्वीप को नष्ट कर दिया था, मकान धराशाही हो गए थे, और वृक्ष जड़ों से उखड़ गए थे। इसमें लगभग 6,000 निवासियों की मृत्यु हुई थी।
8.4 प्रतिचक्रवात (anticyclones)
प्रतिचक्रवात चक्रवातों के विपरीत होते हैं, जिनमें मध्य में उच्च दबाव होता है, और समताप रेखाएं दूर-दूर होती हैं। दबाव का ढ़ाल सौम्य होता है और हवाएँ हल्की होती हैं। प्रतिचक्रवात अक्सर अच्छे मौसम का आगाज होते हैं। आसमान साफ होता है, हवा शांत होती है, और तापमान गर्मी में उच्च और सर्दी में न्यून होता है। सर्दियों में निचले वायुमंडल के अत्यधिक ठंडा होने के कारण घना कोहरा हो सकता है। प्रतिचक्रवाती स्थिति कई दिन या कई हतों तक बनी रह सकती है, और फिर यह शांति से निकल जाती है। प्रतिचक्रवातों के दौरान हवा बाहर की ओर प्रवाहित होती है, और यह मुड़ भी सकती है, परंतु उत्तरी गोलार्द्ध में हवा दक्षिणावर्त दिशा में प्रवाहित होती है, जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में वामावर्त दिशा में प्रवाहित होती है।
9.0 जलवायु का वर्गीकरण
9.1 जलवायु वर्गीकरण के प्रारंभिक प्रयास
प्राचीन यूनानियों द्वारा किये गए जलवायु वर्गीकरण के प्रयास तर्क आधारित होते थे, और इनका परिणाम पारमेनीडेस के तीन प्रमुख जलवायु क्षेत्रों की पहचान में हुआ - ठंडा क्षेत्र, शीतोष्ण क्षेत्र और उष्ण कटिबंध क्षेत्र। इसके बाद अन्य जलवायु वर्गीकरण योजनाएं बनी, जिनमें हिप्परकस का वर्गीकरण भी शामिल था जिसने पारमेनीडेस वर्गीकरण में विशिष्ट स्थान के दिन की लंबाई की जानकारी को भी शामिल किया। जलवायु का तर्क आधारित वर्गीकरण तब तक जारी रहा जब तक जलवायु दर्ज करने के उपकरणों का प्रादुर्भाव नहीं हो गया था।
9.2 जलवायु वर्गीकरण का शास्त्रीय युग
कोपेन की संशोधित जलवायु वर्गीकरण प्रणाली गणना करने के लिए मासिक तापमान और वर्षा का उपयोग करती है जिनपर वर्गीकरण योजना आधारित होती है। कोपेन ने पांच मुख्य जलवायु समूह चिन्हित किये थे - ए (कटिबंधीय), बी (शुष्क), सी (मेसोथर्मल या मध्य अक्षांश सौम्य), डी (माइक्रोथर्मल या मध्य अक्षांश ठंडी), और ई (ध्रुवीय)। आमतौर पर ए, सी और डी प्रकार की जलवायु वृक्षों के विकास का समर्थन करती हैं, जबकि बी और ई प्रकार की जलवायु वृक्षों के विकास का समर्थन नहीं करती, क्योंकि ये या तो क्रमशः अत्यधिक शुष्क या अत्यधिक ठंडी होती हैं।
ए, सी और डी प्रकार की जलवायु के मामले में द्वितीय क्रम के उपवर्गीकरण का संबंध वर्षा के मौसम तत्व से होता है (जहां ‘‘एफ‘‘ ऐसी जलवायु का प्रतिनिधित्व करता है जो संपूर्ण वर्ष भर गीली रहती है, ‘‘एस‘‘ गर्मी की शुष्क जलवायु का प्रतिनिधित्व करता है, ‘‘डब्लू‘‘ सर्दियों की शुष्क जलवायु का प्रतिनिधित्व करता है, और ‘‘एम‘‘ कटिबंधीय मानसून जलवायु का प्रतिनिधित्व करता है) बी जलवायु के लिए द्वितीय क्रम का उपवर्गीकरण ‘‘एस‘‘ है, यदि शुष्क जलवायु अर्द्ध शुष्क है, और ‘‘डब्लू‘‘ है यदि जलवायु पूर्ण रूप से मरुस्थलीय है। ‘‘ई‘‘ जलवायु के मामले में ‘‘टी‘‘ ध्रुवीय जलवायु के सौम्य टुंड्रा उपवर्गीकरण का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि ‘‘एफ‘‘ या उपयोग बर्फ की टोपी वाले उपवर्ग का प्रतिनिधित्व करने के लिए किया जाता है।
मेसोथर्मल और माइक्रोथर्मल जलवायु के लिए तृतीय क्रम उपवर्गीकरण गर्मियों के तापमान की विशेषताओं की पहचान करने के लिए किया जाता है, जिसमें ‘‘ए‘‘ अत्यधिक गर्मी वाली गर्मियों का प्रतिनिधित्व करता है, ‘‘बी‘‘ का उपयोग कम गर्म गर्मियों के प्रतिनिधित्व के लिए किया जाता है, ‘‘सी‘‘ माध्यम गर्मी को दर्शाता है, और दुर्लभ ‘‘डी‘‘ का उपयोग ठंडी गर्मियों के प्रतिनिधित्व के लिए किया जाता है। शुष्क जलवायु में तृतीय क्रम के ‘‘एच‘‘ और ‘‘के‘‘ उपवर्गीकरण भी हैं जिनका उपयोग ‘‘गर्म‘‘ या ‘‘ठन्डे‘‘ शुष्क या अर्ध शुष्क क्षेत्रों के वर्गीकरण के लिए किया जाता है।
थार्नथ्वेट का जलवायु वर्गीकरण केवल वर्षा और तापमान के आंकड़ों के बजाय स्थानीय आर्द्रता और तापमान के भौतिक संपर्क पर विकसित किया गया है। यह स्थानीय सतही जल संतुलन की अधिक परिष्कृत और संक्षिप्त योजना पर आधारित है। थार्नथ्वेट ने आवश्यक जलवायु तत्वों के परिणाम निर्धारित करने के लिए अनेक विशिष्ट सूचकांकों का अविष्कार किया था, जिसमें किसी स्थान का आर्द्रता सूचकांक (एम आई), और सम्भाव्य वाष्पोत्सर्जन (पी ई) शामिल है। थार्नथ्वेट ने तापमान के साथ परिकलित वाष्पोत्सर्जन मूल्य के अनुपात के एक तापीय दक्षता सूचकांक (टी/ई टी) को भी व्युत्पन्न किया था, साथ ही वर्ष के जल न्यून और जल आधिक्य अवधियों की पहचान के लिए एक शुष्कता सूचकांक और आर्द्रता अूचकांक को भी व्युत्पन्न किया था।
9.3 अन्य वैश्विक वर्गीकरण प्रणालियां
होल्ड्रिज़ की जीव क्षेत्र जलवायु वर्गीकरण प्रणाली का उद्देश्य एक वैश्विक अनुप्रयोग का था परंतु इसका अत्यधिक व्यापक प्रयोग कटिबंधीय क्षेत्रों में ही किया गया जहां यह पारिस्थितिकी और ऊंची पहाड़ियों के अनुप्रयोगों में काफी उपयोगी सिद्ध हुई है। बुड़ीको जलवायु वर्गीकरण प्रणाली जलवायु वर्गीकरण के लिए एक ऊर्जा बजट दृष्टिकोण का उपयोग करती है।
9.4 जननिक वर्गीकरण
इसमें रणनीति यह है कि जलवायु का वर्गीकरण केवल उन मुख्य जोर देने वाले तत्वों पर आधारित है जो जलवायु को जैसी वह है वैसी बनाते हैं। स्वीडिश मौसम वैज्ञानिक टोर बर्गेरों द्वारा 1928 में प्रतिपादित की गई बर्गेरों जलवायु वर्गीकरण प्रणाली एक प्रारंभिक आधुनिक जननिक जलवायु वर्गीकरण प्रणाली है। यह प्रणाली किसी विशिष्ट स्थान की जलवायु का वर्गीकरण किन्ही विशिष्ट प्रकार के मौसम के वर्चस्व की आवृत्ति के मानवी और कुछ हद तक व्यक्तिपरक निर्धारण के आधार पर करती है।
9.5 वायु राशि और अग्रांत (fronts)
बजेर्कनेस मॉड़ल ने सतही चक्रवात क्षेत्रों का वर्गीकरण किया, और उन्हें विशिष्ट क्षेत्रों में ऐसी दबाव विशेषताओं के साथ संबंधित किया जिसका प्रत्येक क्षेत्र एक विशिष्ट प्रकार की मौसम विशेषताओं को परिलक्षित करता है। वायु राशि हवा का एक ऐसा समूह है जिसकी विशेषतायें सैकडों हजारों किलोमीटर अंतरों पर भी सापेक्ष रूप से समान हैं, इसकी विशेषतायें मुख्य रूप से उस क्षेत्र के अनुरूप होती हैं जहां उस वायु राशि की उत्पत्ति हुई है - अर्थात स्रोत क्षेत्र।
वायु राशि प्रकारों में निम्न घटक शामिल हैंः अत्यधिक ठंडा और शुष्क आर्कटिक (ए) प्रकार य कुछ हद तक गर्म और अधिक आर्द्र ध्रुवीय (सीपी) य ठंडा, उमस भरा समुद्री ध्रुवीय (एमपी) य गर्म, उमस भरा समुद्री कटिबंधीय (एमटी), गर्म, शुष्क महाद्वीपीय कटिबंधीय (सीटी), और भूमध्यरेखा से उत्पन्न ‘‘ई‘‘ वायु राशि - जो एमटी प्रकार का एक अधिक चरम संस्करण है। एक ठंडा अग्रांत ऐसी स्थिति का प्रतिनिधित्व करता है जहां ठंडी वायु राशि गर्म वायु राशि को उसकी उत्पत्ति के क्षेत्र की ओर वापस धकेलती है, जहां एक गर्म वायु राशि ठंडी वायु राशि को ध्रुव की ओर प्रतिस्थापित कर रही है।
एक स्थिर अग्रांत में ठंडी और गर्म वायु रशियन अस्थायी रूप से गतिरोध में हो सकती हैं, जहां कोई भी वायु राशि दूसरी को पीछे की ओर नहीं धकेलती। एक ठंडा अग्रांत और गर्म अग्रांत आमतौर पर एक मध्य अक्षांश लहर चक्रवात के न्यून दबाव के क्षेत्र में उत्पन्न होता है। जब एक मध्य अक्षांश तरंग चक्रवात कुछ दिनों तक पूर्व की दिशा में चला जाता है, तो ठंडा अग्रांत चक्रवाती केंद्र के निकट गर्म अग्रांत के बराबर आने का प्रयास करेगा, जहाँ दोनों अग्रांत एक दूसरे के सबसे निकट होंगे, तो इसका परिणाम एक अवरोधित अग्रांत में होगा।
9.6 स्थानीय और क्षेत्रीय वर्गीकरण
लैंब मौसम प्रकार और मुलर मौसम प्रकार मध्य अक्षांश तरंग चक्रवात मॉडल पर आधारित हैं। ये मानव.त प्रणालियां हैं - इसका अर्थ यह है कि अनुसंधानकर्ता ने एक दिए गए दिन के लिए मौसम मानचित्र की उसकी व्याख्या के आधार पर इन प्रकारों का व्यक्तिपरक वर्गीकरण किया है।
जलवायु प्रकार के निर्धारण के मात्रात्मक विश्लेषणः ऐजेन्वेक्टर का वर्गीकरण दो विभिन्न समूहों को प्रभावित करने वाली वस्तुओं के बीच संबंध स्थापित करने के एकसाथ विश्लेषण के लिए उपयोगी है (जैसे स्थानिक डेटा बिंदु, समय के अनुसार वायुमंडलीय चरों का पर्यवेक्षण, या वायुमंडलीय चारों का पर्यवेक्षण) सामान्य अवलोकन टंकन में ऐजेन्वेक्टर के विश्लेषण का उपयोग इस प्रकार किया जा सकता है जिसके द्वारा वायुमंडलीय चर संयुक्त रूप से उन विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं जो अत्यधिक प्रभावी हैं, और समय की उस अवधि के लिए जहां उन्ही विशेषताओं वाला वायुमंडल दिखाई देता है, उसे उसी प्रकार के भाग के रूप में प्रदर्शित किया जाता है।
सामूहिक विश्लेषणः किसी भी आईगनवेक्टर विश्लेषण में वास्तविक वर्गीकरण प्रक्रिया तब आती है जहाँ लोडिंग के मैट्रिक्स या अंकों का (जो आमतौर पर अस्थायी भिन्नता का प्रतिनिधित्व करते हैं) सामूहिक विश्लेषण किया जाता है। अनेक प्रकार के सामूहिक विश्लेषण का उपयोग किया जा सकता है, जहाँ प्रत्येक विश्लेषण भिन्न-भिन्न वर्गीकरण परिणाम प्रदान करता है, परंतु सभी का लक्ष्य एक ही है, वह है समूह का चयन करना है, ताकि समूह के अंदर बिन्दुओं के बीच का एन आयामी अंतर न्यूनतम हो जाए।
संकर तकनीकः मोटे तौर पर इन तकनीकों के लिए अन्वेषक को अन्य सभी दिनों (या महीनों के लिए, यदि मासिक मध्य डेटा का उपयोग किया गया है) के वर्गीकरण के लिए उपयोग किये गए ‘‘प्रोटोटाइप‘‘ वायुमंडलीय संचरण की मानव आधार पर कम्प्यूटरीकृत समूह विश्लेषण के साथ पहचान स्वचालित, तुरंत और कुशलता पूर्वक समूह में प्रोटोटाइप दिन (या महीने) के साथ करना आवश्यक है, जो संबंधित दिन (या महीने) का मौसम मानचित्र दर्शाता है।
COMMENTS