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विश्व की संवैधानिक प्रणालियां
1.0 प्रस्तावना
‘‘यदि पुरुष स्वर्गदूत होते तो किसी सरकार की आवश्यकता नहीं होती। यदि स्वर्गदूत पुरुषों को नियंत्रित करते, तो सरकारों पर किसी बाहरी और आंतरिक नियंत्रण की आवश्यकता नहीं होती। पुरुषों द्वारा पुरुषों पर प्रशासन किये जाने में सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि पहले सरकार को अपने शासन द्वारा नियंत्रण रखने के लिए सक्षम होना चाहिए; और अगला कदम यह कि खुद को भी नियंत्रित करना होगा।‘‘
उपरोक्त कथन एक देश के लिए संविधान के महत्व और जरूरत को परिभाषित करता है। संविधान एक देश का सर्वोच्च कानून है और उन मौलिक सिद्धांतों को दर्शाता है, जिन पर देश की सरकार और प्रशासन प्रणाली आधारित होती है।
संविधान, मौलिक सिद्धांतों या स्थापित प्रथाओं का एक समूह है, जिनके अनुसार एक राज्य या संस्था शासित होती है। ये सभी नियम मिलकर वह इकाई बनाते हैं।
एक देश के संविधान को वैश्विक परिवर्तनों के साथ तालमेल रखने के लिए खुद को बदलने की जरूरत होती है। इस संबंध में तुलनात्मक विश्लेषण का काफी महत्व है। हालांकि, इस तरह के विवरण में जाने से पहले दुनिया की विभिन्न राजनीतिक व्यवस्थाओं पर एक सरसरी निगाह डालने की जरूरत है।
2.0 विश्व की राजनीतिक व्यवस्थाएं
आज दुनिया के विभिन्न भागों में विभिन्न राजनीतिक व्यवस्थाएं प्रचलित हैं, जिनमें प्रमुख हैंः
- तानाशाही - जिसमें शासक एक तानाशाह होता है, (जो संविधान या कानून या विपक्ष द्वारा प्रतिबंधित व नियंत्रित नहीं होता है)
- लोकतंत्र - इसमें सरकार, या तो सीधे आमजनों, या उनके द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम, से चलाई जाती है।
- गणतंत्र - यह लोकतंत्र से थोड़ा अलग है और सर्वोच्च सत्ता नागरिकों में निहित होती है जो मतदान के अधिकार का प्रयोग करते हैं, और यह निर्वाचित अधिकारियों और जिम्मेदार प्रतिनिधियों द्वारा, कानून के अनुसार संचालित एक सरकार होती है।
- अराजकता - जहां सरकार अनुपस्थित होती है। अराजकता में कोई कानून या सर्वोच्च सत्ता नही होती है; यह समाज में कानून व्यवस्था ना होने व राजनीतिक भ्रम की अवस्था है।
विभिन्न समाज अपनी स्थितियों और परिस्थितियों के अनुसार एक शासन प्रणाली विकसित कर लेते हैं।
3.0 विभिन्न लोकतांत्रिक देशों के संविधानों के प्रमुख विशेषताएं
3.1 अमेरिका का संविधान
संयुक्त राज्य अमेरिका, पचास राज्यों और एक संघीय जिले से मिलकर बना एक संघीय गणराज्य है। इसके संविधान की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैंः
- अमेरीका में लोकतंत्र की राष्ट्रपति प्रणाली है। यहां राष्ट्रपति ही सरकार व राज्य, दोनों का प्रमुख होता है।
- यह अलग-अलग राज्यों के प्रारंभिक समझौतों से उभरा एक संघीय राज्य है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका में, संविधान “राजा“ है। संविधान द्वारा स्थापित तंत्र के माध्यम से पारित कानून ही वैध है। इसके अलावा जो कानून, संविधान द्वारा स्थापित सीमाओं, संरचनाओं या सिद्धांतों के साथ असंगत होता है, उसे अवैध माना जाता है।
- अमेरिका के संविधान की एक अन्य प्रमुख विशेषता, शक्तियों का विभक्तिकरण, नियंत्रण और संतुलन है। अमेरिका की संवैधानिक योजना में स्पष्ट शक्ति विभाजन निहित है। इसके निर्माता, स्वतंत्रता के संरक्षण की आवश्यकता के साथ, नए संविधान द्वारा व्यवस्था की स्थापना भी अच्छी तरह चाहते थे।
3.2 ब्रिटेन का संविधान
आमतौर पर ग्रेट ब्रिटेन के यूनाइटेड किंगडम व उत्तरी आयरलैंड़ को यूनाइटेड किंगडम (यू.के.), और ब्रिटेन के नाम से जाना जाता है। यह एक संप्रभु देश है, जो यूरोप महाद्वीप के उत्तर पश्चिमी तट पर स्थित है। इस देश में ग्रेट ब्रिटेन द्वीप, आयरलैंड के द्वीप के उत्तर पूर्वी भाग और कई अन्य छोटे द्वीप भी शामिल हैं।
ब्रिटेन में सरकार एक संसदीय प्रणाली के साथ एक संवैधानिक राजशाही है, और इसकी राजधानी लंदन हैं। इसमें इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड - यह चार देश हैं। इसके संविधान की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैंः
- यहां संविधान, सरकार की शक्तियों और व्यक्तियों के अधिकारों को परिभाषित करने के लिए एक ही दस्तावेज के रूप में “लिखित“ नहीं है। संवैधानिक कानून के कई स्त्रोत लिखित हैं व कई अ-कानूनी नियमों के साथ मिलकर ब्रिटिश सरकार बनाता है।
- इनका संविधान लचीला और विकास की निरंतरता पर आधारित है।
- एक लिखित संविधान जिसका दर्जा मौलिक/सर्वोच्च कानून का हो, के अभाव में संसदीय संप्रभुता।
- यहां कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों का कोई स्पष्ट विभक्तिकरण मौजूद नहीं है, यद्यपि कार्यों के विभाजन की अवधारणा, संविधान के तहत महत्व बरकरार रखती है।
- यूनाइटेड किंगडम एक संवैधानिक राजशाही है।
- ब्रिटेन, एक संघीय राज्य के विपरीत एक एकात्मक देश है।
- यहां विधायिका, प्रकृति में द्विसदनीय है।
- यहां न्यायपालिका स्वतंत्र है।
3.3 फ्रांस का संविधान
फ्रांस, ज्यादातर पश्चिमी यूरोप के भाग में स्थित एक एकात्मक अर्ध-राष्ट्रपति गणतंत्र है। फ्रांस के वर्तमान संविधान को 4 अक्टूबर 1958 को अपनाया गया था। आमतौर पर इसे पांचवें गणतंत्र का संविधान कहा जाता है और इसे 1946 से लागू चौथे गणराज्य के स्थान पर लागू किया गया। तब से यह संविधान अठारह बार संशोधित हुआ, व हाल ही में 2008 में किया गया। इस संविधान की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैंः
- संविधान की उद्देशिका 1789 के मानव व नागरिक के अधिकारों की घोषणा को याद करते हुए फ्रांस को एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश के रूप में स्थापित करती है जिसकी संप्रुभता जनता से प्राप्त की गई है।
- संविधान राष्ट्रपति व संसद के चुनाव, सरकार के चयन, व इन सबकी शक्तियों व आपसी संबंधों का प्रावधान करता है।
- यहां न्यायिक अधिकार और उच्च न्यायालय (राष्ट्रपति पर निर्णय देने हेतु बनाया न्यायालय जो आजतक इस्तेमाल नहीं हुआ), को सुनिश्चित किया जाता है। इसमें एक संवैधानिक परिषद, एक आर्थिक और एक सामाजिक परिषद होती है, जो एक राजनीतिक रूप से मजबूत राष्ट्रपति बनाने के लिए बनाई गई होती है।
- यह अंतर्राष्ट्रीय संधियों के अनुसमर्थन और यूरोपीय संघ से जुड़ी संधियों को सक्षम बनाता है।
- यह संविधान स्वयं के संशोधन के तरीकों के रूप में, जनमत संग्रह द्वारा या राष्ट्रपति की सहमति के साथ एक संसदीय प्रक्रिया के माध्यम से, बताता है।
3.4 रूस का संविधान
रूस एक अर्ध-राष्ट्रपति संघीय गणतंत्र हैं। इसमें 83 संघीय विषय शामिल हैं। इसकी विशेषताएं इस प्रकार हैंः
- रूस का संविधान, मानवाधिकारों के वैश्विक मानकों और लोकतांत्रिक राज्य के निर्माण के नियमों जैसे राज्य की वैचारिक निरपेक्षता, राजनीतिक बहुलवाद, प्रतिस्पर्धी चुनाव और शक्तियों के विभाजन पर आधारित है।
- यह संविधान एक अर्ध-राष्ट्रपति गणतंत्र को स्थापित करता है, जो फ्रांसीसी प्रणाली जैसा दिखता है किंतु इसमें राष्ट्रपति को ज्यादा स्वतंत्रता मिलने से कार्यपालिका ज्यादा शक्तिशाली है।
- रूसी प्रणाली में राष्ट्रपति शक्ति का प्राथमिक केन्द्र होता है। राष्ट्रपति, जो कि छह सालों के लिए चुना जाता है (संविधान के 2008 के संशोधन के बाद), वह राज्य प्रमुख और रूसी सेना के सशस्त्र बल का सर्वोच्च प्रमुख भी होता है।
- संविधान, रूस की सरकार निर्धारित करती है, जो राज्य सत्ता की एक कार्यकारी शाखा है, जिसमें प्रधानमंत्री (शासन-प्रमुख्र), उप-प्रधानमंत्री, संघीय मंत्रीगण, उनके मंत्रालय व उनके विभाग शामिल होते हैं।
- इसमें विधायकी के नियंत्रण और संतुलन, संघीय परिषद की उस शक्ति द्वारा परिलक्षित होते हैं, जिसे नियमों को परखने व ड्यूमा द्वारा पारित कानूनां को स्वीकार करने या न करने का अधिकार होता हैं।
- रूसी संविधान, एक संवैधानिक न्यायालय, सुप्रीम कोर्ट, एक सुप्रीम कोर्ट पंचाट और विभिन्न निचली अदालतों के विकास के लिए के लिए प्रावधान प्रदान करता है। इसके विपरीत, संविधान, परंपरागत अदालत के कई अधिकार क्षेत्रों में रोक लगाता है और बदले में उन्हें राष्ट्रपति प्रदान करता है।
3.5 जर्मनी का संविधान
जर्मनी, पश्चिमी मध्य-यूरोप में स्थित एक संघीय संसदीय गणतंत्र है। इस देश में 16 राज्य हैं। इसके संविधान की मुख्य विशेषताएं हैंः
- जर्मनी के संघीय गणराज्य की मूल विधि (जर्मनी भाषा में-ग्रुंदजेसेत्ज फर डाइ, बुंदेसरिपब्लिक डचलैंड), जर्मनी का संविधान है। इसे 8 मई 1949 में मंजूरी मिली और 12 मई को द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चिमी सहयोगियों द्वारा इस पर हस्ताक्षर किये गए व 23 मई को यह संविधान प्रभाव में आया।
- बुनियादी अधिकार, मूल विधि के मूलभूत कानून हैं, वाईमर संविधान के विपरीत, जिसमें “राज्य के उद्देश्यों“ के रूप में उन्हें केवल सूचीबद्ध किया गया है।
- मूल विधि ने जर्मनी को एक संसदीय लोकतंत्र के रूप में स्थापित किया है, जिसमें कार्यकारी, विधायी और न्यायिक शाखाओं में शक्तियों का विभाजन शामिल है।
- कार्यकारी शाखा में मुख्यतः औपचारिक संघीय राष्ट्रपति राज्य प्रमुख होते हैं, व संघीय चांसलर शासन प्रमुख होते हैं। आमतौर पर (लेकिन जरूरी नहीं), संघीय चांसलर बुंदेस्टैग के सबसे बड़े समूह के नेता होते हैं।
- बुंदेस्टैग, विधायी शाखा का प्रतिनिधित्व करती है, जो आनुपातिक प्रतिनिधित्व और प्रत्यक्ष जनादेश के मिश्रण के माध्यम से सीधे चुने जाती है।
- न्यायिक शाखा, जो संघीय संवैधानिक न्यायालय के नेतृत्व में है, कानूनों की संवैधानिकता की देखरेख करती है।
- मूल कानून, बुंदैस्टेग के पूर्ण दो-तिहाई बहुमत के साथ व बुंदेस्रात के साधारण दो-तिहाई बहुमत द्वारा संशोधित किया जा सकता है।
- जबसे 1815 में जर्मन परिसंघ बना, जर्मनी ने परिसंघीय, संघीय एवं एकात्मक शासन देखे हैं। वर्तमान जर्मनी राज्यों की एक संघीय प्रणाली हैं।
3.6 जापान का संविधान
जापान, एक संवैधानिक राजशाही है, जहां सम्राट की शक्ति बहुत सीमित है। एक औपचारिक प्रमुख के रूप में संविधान में उन्हें “राज्य का प्रतीक और लोगों की एकता के रूप“ में परिभाषित किया गया है। इसके संविधान की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैंः
- संविधान, सरकार की एक संसदीय प्रणाली प्रदान करता है और निश्चित मौलिक अधिकारों प्रत्याभूत करता है।
- यह संविधान “युद्ध पश्चात् संविधान“ के रूप में भी जाना जाता है। इसकी विशेषता और प्रसिद्धी का कारण, युद्ध छेड़ने के अधिकार का त्याग है जो संविधान के अनुच्छेद 9 में निहित है। कुछ हद तक इसकी प्रसिद्धी इसलिए भी है क्योंकि ‘राजशाही’ एवं कानूनी रूप से बाध्य ‘लोकप्रिय संप्रभुता’ संयोजित करने के प्रावधान भी हैं।
- यह एक अनम्य दस्तावेज है और इसे अपनाने के बाद इसमें कोई संशोधन नहीं किए गए हैं।
- विधान अधिकार द्विसदनीय राष्ट्रीय डायट (डाईट) में निहित है, जिसमें जहां ऊपरी सदन में पहले अभिजात्य वर्ग होता था, तब नए संविधान में दोनों सदनों में सीधे निर्वाचित होने की व्यवस्था है।
- कार्यकारी अधिकार प्रधानमंत्री, विधायिका के प्रति जवाबदेह मंत्रिमंडल के साथ निष्पादित करते हैं व न्यायपालिका एक सुप्रीम कोर्ट के नेतृत्व में होती है।
4.0 भारतीय संविधान का दूसरे देशों से तुलनात्मक वर्णन
4.1 लिखित संविधान
एक लिखित संविधान एक औपचारिक दस्तावेज होता है, जो संवैधानिक निपटान की प्रकृति, राजनीतिक व्यवस्था को नियंत्रित करने वाले नियमों, व नागरिकों के अधिकारों को एक संहिताबद्ध रूप में परिभाषित करता है।
- भारत का एक लिखित संविधान है। यह भी दुनिया में सबसे लंबे संविधान के रूप में जाना जाता है।
- अमेरीका एक लिखित संविधान है। यह 1787 के संवैधानिक दस्तावेजों और बाद में संशोधनों, कांग्रेस विधियों, कार्यकारी आदेशों, न्यायिक व्याख्याओं और राजनीतिक प्रथाओं का एक उत्पाद है।
- ब्रिटिश संविधान अलिखित है। ब्रिटिश संविधान का केवल एक छोटा सा हिस्सा लिखित दस्तावेजों में पाया जाता है। ब्रिटिश संविधान विकासक्रम से निकला है, लेकिन अधिनियमित नहीं है। ब्रिटिश संविधान के विभिन्न स्रोत हैंः कन्वेंशन (प्रथाएं), ग्रेट चार्टर्स, विधियां, आम कानून, कानूनी टिप्पणियां आदि।
- फ्रांसीसी क्रांति के बाद से, फ्रांस अक्सर अपने संविधान बदलता रहा है। वर्तमान फ्रांसीसी संविधान, जिसने पांचवें गणतंत्र को स्थापित किया, एक लिखित संविधान है।
- जापान का भी एक लिखित संविधान है। इसका वर्तमान संविधान 1947 में प्रभाव में आया।
4.2 लचीला या कठोर (अनम्य)
एक लचीला संविधान वह है, जो साधारण कानून बनाने की प्रक्रिया से बदला जा सकता है, किंतु जिसे संशोधन के लिए एक विशेष प्रक्रिया की आवश्यकता हो उसे एक कठोर संविधान कहा जाता है।
- भारतः भारतीय संविधान कठोर से अधिक लचीला है। संविधान के प्रावधानों में केवल कुछ का संशोधन करने के लिए राज्य विधायिकाओं द्वारा अनुसमर्थन और उसमें भी केवल आधे राज्यों द्वारा विधि-निर्माण पर्याप्त है। बाकी संविधान संघीय संसद द्वारा विशेष बहुमत से संशोधित किया जा सकता है। लेकिन फिर भी क्षेत्रीय दलों और गठबंधन सरकारों की हो रही वृद्धि के कारण आधे राज्यों के विधान से संशोधन भी मुश्किल है।
- अमेरीकाः यह एक कठोर संविधान है। यह कांग्रेस द्वारा संशोधित किया जा सकता है व इस उद्देश्य के लिए संविधान द्वारा एक विशेष प्रक्रिया प्रदान की गई है।
- ब्रिटेनः यह एक लचीला संविधान है। इसे अपने संशोधन के लिए किसी विशेष प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं है और इसे संसद द्वारा एक साधारण कानून के रूप में संशोधित किया जा सकता है।
- फ्रांसः फ्रांस एक कठोर संविधान है। यहां संविधान में संशोधन के लिए विशेष प्रक्रिया की जरूरत है। संसद के दोनों सदनों में 60 प्रतिशत बहुमत वोटों की जरूरत होती है। वैकल्पिक रूप से राष्ट्रपति संवैधानिक संशोधन के लिए एक राष्ट्रीय जनमत संग्रह के लिए कह सकते हैं।
- जापानः जापान में संशोधन, डायट (डाईट) द्वारा होता है। इस तरह के प्रस्ताव को संसद की सदस्यता के दो तिहाई बहुमत से पारित किया जाता है व उसके बाद यह एक विशेष जनमत संग्रह या विशेष चुनाव में अनुसमर्थन के लिए लोगों के सामने प्रस्तुत किया जाता है।
- जर्मनीः अनुच्छेद 79 में जर्मन संविधान में वर्णित है कि बुनियादी कानून में संशोधन बुंदेस्टैग के एक पूर्ण दो-तिहाई बहुमत, व बुन्देस्त्रात के एक साधारण दो-तिहाई बहुमत द्वारा किया जा सकता है। (अजर नियमों में परिभाषित क्षेत्रों को छोडकर)।
4.3 एकात्मक या संघीय
संघवाद, सरकार की वह प्रणाली है, जिसमें एक केंद्रीय शासनकर्ता और घटक राजनीतिक इकाइयों (राज्य/प्रांत) के बीच संप्रभुता का संवैधानिक रूप से विभाजन होता है। एक एकात्मक प्रणाली, संवैधानिक रूप से एकल प्रशासित इकाई होती है, जो संवैधानिक रूप से बनाई विधायिका द्वारा नियंत्रित होती है।
भारतः यह एकात्मक पूर्वाग्रह के साथ संघीय प्रणाली है। हालांकि आम तौर पर सरकार की प्रणाली संघीय है लेकिन संविधान, संघ को आपात स्थिति में एकात्मक राज्य में बदलने के लिए सक्षम बनाता है।
अमेरीकाः यह एक संघीय राज्य है। संविधान, केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के बीच सत्ता विभाजन प्रदान करता है। अवशिष्ट शक्तियां राज्यों में निहित हैं। प्रत्येक राज्य का अपना संविधान, निर्वाचित विधायिका, राज्यपाल और सुप्रीम कोर्ट है।
ग्रेट ब्रिटेनः यह एक एकात्मक राज्य है और सभी शक्तियां एक ही सर्वोच्च केंद्र सरकार में निहित हैं। स्थानीय सरकारों को केंद्र सरकार केवल प्रशासनिक सुविधा से बनती है और वो किसी भी समय उन्हें पूरी तरह समाप्त कर सकती है।
फ्रांसः फ्रांस एक एकात्मक राज्य है। स्थानीय सरकारों को केवल प्रशासनिक सुविधा के लिए बनाया गया है और केंद्र सरकार द्वारा इन्हें समाप्त किया जा सकता है।
जापानः जापानी संविधान, एक एकात्मक राज्य प्रदान करता है।
4.4 सरकार के प्रकार (संसदीय या राष्ट्रपति प्रणाली)
सरकार के संसदीय रूप में, अपनी नीतियों और कृत्यों के लिए कार्यपालिका विधानमंडल के प्रति जिम्मेदार है। राष्ट्रपति प्रणाली में, कार्यकारी पूरी तरह से विधायिका से अलग और विधायिका के प्रति जवाबदेह नहीं होता है।
भारतः भारत के संविधान में सरकार, एक संसदीय रूप में केंद्र और राज्यों दोनों में होती है। भारतीय संसदीय प्रणाली काफी हद तक ब्रिटिश संसदीय प्रणाली पर आधारित है।
भारत की संसदीय सरकार के सिद्धांतः
- नाममात्र और वास्तविक कार्यकारीः राष्ट्रपति नाममात्र कार्यकारी और प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यकारी हैं।
- बहुमत पार्टी शासनः लोकसभा में जो राजनीतिक दल बहुमत से सीटें जीतता है, वही सरकार बनाता है।
- सामूहिक जिम्मेदारीः मंत्रीगण संसद व लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से जिम्मेदार है।
- दुगनी सदस्यताः मंत्रीगण, विधायिका और कार्यपालिका दोनों के सदस्य होते हैं।
- निचले सदन को भंग करनाः निचले सदन को प्रधानमंत्री की सिफारिश पर भंग किया जा सकता है।
अमेरिकाः अमेरिका का संविधान एक राष्ट्रपति प्रणाली की सरकार प्रदान करता है। राष्ट्रपति प्रणाली के महत्वपूर्ण सिद्धांत हैंः
- राष्ट्रपति राज्य के प्रमुख और शासन प्रमुख, दोनों हैं।
- राष्ट्रपति को चार साल की एक निश्चित अवधि के लिए एक निर्वाचक मंडल द्वारा चुना जाता है और कांग्रेस द्वारा किसी महान असंवैधानिक कृत्य के लिए महाभियोग की प्रक्रिया के अलावा, नहीं हटाया जा सकता।
- राष्ट्रपति, मंत्रिमंडल सलाहकार निकाय की मदद से कार्य करते हैं। उसके सदस्य राष्ट्रपति द्वारा चयनित और नियुक्त होते है और किसी भी समय उनके द्वारा इन्हें हटाया जा सकता है।
- राष्ट्रपति, “प्रतिनिधि सभा“ यानी कांग्रेस के निचले सदन को भंग नहीं कर सकते हैं।
- राष्ट्रपति और उनके सचिव, अपने कृत्यों के लिए कांग्रेस के प्रति जिम्मेदार नहीं हैं।
फ्रांसः फ्रांस की सरकार, अर्ध-राष्ट्रपति और अर्ध-प्रधानमंत्री प्रकृति की है। एक ओर, इसमें शक्तिशाली राष्ट्रपति होते हैं जो लोगों द्वारा सात वर्ष के कार्यकाल के लिए चुने जाते हैं। दूसरी ओर, मंत्रियों की एक नामित परिषद की अध्यक्षता में प्रधानमंत्री को चुना जाता है, जो संसद के प्रति उत्तरदायी हैं।
जापानः मोटे तौर पर, यह ब्रिटिश संसदीय प्रणाली जैसी संसदीय प्रणाली है। लेकिन एक प्रमुख अंतर यह है कि ब्रिटेन में राजा या रानी द्वारा प्रधानमंत्री के चुना व नियुक्त किया जाता है, लेकिन जापान में प्रधानमंत्री डाइट द्वारा चुना जाता है और सम्राट द्वारा नियुक्त किया जाता है। इसके अलावा ब्रिटेन में मंत्रियों को राजा नियुक्त करते हैं व जापान में मंत्रियों को प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त किया जाता है। इसलिए, ब्रिटिश प्रधानमंत्री, मंत्रियों को हटा नहीं सकते हैं लेकिन जापान में प्रधानमंत्री उन्हें हटा सकते हैं। ब्रिटेन में सभी मंत्री, संसद के सदस्य होने चाहिए जबकि जापान में बहुमत डाइट सदस्य होने चाहिए।
4.5 संसद की संप्रभुता
संसदीय संप्रभुता (संसदीय सर्वोच्चता या विधायी सर्वोच्चता) संसदीय लोकतंत्र के संवैधानिक कानून की एक अवधारणा है। यह कहती है कि विधायिका, पूर्ण संप्रभु होती है और कार्यकारी या न्यायिक निकायों सहित अन्य सभी सरकारी संस्थानों में सर्वोच्च होती है। इस अवधारणा में विधायिका किसी भी पिछले विधान को बदल या निरस्त कर सकती है और यह लिखित कानून (कुछ मामलों में, यहां तक कि एक संविधान से भी) या रिवाज़ों से बाध्य नहीं होती है।
ब्रिटेनः यहां संसद सर्वोच्च शक्ति हैः
- यह किसी भी कानून को बना सकती है, उसमें विकल्प, संशोधन, और उसे निरस्त भी कर सकती है।
- संसद, साधारण कानून के रूप में एक ही प्रक्रिया से संवैधानिक कानून बना सकती है।
- ब्रिटेन में न्यायिक समीक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है, यानी संसदीय कानूनों को असंवैधानिक होने की वजह से न्यायपालिका द्वारा अमान्य घोषित नहीं किया जा सकता।
फ्रांसः यहां राजनीतिक कार्यपालिका के मुकाबले कम/सीमित शक्तियों वाली संसद है। यह केवल संविधान में परिभाषित विषयों पर कानून बना सकती है। अन्य सभी मामलों में सरकार को कार्यपालिका अध्यादेश द्वारा कानून बनाने का अधिकार है। फ्रांस में नौ सदस्यों की एक संवैधानिक परिषद नौ साल की अवधि के लिए होती है। यह एक न्यायिक प्रहरी के रूप में कार्य करती है तथा यह केवल एक सलाहकार निकाय है।
भारत, जापान और अमेरिका का तीनों देशों में संविधान एवं न्यायिक समीक्षा का वर्चस्वः सभी तीन देशों में लिखित संविधान को देश के सर्वोच्च कानून के रूप में माना जाता है और उच्चतम न्यायालय, न्यायिक समीक्षा की अपनी शक्ति के माध्यम से संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करता है। लेकिन एक अंतर है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट अपने संविधान से न्यायिक समीक्षा की पूर्ण शक्ति प्राप्त नहीं करता है, लेकिन भारतीय और जापानी करते हैं।
4.6 गणराज्य बनाम संवैधानिक राजशाही
गणतंत्र, सरकार का एक रूप है, और वहां सम्राट (राजा या रानी), संवैधानिक रूप से या कानून द्वारा राज्य के प्रमुख नहीं होते है। संक्षेप में, ‘गणराज्य’ शब्द राज्य पर जनसंख्या द्वारा स्वामित्व दर्शाता है। एक गणराज्य में राज्य का प्रमुख आमतौर पर एक होता है, जैसे-एक राष्ट्रपति (अमरीका, त्रिनिदाद, फ्रांस, गुयाना) आदि। ये चुने या नियुक्त किए जाते है, जिसकी अलग-अलग अनिवार्यताएं हैं।
एक संवैधानिक राजशाही में राज्य के प्रमुख के रूप में एक वंशानुगत या निर्वाचित सम्राट होता है, जो एक संवैधानिक व्यवस्था के तहत स्थापित किया सरकार का एक रूप है।
उदाहरण
- गणतंत्र देश - भारत, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, रूस आदि।
- संवैधानिक राजतंत्र - ब्रिटेन, जापान आदि।
4.7 राष्ट्रपति
भारतः भारत के राष्ट्रपति, भारतीय गणराज्य के सांकेतिक (नाममात्र) प्रमुख हैं।
- वास्तविक कार्यकारी में मंत्री परिषद की अध्यक्षता करते प्रधानमंत्री की प्रमुखता होती है। उन्हें अपनी शक्तियों और कार्यों का निष्पादन करने के लिए मंत्री-परिषद से सहायता और सलाह करना होती है (अनुच्छेद 53, 74, 75)।
- राष्ट्रपति परोक्ष रूप से लोगों द्वारा चुने गए भारत की संसद के निर्वाचित सदस्यों (लोक सभा और राज्य सभा), और साथ ही राज्य विधायिकाओं (विधान सभा) द्वारा पांच साल की अवधि के लिए चुने जाते हैं।
- राष्ट्रपति को संविधान के उल्लंघन के लिए महाभियोग द्वारा कार्यकाल के पूरा होने से पहले ही उनके पद से हटाया जा सकता है।
अमरीकाः संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति, राज्य प्रमुख और संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार के प्रमुख होते हैं।
- राष्ट्रपति, संघीय सरकार की कार्यकारी शाखा के नेता होते हैं, व संयुक्त राज्य अमेरिका के सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ होते हैं।
- संवैधानिक रूप से राष्ट्रपति चुनाव के लिए गठित एक निर्वाचक मंडल होता है। इस मंडल के सदस्यों को सभी राज्यों के लोगों द्वारा सीधे निर्वाचित किया जाता है। यह निर्वाचन मंडल, राष्ट्रपति चुनाव के लिए ही बनता है और चुनाव के बाद भंग हो जाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति पद, दुनिया के सबसे मजबूत लोकतांत्रिक कार्यालयों में से एक है।
राष्ट्रपति चार साल की एक निश्चित अवधि के लिए अपना पद धारण करता है। वह केवल एक बार पुनः चुनाव के लिए पात्र होता है। उसे राजद्रोह, रिश्वतखोरी या अन्य उच्च अपराधों के लिए महाभियोग की कार्यवाही के माध्यम से अपने कार्यकाल की समाप्ति से पहले पद से हटाया जा सकता है। प्रतिनिधि सभा के बहुमत से महाभियोग की कार्यवाही शुरू की जाती है। मामला फिर सीनेट को सौंपा जाता है। जब सीनेट भी दो तिहाई बहुमत से महाभियोग पारित करती है, तब राष्ट्रपति पर महाभियोग सफल हो जाता है।
अमेरिकी संविधान के द्वितीय अनुच्छेद के अनुसार राष्ट्रपति में संयुक्त राज्य अमेरिका की कार्यपालिका शक्ति निहित है और उन्हें संघीय कार्यपालिका, राजनयिक नियामक, न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति और विदेशी शक्तियों के साथ संधि समापन की जिम्मेदारी के साथ संघीय कानून के क्रियान्वयन को, सीनेट की सलाह और सहमति के साथ चलाना होता है। राष्ट्रपति को संघीय क्षमा देने के लिए और असाधारण परिस्थितियों में कांग्रेस के दोनों सदनों को बुलाने और स्थगित करने का अधिकार है।
फ्रांसः राष्ट्रपति, संविधान की धुरी हैं और सरकार की व्यवस्था में एक प्रमुख स्थान रखते हैं। वह राज्य के प्रमुख हैं।
- राष्ट्रपति सीधे मताधिकार द्वारा चुने जाते हैं।
- सेवा की अवधि 7 साल से कम होती है। एक राष्ट्रपति, केवल दो बार इस पद पर रह सकते हैं। राष्ट्रपति को, राजद्रोह के लिए महाभियोग की प्रक्रिया के माध्यम से पद से हटाया जा सकता है।
- महाभियोग पूर्ण बहुमत से संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया जाना चाहिए। इसके पश्चात् राष्ट्रपति का मुकदमा हाईकोर्ट में चलता है।
जर्मनीः जर्मनी में संसदीय प्रणाली के रूप में चांसलर द्वारा सरकार चलाई जाती है। राष्ट्रपति का मुख्य रूप से औपचारिक और पर्यवेक्षी कर्तव्य होता है।
- राष्ट्रपति के सामान्य राजनीतिक और सामाजिक बहस को दिशा देने और राजनीतिक अस्थिरता के मामले में कुछ महत्वपूर्ण “आरक्षित अधिकार“ होते हैं।
- सभी संघीय कानून, राष्ट्रपति के हस्ताक्षर द्वारा प्रभाव में आते हैं। वह संविधान का उल्लंघन करने वाले कानून को ही हस्ताक्षर करने से मना कर सकते हैं।
- राष्ट्रपति को संघीय सम्मेलन द्वारा, स्थापित उद्देश्य से चुना जाता है।
- कार्यकाल में रहने के दौरान राष्ट्रपति को अभियोजन से प्रतिरक्षा प्राप्त है और उसे मतदान द्वारा कार्यालय से बाहर नहीं किया जा सकता। राष्ट्रपति को हटाने के लिए केवल बुंदेस्टैग व बुंदेस्रात प्रणाली द्वारा, जर्मन कानून का उल्लंघन करने के कारण महाभियोग से हटाया जा सकता है। बुंदेस्टैग द्वारा महाभियोग होने के बाद संघीय संवैधानिक न्यायालय में वह अपराध का दोषी है या नहीं, यह निर्धारित होने के बाद अदालत को कार्यालय से राष्ट्रपति को हटाने का अधिकार है।
भारतः भारतीय नागरिकता और राष्ट्रीयता कानून और भारतीय संविधान में भारत में सभी के एकल नागरिकता प्रदान हैं। संविधान के अपनाने के बाद नागरिकता से संबंधित प्रावधान, भारत के संविधान के भाग द्वितीय में 5वें से 11वें अनुच्छेदों में निहित हैं। यह दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता। लेकिन सरकार तेजी से भारतीय मूल के (पीआईओ) और भारत के विदेशी नागरिकों के लिए अपनी दोहरी नागरिकता नियमों के संबंध में और अधिक लचीली होती जा रही है।
अमेरिकाः एक अमेरिकी नागरिक शादी से विदेशी नागरिकता प्राप्त कर सकता है या एक अमेरिकी नागरिक के रूप में देशीयकृत एक व्यक्ति को जन्म के देश की नागरिकता नहीं खोना पड़ती। अमेरिकी कानून में दोहरी राष्ट्रीयता का उल्लेख या एक नागरिकता या किसी अन्य का चयन करने की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा स्वचालित रूप से एक और नागरिकता प्रदान किये जाने पर किसी व्यक्ति को अमेरिकी नागरिकता को खोने का खतरा नहीं है। हालांकि विदेशी नागरिकता के लिए आवेदन करने पर एक व्यक्ति को अमेरिकी नागरिकता खोनी पड़ सकती है। अमेरिका नागरिकता खोने का यह कानून है कि व्यक्ति स्वतंत्र चुनाव से विदेशी नागरिकता के लिए आवेदन करे व साथ ही अमेरिकी नागरिकता छोड़ देने के इरादे से वह ऐसा करेगा।
ब्रिटेनः एक ब्रिटिश नागरिक बनने पर अपनी वर्तमान नागरिकता या राष्ट्रीयता खो देने की जरूरत नहीं है। जब वह नागरिक किसी अन्य देश की राष्ट्रीयता पाता है तो उसे आम तौर पर ब्रिटिश राष्ट्रीयता नहीं खोना होगी।
फ्रांसः यहां दोहरी नागरिकता को 1973 के बाद अनुमति दी गई है। एक या एक से अधिक देशों की नागरिकता, फ्रेंच नागरिकता के सिद्धांत को प्रभावित नहीं करती।
जर्मनीः दोहरी नागरिकता को कुछ परिस्थितियों के तहत अनुमति दी गई है।
ऑस्ट्रेलियाः 4 अप्रैल, 2002 के बाद कानून के प्रभाव से, दूसरे देश की नागरिकता धारण करने पर “ऑस्ट्रेलियाई कानून के तहत“, कोई प्रतिबंध नहीं है।
4.9 मौलिक अधिकार, निदेशक सिद्धांत और मौलिक कर्तव्य
4.9.1 मौलिक अधिकार
भारतः भारतीय संविधान में अमेरिकी अधिकार विधेयक के समान कुछ मौलिक अधिकार हैं। लेकिन अमेरिका के विपरीत, भारत में मौलिक अधिकार परम नहीं रहे हैं और इसलिए सरकार उन पर उचित प्रतिबंध लागू कर सकती हैं। प्रतिबंध उचित हैं या नहीं, ये अदालतों द्वारा निर्णय लिया जाना है। संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त छह मौलिक अधिकार हैंः
- समानता का अधिकार, इसमें कानून के समक्ष समानता सहित, समानता में धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्म स्थान और रोजगार के विषय में अवसर की समानता, अस्पृश्यता का उन्मूलन और खिताब के उन्मूलन के आधार पर भेदभाव का निषेध है।
- स्वतंत्रता का अधिकार, जिसमें भाषण और अभिव्यक्ति, इकट्ठा होने, संघ या सहकारी समितियां बनाने, परिवहन, निवास और किसी भी पेशे या व्यवसाय को अपनाने (इन अधिकारों में से कुछ राज्य की सुरक्षा, विदेशी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों, सार्वजनिक व्यवस्था के अधीन हैं), शिक्षा का अधिकार, जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, कुछ मामलों में गिरफ्तारी और निरोध के खिलाफ संरक्षण में संरक्षण शामिल हैं।
- शोषण के खिलाफ अधिकार, इसमें बेगार, बाल-श्रम और मानवीय खरीद-फरोख्त के सभी रूपों पर रोक लगाना आदि शामिल हैं।
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार, इसमें अंतरात्मा की स्वतंत्रता, धर्म के प्रचार, अभ्यास व मानने, धार्मिक मामलों का प्रबंधन करने के लिए स्वतंत्रता, कुछ करों से राहत, व कुछ शैक्षिक संस्थानों में धार्मिक निर्देश की बाध्यता से स्वतंत्रता आदि निहित हैं।
- सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार, इसमें संस्कृति, भाषा, व लिपि के संरक्षण की स्वतंत्रता, व अपनी पसंद की शैक्षिक संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन आदि हैं।
- मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए, संवैधानिक उपचारों का अधिकार।
अमेरिकाः अधिकार विधेयक विशेष रूप से अधिकार बताता है। सुप्रीम कोर्ट ने विशेष रूप से संविधान में प्रगणित नहीं किए गए मौलिक अधिकारों को भी जोड़ दिया है।
इसी तरह सोवियत संघ और जापान के संविधानों में भी कुछ मौलिक अधिकारों की प्रत्याभूति दी गई है। लेकिन ग्रेट ब्रिटेन के संविधान में प्रगणित ऐसे कोई अधिकार नहीं हैं।
5.0 आपातकाल प्रावधान
भारत - भारत के संविधान के XVIII भाग में आपातकाल से निपटने का अनुच्छेद 352-360 में उल्लेख है।
संविधान के अनुसार, प्रावधानों के तीन प्रकार हैं - राष्ट्रीय आपातकाल, राज्य आपातकाल और वित्तीय आपातकाल।
भारत के संविधान के 44 वें संशोधन से पहले, राष्ट्रपति, राष्ट्रीय आपात, युद्ध और आंतरिक अशांति की स्थिति में (44वें संशोधन द्वारा) सशस्त्र विद्रोह लगा सकते हैं।
कनाडा - कनाडा की संघीय सरकार आपातकाल लागू करने के लिए आपात स्थिति के कानून का उपयोग कर सकती है। आपातकालीन स्थिति स्वचालित रूप से 90 दिनों के बाद समाप्त हो जाती है जिसे राज्यपाल द्वारा बढ़ाया जा सकता है। यहां आपातकाल के विभिन्न प्रकार हैः
लोक कल्याण के लिए, लोकादेश के लिए, अंतर्राष्ट्रीय आपातकाल या युद्ध की स्थिति में।
फ्रांस - तीन मुख्य परिस्थितियों मे फ्रांस में “आपातकाल की अवस्था“ निर्मित होती है। 1958 के संविधान के अनुच्छेद 16 में आपातकाल में राष्ट्रपति की असाधारण शक्तियों का वर्णन है। फ्रांस का 1958 का संविधान व अनुच्छेद 16 संकटकाल में राष्ट्रपति को ‘‘असामान्य शक्तियां’’ देता है। अंततः 3 अप्रैल 1955 का अधिनियम आपातकाल में मंत्री परिषद द्वारा उद्घोषणा की अनुमति देता है। फ्रांस में 1958 के संविधान द्वारा आपातकाल की स्थिति में मंत्री परिषद के अध्यक्ष (राष्ट्रपति) द्वारा फैसला सुनाया जा सकता है, लेकिन 12 दिन बाद आयोजित संसद द्वारा इसकी पुष्टि की जानी चाहिए।
जर्मनी - युद्ध के बाद जर्मन संघीय गणराज्य में, आपातकालीन अधिनियमों में बुनियादी कानून के बुनियादी संवैधानिक अधिकारों को रक्षा, तनाव, आंतरिक आपातकाल की स्थिति या आपदा (तबाही) की स्थिति में सीमित किया जा सकता है।
संयुक्त राज्य अमेरिका - संयुक्त राज्य अमेरिका में, आपात स्थितियों के लिए सरकार की प्रतिक्रिया के कई तरीके हैं।
एक राज्य के राज्यपाल या स्थानीय महापौर द्वारा उसके अधिकार क्षेत्र में आपातकाल की स्थिति घोषित की जा सकती है। प्राकृतिक आपदाओं के स्तर पर यह आम बात है।
कार्यकारी शाखा के प्रमुख के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति को एक संघीय राज्य में आपातकालीन स्थिति घोषित करने का अधिकार है। अमेरिका के संविधान में यह आपातकालीन प्रावधान हैं, कि “बंदी प्रत्यक्षीकरण के विशेषाधिकार को तब तक निलंबित नहीं किया जाएगा जब तक विद्रोह या आक्रमण के मामले में सार्वजनिक सुरक्षा की आवश्यकता से यह ज़रूरी ना हो।“
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