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भारत में गरीबी भाग - 2
9.0 नीति आयोग - एसडीजी इंडिया इंडेक्स - बेसलाइन रिपोर्ट 2018
नीति आयोग द्वारा 2030 एसडीजी, जिनके लिए भारत प्रतिबद्ध है की दिशा में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की प्रगति के लिए एक एकल मापनयोग्य सूचकांक बनाया गया है।
एसडीजी इंडिया इंडेक्स, जो सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई), ग्लोबल ग्रीन ग्रोथ इंस्टीट्यूट और भारत में संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से विकसित किया गया है को एसडीजी का अर्थ है धारणीय विकास लक्ष्य। नीति आयोग के वाइस-चेयरमैन डॉ राजीव कुमार, सीईओ अमिताभ कांत, रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर श्री यूरी अफनासिव तथा एमओएसपीआई सचिव एवं सीएसआई श्री प्रवीण श्रीवास्तव द्वारा शुरू किया गया था।
9.1 एसडीजी एवं भारत
नीति आयोग के पास दो शासनादेश हैं, देश में एसडीजी के कार्यान्वयन का ध्यान रखना तथा राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के बीच प्रतिस्पर्धात्मक और सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना। एसडीजी इंडिया इंडेक्स, एसडीजी को - जो प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ, सबका विकास’, जिसमें वैश्विक एसडीजी आंदोलन के पांच पी हैं - पीपल (लोग), प्लेनेट (ग्रह), प्रोस्पेरिटी (समृद्धि), पार्टनरशिप (साझेदारी) और पीस (शांति) - के आह्वान की सीध में लाकर इन शासनादेशों के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करता है।
दुनिया अब एसडीजी युग के तीसरे वर्ष में है। एसडीजी एक महत्वाकांक्षी वैश्विक विकास लक्ष्य हैं जो विभिन्न सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक भागों में सार्वभौमिक भलाई के प्रमुख पहलुओं की बात करता हैं तथा विकास के आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय आयामों को एकीकृत करता हैं।
भारत का राष्ट्रीय विकास एजेंडा एसडीजी में दिखाया गया है। एसडीजी में भारत की प्रगति, दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया की लगभग 17 फीसदी आबादी यहीं रहती है।
9.2 एसडीजी इंडिया इंडेक्स
यह नीति आयोग द्वारा चयनित 62 प्राथमिक संकेतकों पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की प्रगति को मापता है, जो कि एमओएसपीआई के राष्ट्रीय संकेतक फ्रेमवर्क द्वारा निर्देशित होता है जिसमें 306 संकेतक शामिल होते हैं तथा जो केंद्रीय मंत्रालयां/विभागों और राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के साथ कई-दौर के परामर्शों पर आधारित होते हैं। सूचकांक की पहुँच 17 एसडीजी में से 13 तक है। एसडीजी 12, 13 और 14 की प्रगति को मापा नहीं जा सकता क्योंकि राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश स्तर के प्रासंगिक आँकड़े उपलब्ध नहीं थे एवं एसडीजी 17 को छोड़ दिया गया था क्योंकि यह अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी पर केंद्रित है।
13 एसडीजी के समग्र प्रदर्शन के आधार पर प्रत्येक राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए 0-100 की सीमा के बीच एक समग्र स्कोर की गणना की गई थी, जो 13एसडीजी और उनके संबंधित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए राज्य/केन्द्र शासित प्रदेशों के औसत प्रदर्शन को इंगित करता है।
यदि कोई राज्य/केंद्रशासित प्रदेश 100 का स्कोर प्राप्त करता है, तो यह दर्शाता है कि उसने 2030 राष्ट्रीय लक्ष्य हासिल किए हैं। राज्य/केंद्रशासित प्रदेश का स्कोर जितना अधिक होगा, लक्ष्य प्राप्त करने की दूरी उसने उतनी ही अधिक तय की होगी।
एसडीजी इंडिया इंडेक्स स्कोर के आधार पर वर्गीकरण मानदंड इस प्रकार है -
एसपाईरेंट - 0-49 (एस्पायरेंट - अकांक्षी)
परफॉर्मर - 50-64 (परफॉर्मर - निष्पादनकर्ता)
फ्रंट रनर - (65-99 फ्रंट रनर - सबसे आगे)
अचीवर - 100 (अचीवर - अग्रणी)
अंतिम परिणाम थे - एसपाईरेंट - असम, बिहार और उत्तर प्रदेश
परफॉर्मर - आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तराखंड , पश्चिम बंगाल, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव, दिल्ली और लक्षद्वीप
फ्रंट रनर - हिमाचल प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, चंडीगढ़ और पुडुचेरी अचीवर - एनए
संपूर्ण परिणाम - एसडीजी इंडिया इंडेक्स स्कोर रेंज - राज्य 42-69, केंद्र शासित प्रदेश 57-68 शीर्ष प्रदर्शनकर्ता राज्य - राज्य हिमाचल प्रदेश और केरल, यूटी चंडीगढ़ एसपाईरेंट - राज्य उत्तर प्रदेश, यूटी दादरा और नगर हवेली
टिप्पणियाँ -
- हिमाचल प्रदेश स्वच्छ पानी एवं स्वच्छता प्रदान करने, असमानताओं को कम करने एवं पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने में पहले स्थान पर है
- केरल का शीर्ष रैंक अच्छे स्वास्थ्य प्रदान करने, भूखे लोगो की संख्या कम करने, लैंगिक समानता प्राप्त करने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में अपने श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए दिया गया है
- चंडीगढ़, स्वच्छ पानी एवं स्वच्छता, सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करने, उत्.ष्ट कार्य और आर्थिक विकास, एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में अपने अनुकरणीय प्रदर्शन के कारण आगे है
10.0 भारत एवं विश्व गरीबी - 2019 और उससे आगे
2018 समाप्त होते-होते, अत्यधिक गरीबी, दर्ज इतिहास में सबसे निचले स्तर पर थी, लेकिन फिर भी इस के एक क्षेत्र में तेजी से बढ़ने की उम्मीद थी। लोगों की एक बड़ी संख्या को उनके घरों से जबरन विस्थापित कर दिया गया है, एवं एक प्रभावशाली नई रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि वैश्विक उष्मन को सीमित करने के लिए अब हमारे पास अधिक समय नही है। फिर भी, नवाचार और बेहतर प्रौद्योगिकियां लाखों लोगों को स्वच्छ ऊर्जा प्राप्त करने और लाखों लोगों को वित्तीय प्रणाली से जोड़ने में मदद कर रही हैं।
10.1 अत्यधिक गरीबी, दर्ज इतिहास में सबसे निचले स्तर पर है
1990 में, दुनिया में एक-तिहाई से अधिक लोग अत्यधिक गरीबी में रहते थे - एक दिन में, 1.90 डॉलर या उससे भी कम में जीवन यापन कर रहे थे। 2015 के हालिया वर्षों में अत्यधिक गरीबी 10 प्रतिशत तक पहुंच गई, जो दर्ज इतिहास में सबसे निचला स्तर है। पिछले तीन दशकों में, एक अरब से अधिक लोगों ने खुद को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकाला, और दुनिया के लगभग आधे देशों ने अत्यधिक गरीबी को 3 प्रतिशत तक कम कर दिया है।
यह हमारे समय की महान उपलब्धियों में से एक है, लेकिन हमारे पास अभी भी काम करने के लिए बहुत कुछ है - 736 मिलियन लोग अभी भी अत्यधिक गरीबी में रहते हैं, गरीबी में कमी की गति धीमी है, और अत्यधिक गरीबी में रहने वाले लोगों तक पहुंचना कठिन है। कमज़ोर, संघर्ष और हिंसा से पीड़ित क्षेत्रों में गरीबी दर 2015 में 36 प्रतिशत तक पहुंच गई, जो 2011 में 34.4 प्रतिशत थी, एवं इसके और बढ़ने की संभावना है।
10.2 सब-सहारा अफ्रीका में अत्यधिक-गरीबी अधिक केंद्रित है
दुनिया के बाकी हिस्सों के विपरीत, सब-सहारा अफ्रीका में कुल गरीब लोगों की संख्या बढ़ रही है, 1990 में 278 मिलियन से 2015 तक 413 मिलियन हो गई। 2015 में, सब-सहारा अफ्रीका दुनिया के 28 सबसे गरीब देशों में से 27 देशों का घर था। तथा यहाँ गरीब लोगो की संख्या शेष विश्व के गरीब लोगो की संख्या के बराबर थी। यदि उसने यह पहले से ही पार नही कर लिया हो तो, नाइजीरिया, भारत को गरीबी में रहने वाले लोगों के संख्या में पीछे छोड़ देने वाला था। जबकि 2015 में अन्य क्षेत्रों में औसत गरीबी दर 13 फीसदी थी, यह सब-सहारा अफ्रीका में लगभग 41 फीसदी थी। गरीबी और साझा समृद्धि 2018 के अनुसार, अफ्रीका में गरीबी के उच्च स्तर के पीछे के कारकों में क्षेत्र की धीमी विकास दर, संघर्ष और कमजोर संस्थानों की वजह से समस्याएं और गरीबी में कमी लाने के प्रयासों में सफलता की कमी शामिल है।
10.3 भारतीय स्थिति
हो सकता है, भारत ने 2005 के बाद से अत्यधिक गरीबी को कम किया हो। 2011 के आखिरी आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार भारत में अभी भी 26.8 करोड़ लोगों को प्रति दिन 1.90 डॉलर से कम (अत्यधिक गरीबी के लिए विश्व बैंक का माप) में जीवन-यापन करते हैं।
घरेलू खपत पर अगले आँकड़ों का दौर जून 2019 में योजित किया गया है, और यह इनमें गरीबों की संख्या में भारी गिरावट देखी सकता है। तेजी से आर्थिक विकास एवं सामाजिक क्षेत्र के कार्यक्रमों के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग ने देश में अत्यधिक गरीबी में सेंध लगाने में मदद की है।
भारत का 2017/18 का आखिरी घरेलू सर्वेक्षण (2019 में जारी किया जाना) घरेलू खपत को अधिक व्यापक रूप से दर्शाता है - इसमें मालिक के कब्जे वाले आवास के एवं समायोजन और आम-अंतर्राष्ट्रीय प्रथाओं के अनुसार अन्य वस्तुओं को मापना भी शामिल होगा। विश्व डेटा लैब के अनुसार - जो उन्नत सांख्यिकीय मॉडल का उपयोग करके वैश्विक गरीबी पर नजर रखता है - 5 करोड़ से कम भारतीय अब एक दिन में 1.90 डॉलर से कम पर रह रहे हैं।
अत्यधिक गरीबी तेजी से कम हो रही है और दुनिया ने भारत की उपलब्धियों को कम करके आंका है। क्रमिक विकास की नीतियों, मनरेगा, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना एवं प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजनाओं जैसे सामाजिक क्षेत्र के कार्यक्रमों एवं अन्य योजनाओं से फर्क पड़ा है।
2018 के लिए ‘घरेलू-खर्च’ का अनुमान लगाने के लिए, वर्ल्ड डेटा लैब ने राष्ट्रीय खातों के सर्वेक्षण से घरेलू-अंतिम-उपभोग-व्यय की ‘विकास दर’ का उपयोग किया। डेटा से पता चलता है कि भारत 2030 तक अत्यधिक गरीबी के मामले में शीर्ष 10 देशों की सूची से बाहर हो जाएगा। अफ्रीकी देश उस वर्ष तक शीर्ष 10 देशों में से नौ का प्रतिनिधित्व करेंगे।
हमने इसे परिप्रेक्ष्य में रखने के लिए 4 संदर्भ चित्र प्रदान किए हैं।
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