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भावनात्मक बुद्धिमत्ता (ई.आई.) भाग - 1
1.0 प्रस्तावना
वेबर की नौकरशाही तर्कसंगत प्रशासन के लिए पूर्णतः व्यक्तित्वहीनता और भावनाओं के अभाव को निर्धारित करती है। परंतु पिछले दशक में किये गए न्यूरो वैज्ञानिक अध्ययनों से स्पष्ट हुआ है कि तर्कशक्ति और भावनाएं मस्तिष्क के अलग-अलग हिस्से नहीं हैं। बल्कि वे बाह्यवर्ती रूप में परस्पर बुने हुए हैं। 19वीं सदी में चार्ल्स डार्विन ने दिखा दिया था कि भावनाएं मनुष्य के विकास के साथ ही अनुकूलित हैं। जोसेफ लेडुक ने कहा है, ‘‘कई भावनाएं विकासवादी ज्ञान के उत्पाद हैं, जिनमें इकट्ठे मानवी मस्तिष्कों से अधिक समझदारी है।‘‘ अनुसंधानकर्ताओं ने निर्णायक तौर पर दिखा दिया है, कि भावनाएं बुद्धिमान जागरूकता के रूप हैं। वे भावनाएं ही हैं, जो हमें मानव बनाती हैं। भावनाएं ही हमें बताती हैं कि हमारे लिए और अन्य लोगों के लिए क्या महत्वपूर्ण है। वे घटनाओं के अर्थों के संकेत देती हैं वे मनुष्यों को तर्कसंगत चयन के लिए आवश्यक दिशानिर्देशों के रूप में कार्य करती हैं। भावनाओं के दिशानिर्देशों के अभाव में मनुष्य अतार्किक और वास्तविकताओं से असंबद्ध हो जाते हैं।
वास्तविकता से असंबद्धत्ता ही ‘‘व्यावसायिक मानसिकता‘‘ (जॉन डेवी), ‘‘व्यावसायिक विकृति‘‘ (थोरसिन वेबलें), ‘‘प्रशिक्षित अक्षमता‘‘ (फिलिप सेल्जनिक) और ‘‘ब्यूरो-विकृति‘‘ (रॉबर्ट मेर्टोन) की सही परिभाषा है। अब हमारे पास इस बात के निर्णायक जैविक साक्ष्य उपलब्ध हैं कि भावनाओं द्वारा सूचना दिए बिना निर्णय क्षमता मस्तिष्कीय दृष्टी से असंभव है। शास्त्रीय मॉडल के विपरीत, जब भावनाओं का बुद्धिमत्ता के साथ संचार नहीं होता, तो निर्णय क्षमता मनमानी हो जाती है।भावनाओं पर नौकरशाही की सोच
- हमें अकुशल बना देती हैं
- कमजोरी का द्योतक हैं
- यह सटीक निर्णय में हस्तक्षेप करती हैं
- ध्यान विचलित करती हैं
- विवेकशीलता में बाधक हैं या तर्क करने की क्षमता को धीमा करती हैं
- यह मनमानी और अत्याचारी हैं
- तटस्थता को कमजोर करती हैं
- बृहद जानकारी के प्रवाह को अवरुद्ध करती हैं
- योजनाओं को जटिल बनाती हैं
- प्रबंधन को क्षीण बनाती हैं
भावनाओं पर आधुनिक न्यूरोसाइंस की सोच
- हमें प्रभावी बनाती हैं
- सामर्थ्य की द्योतक हैं
- सटीक निर्णय का आवश्यक अंग हैं
- हमें प्रोत्साहित करती हैं
- विवेकशीलता या तर्क करने की क्षमता में वृद्धि करती हैं
- विश्वास और संबंध पैदा करती हैं
- नैतिक मूल्यों को सक्रिय बनाती हैं
- महत्वपूर्ण सूचनाएं और प्रतिपुष्टि प्रदान करती हैं
- रचनात्मकता और नवीनता का सृजन करती हैं
- नेतृत्व क्षमता में वृद्धि करती हैं
2.0 बुद्धिमत्ता और भावनात्मक बुद्धिमत्ता
डगलस हॉस्टैडटर के अनुसार, बुद्धिमत्ता को निम्नलिखित आठ क्षमताओं के संदर्भ में परिभाषित किया जा सकता हैः
- स्थितियों पर लचीलेपन के साथ प्रतिक्रिया देना
- सही समय और सही स्थान का लाभ उठाना
- अस्पष्ट और विरोधाभासी संदेशों का अर्थ ठीक से समझना
- किसी स्थिति के विभिन्न महत्वपूर्ण तत्वों को पहचानना
- भिन्नताओं के कारण अलग दिखने वाली स्थितियों में समानताओं को ढूंढ़ निकालना
- समान दिखने वाली स्थितियों के बीच भिन्नताओं का पता लगाना
- पुरानी अवधारणाओं को नए तरीकों के साथ संयोजित करके नयी अवधारणाओं का संश्लेषण करना
- नवीन विचारों को विकसित करना
भावनात्मक बुद्धिमत्ता गहरे श्रवण से दर्ज होती है - स्वयं को गहराई से सुनना और दूसरों को गहराई से सुनना (क्रेमर 1995, 1999)। जो व्यक्ति भावनात्मक बुद्धिमत्ता में उच्च होते हैं, वे अपनी भावनाओं को सुनने का तरीका जानते हैं, और अपनी तीव्रता को विनियमित करते हैं और इसीलिए वे उनसे अपहृत नहीं होते। भावनात्मक दृष्टया बुद्धिमान व्यक्ति
- विध्वंसक भावनाओं को नियंत्रण में रखने की कला में पारंगत होते हैं
- उनकी भावनाओं के दूसरों पर पड़ने वाले प्रभाव को समझते हैं
- जानते हैं की अपनी शक्तिओं को कहाँ लगाना है और अपनी कमजोरियों की क्षतिपूर्ति किस प्रकार करना है
- दूसरों की भावनाओं को सुन सकते हैं और उनके साथ सहानुभूति रख सकते हैं।
- नैतिकता की दृष्टि से काम करते हैं और ईमानदारी और विश्वसनीयता के माध्यम से विश्वास का निर्माण करते हैं
- अपनी गलतियों को स्वीकार करते हैं और उनसे सीखते हैं
- नयी जानकारियों और नए विचारों के साथ सहज रहते हैं
- किसी समूह की भावनाओं की धाराओं को सुनने में दक्ष होते हैं और शक्ति संबंधों के प्रति विवेकी होते हैं
- असहमतियों के हल संवाद के माध्यम से निकाल सकने में सक्षम होते हैं
- दूसरों को ध्यान से सुनते हैं, और प्रभावी ढ़ंग से संवाद करने में सक्षम होते हैं
भावनात्मक रूप से बुद्धिमान व्यवहार लोगों के बीच के स्थान में आपसी समझ और विश्वास के पुलों के निर्माण के लिए एक पूर्व शर्त है -‘‘प्रशासनिक स्थान‘‘ में।
3.0 कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएं
भावनात्मक आत्म जागरूकताः अपनी भावनाओं और भावनात्मकता के प्रति जागरूक रहने की क्षमता, व्यक्ति क्या सोच रहा है और क्यों ऐसा सोच रहा है, और इन भावनाओं का जन्म किन कारणों से हुआ है यह जानने के लिए उनमें विभेद करने में सक्षम होना। खुली, ईमानदार करुणामय प्रतिक्रिया की आकांक्षा करना।
आग्रहिताः भावनाओं, मान्यताओं और विचारों को व्यक्त करने की क्षमता, अपने अधिकारों का गैर विनाशकारी ढंग से बचाव करना। मुखर व्यक्ति अतिनियंत्रित या शर्मीले नहीं होते। वे आक्रामक या अभद्र हुए बिना अपने आपको व्यक्त करने की क्षमता रखते हैं।
आत्म सम्मानः अपनी सकारात्मक और नकारात्मक अवधारणाओं और अपनी सीमाओं और संभावनाओं को स्वीकार करने की क्षमता। ऐसे व्यक्तिओं में आतंरिक शक्ति और आत्मविश्वास होता है।
आत्म यथार्थीकरणः अपनी संभावित क्षमताओं का एहसास करने की क्षमता। यह सार्थक समृद्ध और पूर्ण जीवन जीने के प्रयासों में शामिल है। आत्म यथार्थी - करण एक निरंतर और गतिशील प्रक्रिया है, जो व्यक्ति की योग्यता, क्षमता और प्रतिभा को अधिकतम करने के प्रयासों की द्योतक है। व्यक्ति सामान्य रूप से अपने आप में निरंतर सुधार करने के लिए प्रयास रत रहता है।स्वतंत्रताः संरक्षण और समर्थन की आवश्यकता, बनाम स्वायत्त कार्य करने की क्षमता। इन व्यक्तियों में आत्मविश्वास, आतंरिक शक्ति और अपेक्षाओं और दायित्वों के दास हुए बिना अपेक्षाओं और दायित्वों को पूरा करने की इच्छा होती है।
समानुभूतिः दूसरों की भावनाओं के बारे में जागरूक होने, उन्हें समझने और उनकी सराहना करने की क्षमता। लोगों की एक विशिष्ट प्रकार की सोच क्या है, वह ऐसी कैसे और क्यों बानी है इसके प्रति संवेदनशील होना। समानुभूति होने का अर्थ है, लोगों को ‘‘भावनात्मक रूप से पढ़ना‘‘
अंतर्वैयक्तिक संबंधः परस्पर संतोषजनक संबंध स्थापित करने और बनाए रखने की क्षमता, जिनकी विशेषता अंतरंगता और स्नेह देने और प्राप्त करने में निहित है। इसका अर्थ केवल मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करने की इच्छा तक सीमित ना होकर ऐसे संबंधों में सहज और आरामदायक रहने की क्षमता भी है।
सामाजिक उत्तरदायित्वः स्वयं को अपने सामाजिक समूह में एक सहकारी, योगदान देने वाले और रचनात्मक सदस्य के रूप में प्रदर्शित करना। यह वह क्षमता है, जिसमें यदि व्यक्ति का स्वयं का लाभ नहीं भी होता फिर भी उससे उत्तरदायित्वपूर्ण व्यवहार की अपेक्षा की जाती है। ऐसा व्यक्ति समुदायोन्मुख उत्तरदायित्व स्वीकार करता है।
समस्या निवारणः समस्याओं की पहचान करने और उन्हें परिभाषित करने के साथ ही समस्याओं के संभावित प्रभावी समाधान प्रदान करने और उन्हें लागू करने की क्षमता। यह व्यक्ति समस्या को तार्किक और विधिपूर्वक तरीके से समझता है और उसका सर्वश्रेष्ठ समाधान ढूंढ़ निकालता है। यह कौशल्य व्यक्ति की अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदान करने की इच्छा और समस्याओं से बचने की अपेक्षा उनका सामना करने की इच्छा से भी सम्बंधित है।
वास्तविकता परीक्षणः वास्तविकता बृहद रूप से क्या है और वह किस रूप में अनुभव की जा रही है, इसका आकलन करने की क्षमता। यह व्यक्ति भावनाओं, धारणाओं और विचारों की पुष्टि करने, उनका औचित्य समझने और उनका समर्थन करने के लिए व्यावहारिक सबूतों की खोज करता है सरल शब्दों में, वास्तविकता परीक्षण का अर्थ है तत्काल स्थिति के ‘‘आकार का सटीक अनुमान‘‘ लगाने की क्षमता।
लचीलापनः अपरिचित अप्रत्याशित और गतिशील परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को अनुकूल बनाने की क्षमता। लचीले व्यक्ति चुस्त, ऊर्जावान और बदलाव के प्रति कठोरता लिए बगैर प्रतिक्रिया देने में सक्षम होते हैं। ऐसे व्यक्ति यदि साक्ष्य के आधार पर समझते हैं कि वे गलत हैं, तो स्वयं के विचारों को बदलने की क्षमता रखते हैं आमतौर पर वे विभिन्न विचारों, झुकाव, तरीकों और प्रथाओं के प्रति खुले दिमाग के और सहिष्णु होते हैं।
तनाव सहिष्णुताः तनाव की स्थितियों में सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हुए, बिना टूटे, विपरीत घटनाओं और तनावपूर्ण स्थितियों को झेलने की क्षमता। इसमें समस्याओं के समाधान निकालना, आशावादी दृष्टिकोण बनाये रखना, तनाव मुक्ति के साधनों का ज्ञान होना और उनका उपयोग करने की क्षमता भी शामिल है।
आवेग नियंत्रणः कार्य करने की इच्छा, आवेग या प्रलोभन को रोकने या टालने की क्षमता। आवेग नियंत्रण की समस्याएं कम हताशा सहिष्णुता, आवेग, क्रोध पर नियंत्रण की समस्याएं, अभद्रता, आत्म नियंत्रण खोना और विस्फोटक और अप्रत्याशित व्यवहार से प्रकट होती हैं। कभी कभी इस कौशल को आत्म विनियमन या संतुष्टि को टालना भी कहा जाता है। इसमें आत्मनियंत्रण और अपनी भावनाओं पर काबू रखना भी शामिल है।
प्रसन्नताः अपने जीवन से संतुष्टि महसूस करना, स्वयं को और दूसरों को आनंद प्रदान करना और हमेशा मजे में रहने की क्षमता। खुशमिजाज व्यक्ति काम के समय और आराम करते समय सदा अच्छा महसूस करते हैं, ‘‘अपने बालों को नीचे रखने‘‘ में सक्षम होते हैं, और मजे के अवसरों का आनंद उठाते हैं। खुशी, भावनात्मक बुद्धिमत्ता और भावनात्मक कामकाज का प्रतिफल औरध्या एक समग्र डिग्री के बैरोमीटर का सूचक है।
आशावादः आशावाद जीवन के उज्जवल पक्ष को देखने और विपरीत परिस्थितियों में भी एक सकारात्मक दृष्टिकोण बनाये रखने की क्षमता को कहते हैं। आशावाद जीवन को एक आशा के दृष्टिकोण से देखने का प्रतीक है। आशावाद निराशावाद का विपरीत है, जो अवसाद का एक सामान्य लक्षण है।
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