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बोधगम्यता के मूल तत्व
निर्देशः नीचे कुछ गद्यांश दिये गये हैं, जिनके पश्चात् उन पर आधारित प्रश्न पूछे गये हैं। आप से आशा की जाती है इन गद्यांशों को सावधानी पूर्वक पढ़ने के पश्चात् आप प्रश्नों के उत्तर देंगे।
गद्यांश 1
इसे मैकबेथ कॉम्प्लेक्स भी कहा जाता है, जिसमें कोई भी व्यक्ति सफलता मिलने पर या उसके निकट होने पर अपराध बोध से ग्रसित हो जाता है। इस अपराध बोध की भावना के परिणामस्वरूप, व्यक्ति के अंदर ऐसे कार्य करने के भाव जागृत होते हैं, या ऐसा व्यवहार करने लगता है जो उसे सफलता दिलाने के विपरीत हो।
कॉलिन्स, मूल और उनवाला ने अपनी पुस्तक ‘द इन्टरप्राइजिंग मैन‘ में यह दर्शाया है कि अधिकांश उद्यमी स्वभावतः ऐसे होते हैं कि उनके अपने पिता के साथ अनसुलझे विवाद होते हैं। उनके अनुसार, अधिकांश उद्यमियों की मातायें भावानात्मक रूप से निकटता और प्यार का एक सम्मिश्रण होती हैं तथा उनके पिता उदासीन और निष्क्रिय होते हैं। बच्चा यह महसूस करता है कि उसने उसकी मां के प्यार को उसकी स्वयं की उपलब्धि के फलस्वरूप ‘जीत‘ लिया है और इसलिए उसके पिता को विस्थापित कर दिया है। लड़के में उत्पन्न यह भाव उसके अंदर एक गहरे अपराध बोध को पैदा करता है। जिसके कारण उसे यह भय पैदा होता है कि उसका पिता उससे इस बात का बदला लेगा।
व्यवसाय में सफलता एक प्रकार की चिंता उत्पन्न करती है जो वास्तव में अवचेतन में स्थापित इस भय के कारण होती है कि पिता उससे बदला लेगा। जब व्यक्ति सफल होता है, तब इस चिंता को दूर करने के लिए और इस अपराध बोध को कम करने के लिए व्यक्ति, अक्सर अपनी असफलता पर स्वयं को सजा देता है। आर्थिक हानि इस चिंता से मुक्ति प्रदान करती है और हारे हुए व्यक्ति के स्वभाव को भव्यता देती है। ऐसे व्यक्ति का व्यावसायिक जीवन अक्सर उतार चढ़ाव भरा होता है। अक्सर ऐसा व्यक्ति अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कठोर प्रयास करता है, किंतु जैसे ही लक्ष्य उसकी पहुंच में आता है, व्यक्ति स्वयं को ही नुकसान पहुचाने लगता है। सफलता को सहन करने की उसकी असक्षमता उसके व्यवहार को आक्रामक बना देती है।
एक उद्यमी-जैसा कि वर्णन किया गया है, अपने पिता की कम्पनी को इसलिए छोड़ देता है कि उसे अपना स्वयं का व्यवसाय प्रारंभ करना है, तो स्पष्ट है कि उसका अपने पिता के साथ एक स्पष्ट अनसुलझा मुद्दा है। यद्यपि उसकी क्षमतायें उल्लेखनीय हैं, तो भी वह दो बार तब असफल हो गया जब सफलता उसकी पहुंच में थीं। दोनों ही मर्तबा, जब ऐसा लग रहा था कि उसे कोई नहीं रोक सकता, उसने ऐसी गलतियां कीं जिसके कारण बहुत बड़ी हानि हुई। इन आर्थिक हानियों के दौर में वह ऐसा कुशल व्यवहार करता है जिसमें उसके उन सारे निवेशकां का हित सुरक्षित रखता है जिन्होंने उस पर सतत् विश्वास बनाये रखा। हालांकि, अपनी क्षमताओं को पूंजी में बदलने के लिए और निवेशकों के विश्वास को न्यायोचित सिद्ध करने के लिए, उसे पहले तो कृतज्ञता व्यक्त करनी थी और फिर अवचेतन में स्थापित आत्म-प्रवंचना के दौर को सुलझाना था। वह स्वयं को नुकसान पहुचाता है क्योंकि वह सफलता का सामना करने में अक्षम है। इसका अर्थ यह हो सकता है कि वह उसके पिता को विस्थापित कर रहा है।
सफलता का भय और असफलता का डर, दोनों ही स्वयं को नुकसान पहुचाने की असफलता के कारण होते हैं। इन अन्तर्तम के विवादों का सामना करने के लिए व्यक्ति को प्राथमिक तौर पर एक आत्मचेतना या अन्तर्दृष्टि की आवश्यकता होती है। अन्तर्दृष्टि-वास्तविक और उचित झलक इस बात की हम वास्तव में कौन है और हम ऐसा व्यवहार क्यों करते हैं, एक कठिन प्रक्रिया है जिसे मुश्किल से हासिल किया जा सकता है और जिसके लिए मनोवैज्ञानिक कष्ट सहन करने की क्षमता भी चाहिए। जैसा कि प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक कार्ल रॉजर्स ‘एनकाउण्टर गु्रप्स‘ में कहते है, ‘‘हम जागरण की प्रक्रिया से यह आशा करते हैं कि यह कष्टप्रद होगी यदि यह विकास की ओर ले जाती है-वास्तव में यह विश्वास किया जाता है कि सभी प्रकार का विकास तीव्र प्रवाहमान और विक्षोभ उत्पन्न करने वाला होता है तथा साथ ही यह संतुष्टिदायक भी होता है।‘‘ अन्तर्दृष्टि, यद्यपि कष्टदायक होती है तो भी विकास के लिए आवश्यक इकाई है। केवल तब ही जब हम जानते हैं कि वे कौन से तत्व हैं जो हमें इन बंधनों में बांधे रखते हैं। सामान्यतः असफलता का भय किसी कार्य को प्रारंभ करने में आने वाली परेशानियों के रूप में प्रदर्शित होता है। असफलता के भय से ग्रसित लोग कार्य को टालते हैं, छोड़ देते हैं या भविष्य के लिए रोक देते हैं और ऐसा तब तक करते हैं जब तक कि संकट उत्पन्न न हो जाये और जब करते भी हैं तब बहुत थोड़ा सा, और बहुत देर से। सफलता का भय अंतिम परेशानियों में दिखाई पड़ता है। ऐसे लोग एक मजबूत शुरूआत करते हैं और पूरी शक्ति के साथ अंत की ओर पहुंचते हैं, किन्तु जब सफलता बहुत निकट होती है, ऐसे गैर जिम्मेदाराना निर्णय ले लेते हैं जो प्रारंभ में किये गये सारे कठोर परिश्रम पर पानी फेर देते हैं। तुम्हारे व्यवहार करने की पद्धति ही तुम्हें यह बता सकती है कि तुम इन दो प्रकार के ‘भय‘ में से किससे ग्रसित हो, और किस सीमा तक।
- इस गद्यांश के अनुसार, एक व्यक्ति जो मैक्बेथ कॉम्प्लेक्स से ग्रसित होता है, वह
- मूल रूप से डरपोक होता है
- भयानक संकट में भी निडर खड़ा रहता है
- उतार-चढ़ाव वाला व्यवसायिक ग्राफ प्रदर्शित करता है
- सफलता के प्रति चिन्तित होता है
- आत्म विनाशक असफलता के क्या कारण होते हैं?
- मेक्बैथ काम्प्लेक्स
- किसी के भी करियर में उतार-चढ़ाव आना
- सफलता और असफलता का भय
- प्रारंभिक और अंतिम कठिनाईयां
- एनकाउण्टर गु्रप्स का लेखक इस गद्यांश में क्या कहता है?
- उद्यमियों के उनके पिता के साथ अनसुलझे विवाद होते हैं।
- चेतना की प्रक्रिया सभी के लिए हमेशा कष्टदायक होती है।
- चेतना की प्रक्रिया कष्टदायक तभी होती है जब यह विकास की ओर ले जाती है।
- उद्यमी अक्सर मैक्बेथ काम्प्लेक्स के शिकार होते हैं।
- उद्यमी जिनके बारे में यह गद्यांश व्याख्या करता है, आर्थिक हानि के दौर में कैसा व्यवहार करता है?
- वह सनकी और अविश्वासी हो जाता है।
- वह अपने सारे निवेशकों का हित सुरक्षित रखता है जो उस पर विश्वास बनाये रखते हैं।
- वह सारे काम कुछ समय के लिए रोक देता है।
- वह स्वंय के लिए सारी चीजें निषिद्ध कर देता है।
- इस गद्यांश का उचित शीर्षक क्या होना चाहिए ?
- आत्मविनाशक असफलता
- मैक्बेथ काम्प्लेक्स
- सफलता का भय
- असफलता का भय
गद्यांश 2
इस शताब्दी का सबसे बड़ी नाटकीय वैज्ञानिक और रोमांचक कार्य अंतरिक्ष की खोज है। हम अभी तक यह समझ कर संतुष्ट नहीं हैं कि यह अनंत है। हमें ऐसे सीमा चिन्ह चाहिए जो उपग्रहों के लिए प्लेटफार्म बन सके या ऐसे गणितीय ढाँचे की खोज में है, जहाँ हम हमारे अंतरिक्षीय वाहनों को पहुँचा सके। हम अंतरिक्ष को समझना चाहते है; इसे परिभाषित करना चाहते हैं; एक अर्थ में हम इसका उपयोग करना चाहते हैं। एक अन्य महान ब्रहमाण्डीय वास्तविकता समय है। हम अपने सांसारिक अस्तित्व के दोनों छोर के बारे में अटकलें लगा सकते हैं। हम अगम्य मौत के रूप में अमरता में विश्वास कर सकते हैं; किन्तु अंतरिक्ष को परिभाषित करने के हमारे प्रयासों में हमें समय को भी शामिल करना चाहिए कि हम कहां हैं। हम जानते है कि मनुष्य को एक औसत समय दिया गया है। इस दिये गये समय में हम क्या कर सकते हैं वह यह है कि हमारी चिंतायें क्या हैं। हमारी सबसे पहली प्राथमिकता यह है कि हमारी पहुँच के अंदर वाले समय को छोटे हिस्सों में विभाजित करना है जैसे कि अगले सप्ताह, अगले दिन, अगले घण्टे या इसी समय।
हम सभी इस बात में विश्वास रखते हैं कि संक्षिप्त होने के लिए जिंदगी बहुत ही छोटी है। तो भी सबसे बड़ी हताशा यह है कि अधिकांश जिंदगी वैसी ही है। शायद अंतरिक्ष की खोज से ज्यादा महत्वपूर्ण और नाटकीय यह है कि हम समय के उपयोग का अन्वेषण करते हैं। जॉन होव ने कहा है, ‘‘जिंदगी को फेंक देने के भय से डरना कितना मूर्खतापूर्ण है, और तो भी इसे थोड़ा-थोड़ा दूर फेंकना का कोई अर्थ नहीं है।‘‘
अंतरिक्ष की ही तरह हम समय को केवल अनंत कहने की स्थति से संतुष्ट नहीं हैं। कई लोगों के लिए महत्वपूर्ण सवाल है, ‘‘मैं अपने समय का प्रबंधन किस तरह कर रहा हूँ‘‘? बहुत व्यस्त व्यक्ति जिनकी कई जगह मांग होती है, के पास अपने हाथ में समय नहीं होता। उनका प्रत्येक अगला घण्टा सुव्यवस्थित तरीके से नियोजित होता है। यह नियोजन या प्रबंधन, ही वह तत्व है जो लोग हासिल करने का प्रयास करते हैं, और जब वे इसे स्वंय करने में अक्षम हो जाते हैं, तो वे अपने समय के नियोजन के लिए दूसरे लोगों को नियुक्त करते हैं। ‘‘कहो मुझे क्या करना है‘‘। ‘‘अब आगे मुझे क्या करना है?‘‘ हमें जिस चीज की जरूरत है वह है नेतृत्व।
भूख का नियोजन करना भूख को पहचानने का परिणाम होता है, जो भूख के प्रारंभिक संकेतों से बढ़ता है। छोटे बच्चे के पास समय को नियोजिन करने की आवश्यक समझ नहीं होती है। किंतु वह उन चीजों को करते जाता है जो उसे समय-समय पर अच्छी लगती है। जैसे-जैसे उसकी उम्र बढ़ने लगती है वह सीख जाता है कि भविष्य के अच्छे परिणाम के लिए किस प्रकार छोटे लालचों को टालना पड़ता हैः ‘‘मैं बाहर जा सकता हूं और सुसी के साथ समोसे खा सकता हूँ, किन्तु यदि मैं 20 मिनट और इंतजार करता हूँ तथा मेरी पोशाक को अच्छी रखता हूँ तो मैं पिताजी के साथ खरीदी करने के लिए मॉल में जा सकता हूँ।‘‘ वास्तव में समय को नियोजित करने में यह एक समस्या हैं। कौन सी क्रिया ज्यादा आनंददायक होगी? या किसमें ज्यादा बड़ा लाभ होगा? जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं हमारे पास विकल्पों की संख्या बढ़ती जाती है। हालांकि, ठीक नहीं है वाली स्थिति हमें इन विकल्पों पर सतत् रूप से विचार करने पर मजबूर करती रहती है।
लोगों के बीच होने वाली अर्न्तक्रियाओं के निरीक्षण से हम छः प्रकार के अनुभव, जो इन सभी अर्न्तक्रियाओं का सार हैं, को स्थापित करने में सक्षम हुए हैं। ये क्रियाएं हैं-पीछे हटना, कर्मकांड़, गतिविधियां, समय गुजारना, खेल और निकटता।
पीछे हटना यद्यपि ऐसी क्रिया नहीं है जो किसी दूसरे व्यक्ति के साथ सम्पन्न हो, तो भी यह सामाजिक परिवेश में पूर्ण हो सकती है। एक व्यक्ति जो अपने नीरस साथियों के साथ भोजन कर रहा हैं, तो वह रात के ख्वाबों की परिकल्पनाओं में हो सकता है। उसका शरीर अभी भी भोजन की मेज पर होगा, किन्तु वह नहीं। किसी सुहानी दोपहर में विद्यालय की कक्षाएं ऐसे शरीरों से भरी पड़ीं हांगी जो तरण-ताल में तैरना चाह रहें हो या जो अंतरिक्ष में उड़ते रॉकेट पर निशाना लगाना चाहते हों या वे इस तथ्य को याद कर रहे हो कि पेड़ के नीचे चुम्बन लेना कितना अच्छा था। जब लोग इस किस्म के ख्यालों में डूबते हैं तो यह हमेशा निश्चित रहता है कि यह विचार उन्हें उन लोगों से दूर ले जाते है जिनके साथ वे सशरीर हैं। यह पूर्ण रूप से नुकसान-रहित होता है जब तक कि तुम्हारी पत्नी तुमसे बात नहीं कर रही हो!
रीति-रिवाज समय का सामाजिक रूप से नियोजित किया गया ऐसा उपयोग होता है जहां प्रत्येक व्यक्ति समान कार्य करने पर सहमत होता है। यह सुरक्षित है, इसमें किसी दूसरे के प्रति कोई समर्पण या सलंग्नता नहीं होती, इसका परिणाम निश्चित होता है, और यह सुखद भी हो सकता है यदि आप सही समय पर सही चीजें कर रहे है। रीति-रिवाज कई प्रकार के होते हैं जैसे- पूजा-पाठ, एक दूसरे को बधाई देना, कॉकटेल पार्टी करना या शयन कक्ष के रीति-रिवाज। रीति-रिवाज इस तरह गढ़े जाते हैं कि लोगों का एक समूह घण्टों तक एक दूसरे के साथ बिना एक दूसरे को जाने रह सके। वे ऐसा कर सकते है किन्तु करते नहीं हैं किसी चर्च में भीड़ में प्रवचन सुनने जाना ज्यादा सुविधाजनक हो सकता है अपेक्षाकृत इसके की वे किसी पुर्नउद्धार केन्द्र में जाकर सेवा करें। ऐसे लोगों के लिए अंधेरे में बनाये गये शारीरिक सबंध कम बुरे हो सकते हैं जिनके लिए शारीरिक निकटता का अर्थ व्यक्तित्व की निकटता से नहीं होता है। किसी कॉकटेल पार्टी में आत्मीयता सम्भावना इस बात की बजाय कम हो सकती है कि 6 लोग रात का भोजन साथ में करें। वास्तव में एक दूसरे के प्रति समर्पण कम होता है इसलिए परिपूर्णता भी कम होती है। पीछे हटने की तरह ही, रिवाज हमें अलग-थलग रखते है।
बेर्न्स के अनुसार एक गतिविधि समय को नियोजित करने की वह सामूहिक सुविधाजनक, आरामदायक और उपयोगितावादी विधि है जिसमें ऐसी योजना को मूर्त रूप दिया जाता है जिसमें बाह्य संसार की वास्तविकताओं का सामना किया जा सके। व्यापारिक कार्य करना, मकान बनाना, पुस्तक लिखना, बर्फ पर स्केटिंग करना तथा परीक्षा के लिए पढ़ाई करना जनसाधारण के लिए की जाने वाली गतिविधियां हैं। यह गतिविधियां, चाहे वें उत्पादक हो या रचनात्मक, उच्च रूप से संतुष्टि दायक होती हैं। वें भविष्य में भी की जाने वाली गतिविधि में भी संतुष्टि की वाहक हो सकती हैं और ऐसा करने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति के साथ निकटता से जुड़ना आवश्यक भी नहीं होता। ऐसा हो सकता है, किन्तु ऐसा हो ही, यह जरूरी नहीं है। कुछ लोग अपने कार्य का उपयोग निकटता को टालने के लिए करते हैं, रात में कार्यालय में बैठ कर कार्य करना, दोस्त बनाने की अपेक्षा लाखों लोगों को तैयार करना, ऐसे ही उदाहरण हैं। गतिविधियां भी, रीति, रिवाज व पीछे हटने की भांति ही, हमें अलग- थलग रख सकती हैं।
- लेखक इस कथन से न्यूनतम सहमत होगा कि
- हमारी पहली प्राथमिकता यह होती है कि हम हमारे निकटतम समय में क्या करना चाहते हैं जैसे कि हम अगले सप्ताह, अगले दिन या अगले घण्टे आदि में क्या करेंगे।
- हम यह मानते हैं कि संक्षिप्त होने के लिए जीवन बहुत छोटा है।
- हमारे जीवन की सबसे बड़ी निराशा यह है कि वह इतना व्यस्त हो गया है।
- समय को लेकर हमारा अन्वेषण अंतरिक्ष की खोज की तुलना में ज्यादा महत्वपूर्ण और नाटकीय है।
- ‘‘अंतरिक्ष की तरह ही हम समय को केवल अनंत कहने से संतुष्ट नहीं हैं।‘‘ इस कथन के सापेक्ष निम्न में से क्या सत्य है?
- कई लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण समस्या समय प्रबंधन की होती है।
- कई व्यस्त व्यक्ति जिनकी बहुत ज्यादा माँग होती है के पास समय नहीं होता है।
- कई लोगों के लिए समय नियोजन बहुत कठिन होता है इसलिए वे ऐसा करने के लिए दूसरे लोगों की ओर देखते हैं।
- उपरोक्त सभी
- ‘‘इस शताब्दी की सबसे नाटकीय रोमांचक खोज अंतरिक्ष का अन्वेषण है‘‘ निम्न में से किसे छोड़कर बाकी सभी इसका कारण हो सकते हैं?
- इसे अनंत मानकर हम खुश नहीं हैं।
- हमें कुछ चिन्ह चाहिए, जो हमारे उपग्रहों के लिए प्लेटफार्म हों या जिसमें हम हमारे उपग्रहों को भेज सकें
- हमें अंतरिक्ष की समझ चाहिए
- हमें अंतरिक्ष की समझ को परिभाषित करने की आवश्यकता है ताकि हम उसका इस्तेमाल कर सकें
- ‘‘पीछे हटना यद्यपि एक अर्न्तक्रिया नहीं है तो भी यह सामाजिक परिवेश में घटित हो सकती हैः‘‘ इस कथन के सापेक्ष निम्न में से कौन सा कथन सत्य है?
- एक व्यक्ति किन्हीं ऐसे उबाऊ लोगों के साथ भोजन कर रहा हो जो स्वंय की बातों में डूबे हों तो वह अपने आप में ही खो जाएगा।
- अपने सहकर्मियों से निरपेक्ष रहकर यह तथ्य छुपाने में सफल भी हो।
- जब कोई व्यक्ति अपनी कल्पनाओं में डूबता है तो वह मानसिक रूप से दूर चला जाता है; ऐसा अगर हर बार न हो तो नुक्सानदायक नहीं होता है।
- उपरोक्त सभी
- लेखक इनमें से क्या हो सकता है?
- व्यवसायिक मनोवैज्ञानिक
- व्यवसायिक अर्थशास्त्री
- समाज विज्ञानी
- समाचार पत्र का संपादक
गद्यांश तृतीय
आज हम किसी पार्टी की जीत नहीं बल्कि स्वतंत्रता का उत्सव मना रहे हैं ... जो इस बात का प्रतीक है न केवल एक युग का अंत हुआ है बल्कि एक नवीन शुरूआत भी हुई है ... यह प्रतीक है एक नवीन प्रक्रिया का तथा साथ ही परिवर्तन का जिसके लिए मैनें तुम्हारें और ईश्वर के सामने शपथ ली है, वही शपथ जो हमारे पूर्वजों ने 175 वर्षों पूर्व ली थी।
अब संसार बहुत अलग है, क्योंकि मनुष्य के हाथों में आज वह शक्ति है जिससे वह किसी भी प्रकार की मानवीय गरीबी और सभी प्रकार के मानवीय जीवन को समाप्त कर सकता है। तो भी, वह सारे क्रांतिकारी विश्वास, जिसके लिए हमारे पूर्वजों ने संघर्ष किया अभी भी संसार के सामने महत्वपूर्ण मुद्दे हैं ... विश्वास कि मनुष्य के अधिकार राज्य की दया से नहीं बल्कि ईश्वर के हाथों से आते हैं। हम यह भूलने का साहस नहीं कर सकते हैं कि हम उस पहली क्रांति के उत्तराधिकारी हैं।
संसार को इस बिन्दु से आगे बढ़ने दो ... मित्रों और दुश्मनों को साथ-साथ ... कि यह मशाल अमेरीका की नई पीढ़ी को सौंपी जानी है ... जिसने इस शताब्दी में जन्म लिया है, जिसका निर्माण युद्ध से हुआ है, जो एक कठिन और कड़वी शांति से अनुशासित हुई है, जिसे हमारे पूर्वजों की विरासत पर गर्व है ... और जो उन मानवअधिकारों की धीमी गति के विकास की गवाह नहीं बनना चाहती जिसे प्राप्त करने के लिए यह राष्ट्र समर्पित है और जिसके लिए हम आज भी समर्पित है ... घर में भी और पूरे संसार में भी।
प्रत्येक देश को यह जान लेना चाहिए कि ... चाहे यह अच्छी या बुरी इच्छा हो ... कि हम स्वतंत्रता और मुक्ति की स्थापना को सुनिश्चित करने के लिए कोई भी कीमत चुकाने, किसी भी बोझ को ढ़ोने, किसी भी कठिनाई का सामना करने, किसी भी मित्र का समर्थन करने, किसी भी शत्रु का विरोध करने के लिए तैयार हैं। इस बात की हम शपथ लेते हैं ...और ...।
संसार के विस्तृत इतिहास में, केवल कुछ पीढ़ियों को अधिकतम खतरे के समय स्वतंत्रता की रक्षा करने की भूमिका का अवसर मिला; मैं इस जिम्मेदारी से भागता नहीं हूँ ... मैं इसका स्वागत करता हूँ। मैं यह विश्वास नहीं करता हूँॅं कि हममें से कोई भी किसी अन्य पीढ़ी के साथ हमारी जगह परिवर्तित करना चाहेगा। वह उर्जा, विश्वास, समर्पण जो हम इस प्रयास में खर्च करेंगे हमारे देश को प्रकाशमान करेगा और जो भी इसमें सेवा करेंगे ... और प्रकाशित होंगे वह संसार को भी प्रकाशमान करेंगे...
..... और मेरे कई सारे अमेरीकी साथियों ... मुझसे यह मत पूछना कि तुम्हारे देश ने तुम्हारे लिए क्या किया है ... बल्कि यह पूछना कि तुम देश के लिए क्या दे सकते हो। मेरे देशवासियों ... यह मत पूछो कि अमेरीका तुम्हारे लिए क्या करेगा, बल्कि हम यह सोचें कि हम सब मिलकर मनुष्य की स्वतंत्रता के लिए क्या कर सकते हैं।
चाहे तुम अमेरीका के नागरिक हो या संसार के, स्वंय से इन्ही उच्च प्रतिमानों और बलिदानों के बारे में पूछो जिनके बारे में हम आपसे कहते हैं। हमारी चेतना ही हमारा पुरस्कार है, इतिहास ही हमारे कार्यो का सहीं मूल्यांकन करेगाः चलो उस भूमि का नेतृत्व करें जिससे हम प्यार करते हैं, उस महान ईश्वर का आशीर्वाद लेते हुए, किन्तु यह भी ध्यान रहें कि धरती पर ईश्वर का कार्य हमारा अपना होना चाहिए।
- गद्यांश में दर्शाये गये उत्सव से आशय है
- अत्याचारों और विदेशी शासन से स्वतंत्रता
- नये युग का उदय
- डेमोक्रेटिक पार्टी की जीत
- उपरोक्त में से कोई नहीं
- गद्यांश में वर्णित ‘‘ईश्वर के कार्य‘‘ से आशय है कि
- कार्य जो प्रत्येक व्यक्ति ने आजीविका के लिए करना चाहिए
- पुजारियों और धर्म का कार्य
- एक समान और न्यायपूर्ण संसार की रचना
- मनुष्य को मुक्ति का अनुदान देना, व इस हेतु राज्य को एक माध्यम बनाना
- कल की तुलना में संसार आज किन अर्थों में भिन्न है?
- आज यह अमेरीका के द्वारा शासित है, जो पहले नहीं था।
- मनुष्य के पास सभी प्रकार की मानवीय गरीबी और जीवन को नष्ट करने की शक्ति है
- यद्यपि मनुष्य ने विकास और सभ्यता के आदर्श स्थापित किये हैं तो भी वह प्राचीन परम्पराओं से चिपका हुआ है
- आज राज्य के माध्यम से व्यक्तियों के लिए ज्यादा मुक्ति और विकल्प उपलब्ध हैं
- यह गद्यांश प्रतीत होता है
- एक नेता के द्वारा दिये गये भाषण का अंश
- किसी मनमोहक ठग द्वारा दिया गया भाषण
- किसी मानवतावादी के द्वारा दिया गया भाषण जहां वह देशवासियों में समता और स्वतंत्रता की अलख जगाने का प्रयास कर रहा है।
- किसी प्रेरक पुस्तक का अंश जो लोगों को प्रेरित करने के लिए सरकार द्वारा प्रकाशित की गई है
- लेखक निम्न में से किस कथन से सहमत होता प्रतीत होता है?
- मनुष्य के लिए यह जरूरी है कि वह अपने अस्तित्व को न्यायोचित सिद्ध करे तथा अपनी योग्यता ईश्वर द्वारा निर्धारित कार्यों को पूर्ण कर प्रकट करे।
- एक योग्य नागरिक होने का एक मात्र पैमाना यह है कि व्यक्ति स्वंय की अपेक्षा मानवता के लिए कार्य करें।
- मानवीय मुक्ति अभी भी पूरे संसार में मूल अधिकार के रूप में मान्य नहीं है।
- मानव अधिकार हनन की घटनायें संसार भर में होती हैं तथा उन्हें विलगित घटनाओं की अपेक्षा वैश्विक घटना के रूप में देखा जाना जरूरी है।
पैसेज 4
ग्राउचो मार्क्स ने एक बार कहा था कि जब एक काली बिल्ली किसी का रास्ता काटती है तो उसका अर्थ यह है कि वह प्राणी कहीं जा रहा है। फिर भी घरेलू वातावरण के अनुकूल बने हुए इस बिल्ली प्रजाति के प्राणी की इन निरीह हरकतों के चारों ओर अंधविश्वासी भय का एक आवरण फैला हुआ है। उसी प्रकार-और हाल के समय में विशेष रूप से-हम किस बात से डर रहे है और वास्तव में हमारे साथ क्या घटता है इसके बीच असंबद्धता एक बड़ी खाई के अनुपात में बढ़ गई है। इस बात के लिए निहित स्वार्थों को धन्यवाद देना होगा जिन्होंने अपना उल्लू सीधा करने के लिए वास्तविकता की कीमत पर इस प्रकार के कृत्रिम डर फैलाये हुए हैं।
उदाहरण के लिए ग्राउचो के ही शब्दों में, आज कल यदि एक नस्लीय व्यक्तित्व का व्यक्ति किसी भी अमेरिकी हवाईअड्डे पर एक आत्मभिमानी सुरक्षा कर्मचारी के पास से गुजरता है, तो इसका भी सीधा मतलब यह है कि वह व्यक्ति कहीं जा रहा है-उसके चेहरे की विशेषताओं, आचरण या चाल-ढ़ाल के बावजूद। फिर भी, आतंकवाद के सर्वव्याप्त भय ने सभी को इतना जकडा हुआ है कि उसे जहाज में चढ़ने से पहले अलग बुलाया जाएगा, उसकी कपडे उतार कर तलाशी ली जायेगी, उससे पुलिसिया तरीके से पूछताछ की जायेगी तभी छोडा जाएगा। दुसरे यात्री जो बाद में इसी शंका की बीमारी से ग्रसित रहेंगे, यह तथ्य भूलकर कि 9/11 की घटनाएँ इतनी भयंकर होने के बावजूद, हवाई यात्रा रेलयात्रा के बाद, सबसे सुरक्षित परिवहन का माध्यम बना हुआ है।
समस्या यह है कि हमारा दिमाग लगातार एकतरफा प्राथमिकताओं से इतना अपमानित किया जा रहा है कि इस सारी प्रक्रिया में हमारा आशंकाओं का पदानुक्रम पूरी तरह से असंतुलित हो गया है। हम उन बातों से भयभीत हैं जिनसे डरने की कोई आवश्यकता नहीं है जबकि जिन बातों के बारे में हमें सावधानी बरतनी चाहिए उनकी ओर हम ध्यान नहीं देते हैं और उनके संबंध में हमारा व्यवहार भी सावधानीपूर्ण नहीं होता। उदाहरणार्थ, अफ्रीकन सफारी के दौरान एक नरभक्षी मांसाहारी द्वारा हमें खा लेने की संभावना न केवल दिमाग से बाहर की बात है, परंतु संभाव्यता की दृष्टि से भी ऐसा होने की संभावना सीमांत से भी काफी कम है। दूसरी ओर, एक रोग संवाहक मच्छर द्वारा हमें काटने की संभावना, और इसके परिणामस्वरूप किसी उप सहारा मलेरिया संक्रमण के उग्र रूप से पीड़ित होने का खतरा एक वास्तविक खतरा है, जिसकी हम में से ज्यादातर लोग तब तक परवाह नहीं करते जब तक हम इससे लगभग पीघ्ति नहीं हो जाते।
लगातार मंडराते युद्ध के खतरे के सम्बन्ध में भी यही बात है, जो हमारी सरकारें हमें मनवाने पर तुली हुई हैं, कि यह पूर्ण रूप से निश्चित ना सही पर हमेशा आसन्न खतरा निश्चित है। सैन्य जमावड़ा, परमाणु शस्त्र, सीमाओं पर होने वाली घटनाओं की अतिशयोक्ति, अस्थिर शक्ति संतुलन या शांति वार्ताएँ ये सब केवल मृत्यु के भय के विरुद्ध राष्ट्रवाद की एक नकली भावना निर्माण करने का परोक्ष लक्ष्य साध्य करते हैं। जबकि सत्य यह है कि भारत सहित सभी विकसित और विकासशील देशों में मृत्यु का प्रमुख कारण हृदयरोग है, जिसके बाद अगला प्रमुख कारण मस्तिष्क स्ट्रोक और कर्करोग है। युद्ध तो मृत्यु के दस प्रमुख कारणों की सूची में भी नहीं है।
इससे भी महत्वपूर्ण डर यह है कि हृदय रोग बड़ता जा रहा है। बीसवीं सदी के शुरू में सभी कारणों से होने वाली मृत्यु में हृदयरोग से होनेवाली मृत्यु का प्रतिशत 10 प्रतिशत था। आज यह आंकघ 30 प्रतिशत तक पहुँच गया है। ऐसा अनुमान है कि 1990 और 2020 के बीच अकेले हृदयरोग में विश्व के विकसनशील देशों की महिलाओं में 120 प्रतिशत तो पुरुषों में 137 प्रतिशत वृद्धि हो सकती है, जबकि आयुजन्य वृद्धि विकसित देशों में 30 प्रतिशत से 60 प्रतिशत के बीच हो सकती है। साथ ही, जब तक रोग का पता चलता है, रोग का मूल कारण, काफी साल से बढ़ते रहने के कारण, पर्याप्त विकसित अवस्था तक पहुँच चुका होता है। यही नहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, विश्व भर में एक बिलियन से अधिक वयस्कों का वजन आवश्यकता से अधिक है, जबकि 300 मिलियन लोग चिकित्सकीय मोटापे के शिकार हैं। अधिक चिंताजनक समस्या बच्चों में मोटापे में होने वाली वृद्धि है, जिसका परिणाम मधुमेह और उच्च रक्तचाप के मामलों में होनेवाली वृद्धि है। यदि ये प्रवृत्तियाँ बढ़ती रहीं तो आने वाले वर्षों में दुनिया के सभी देशों में मृत्यु दर में वृद्धि निश्चित है।
दूसरे शब्दों में, लोगों के डर को नजरअंदाज करने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि उनकी प्राथमिकताएँ बदलना आवश्यक है। यदि हम किसी प्रकार यह महसूस करना आरंभ कर दें, कि आतंकवाद, बम धमाके, और युद्ध से सम्बंधित डर इसलिए कमजोर करनेवाले होते हैं क्योंकि वे अधिकतर काल्पनिक होते हैं, तो शायद हम अधिक राहत महसूस कर सकेंगे, एक आराम का जीवन व्यतीत कर सकेंगे और अपना ध्यान हमारे जीवन के लिए अधिक खतरनाक कारणों की ओर लगा सकेंगे, जिनके निवारणयोग्य कारणों पर हमारे जीवन की अधिकतर बीमारियों का बोझ है। तब फिर हम उच्च रक्तचाप, तम्बाखू सेवन, हानिकारक और खतरनाक शराब का सेवन, उच्च कोलेस्ट्रॉल, अधिक वजन की समस्या और शारीरिक निष्क्रियता जैसी समस्याओं की ओर ध्यान देकर अपनी जीवन शैली में सुधार शुरू कर सकेंगे।
अज्ञात का डर ज्ञात के डर से बड़ा हो सकता है, परंतु इसका अनुपात भी विषम होता है। इसके बजाय हम जितनी तेजी से अपनी बुद्धि पर जोर डालेंगे उतनी तेजी से हम हमारे ध्यान देने योग्य वास्तविक विषयों की ओर ध्यान दे सकेंगे।
- गद्यांश के अनुसार लेखक घरेलू बिल्ली प्रजाति और नस्लीय व्यक्तित्व के व्यक्ति के बीच कौनसी अधोरेखित समानता सामने लाना चाहता है?
- दोनों विशिष्ट हैं घरेलू बिल्ली प्रजाति काली है, और नस्लीय व्यक्तित्व के व्यक्ति की अलग शारीरिक विशेषताएँ हैं।
- दोनों ही रास्ते काट रहे हैं और इसलिए बुराई के वाहक के रूप में चिन्हित हैं।
- रास्ता काटना दर्शाता है कि प्राणी कहीं जा रहा है।
- दोनों ही हानिकारक प्राणी हैं, जिनकी उपस्थिति अशुभ है और इसलिए जांच के अधीन है।
- दोनों ही निरीह प्राणी हैं, किंतु बुरे और हानिकारक माने जाते हैं और इसलिए जांच के अधीन हैं।
- गद्यांश के अनुसार हमें किससे अधिक भयभीत होना चाहिएः एक नरभक्षी मांसाहारी से या एक रोगाणु वाहक मच्छर से?
- एक नरभक्षी मांसाहारी द्वारा खाये जाने की संभावनाओं का डर एक रोगाणु वाहक मच्छर द्वारा काटे जाने के डर से अधिक हैः लेकिन चूंकि दूसरी बात की संभावनाएं पहली की सम्भावानों से कम हैं, हमें पहली बात से अधिक भयभीत होना जरूरी है, क्योंकि यह भी उतनी ही घातक हैं।
- एक नरभक्षी मांसाहारी द्वारा खाये जाने के डर की संभावनाएं एक मच्छर द्वारा काटे जाने के भय की सम्भावानों से काफी कम हैंः और चूंकि पहली बात की संभावनाएं दूसरी की सम्भावानों से कहीं अधिक भी हैं, हमें पहली बात से अधिक भयभीत होना चाहिए, क्योंकि वह भी उतनी ही घातक है।
- एक नरभक्षी मांसाहारी द्वारा खाये जाने के डर की संभावनाएं एक रोगाणु वाहक मच्छर द्वारा काटे जाने के डर से अधिक हैः किंतु चूंकि पहली की संभावनाएं दूसरी की संभावनाओं से कहीं कम हैं, हमें दूसरी बात से अधिक भयभीत होना चाहिए, जो उतनी ही घातक है।
- एक नरभक्षी मांसाहारी द्वारा खाये जाने के डर की संभावनाएं एक रोगाणु वाहक मच्छर द्वारा काटे जाने के डर से अधिक हैः और चूंकि पहली बात की संभावनाएं भी दूसरी से कहीं अधिक हैं, हमें पहली बात से अधिक भयभीत होना चाहिए, जो उतनी ही घातक है।
- एक नरभक्षी मांसाहारी द्वारा खाये जाने के डर की संभावनाएं एक मच्छर द्वारा काटे जाने के भय की सम्भावानों से काफी कम हैंः किन्तु पहली बात की संभावनाएं दूसरी बात की संभावनाओं से कहीं कम हैं, हमें दूसरी बात से अधिक भयभीत होना चाहिए, जो उतनी ही घातक है।
- युद्ध और हृदयरोग के बीच क्या तुलना की गई है?
- युद्ध और हृदयरोग दोनों घातक प्रवृत्ति के हैं, इसलिए हम दोनों से ग्रस्त हैं।
- हम युद्ध की आशंका और उसके परिणामों से अधिक भयभीत हैं- जो होने की संभावना बहुत ही कम है जबकि हमें हृदयरोग के विषय में अधिक चिंतित होना चाहिए, जो सारी दुनिया में मृत्यु का प्रमुख कारण बन रहा है।
- दोनों की संभाव्यताएं दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही हैं, जो हमारी पहले से ही अधिक बोझ तले दबी जीवनशैली में और अधिक जटिलताएं पैदा कर रही हैं।
- हम युद्ध की संभाव्यता और उसके परिणामों की अपेक्षा हृदयरोग से अधिक चिंतित हैं, जो मृत्यु का एक प्रमुख कारण बन रहा है।
- हम युद्ध की आशंका और उसके परिणामों से अधिक चिंतित हैं- जो होने की संभावना अधिक है, और मृत्यु का एक प्रमुख कारण बन रहा है परंतु हम हृदयरोग से होनेवाली मृत्यु की बढ़ती संख्या से भी चिंतित हैं।
‘‘अज्ञात का डर ज्ञात के डर से बड़ा हो सकता है, परंतु इसका अनुपात भी विषम होता है‘‘ इस वाक्यांश का क्या अर्थ है?
- अज्ञात का डर युद्ध का डर है, जो हमारे अंदर कम है; ज्ञात का डर, हृदयरोग से होने वाली मृत्युदर में वृद्धि है, जो हमारे अंदर अधिक है; परंतु ये डर अकारण हैं क्योंकि हृदयरोग में वृद्धि की तुलना में युद्ध की संभाव्यता काफी कम है।
- अज्ञात का डर युद्ध का डर है, जो हमारे अंदर कम है; ज्ञात का डर, हृदयरोग से होने वाली मृत्युदर में वृद्धि है, जो हमारे अंदर अधिक है; परंतु ये डर सकारण हैं क्योंकि हृदयरोग में वृद्धि की तुलना में युद्ध की संभाव्यता काफी कम है।
- अज्ञात का डर युद्ध का डर है, जो हमारे अंदर अधिक है; ज्ञात का डर, हृदयरोग से होने वाली मृत्युदर में वृद्धि है, जो हमारे अंदर कम है; परंतु ये डर अकारण हैं क्योंकि हृदयरोग में वृद्धि की तुलना में युद्ध की संभाव्यता काफी अधिक है।
- अज्ञात का डर युद्ध का डर है, जो हमारे अंदर अधिक है; ज्ञात का डर, हृदयरोग से होने वाली मृत्युदर में वृद्धि है, जो हमारे अंदर कम है; परंतु ये डर अकारण हैं क्योंकि हृदयरोग में वृद्धि की तुलना में युद्ध की संभाव्यता काफी कम है।
- अज्ञात का डर युद्ध का डर है, जो हमारे अंदर अधिक है; ज्ञात का डर, हृदयरोग से होने वाली मृत्युदर में वृद्धि है, यह भी हमारे अंदर अधिक है; परंतु ये डर अकारण हैं क्योंकि हृदयरोग में वृद्धि की तुलना में युद्ध की संभाव्यता काफी कम है।
- गद्यांश से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि
- हमारी प्रवृत्ति बीमारियों के वास्तविक कारणों की अपेक्षा मीडिया द्वारा प्रचारित से डरने की अधिक होती है।
- हमारे अंदर प्राथमिकताओं की एक विषम भावना होती है, जो हमें आसन्न और संभावित खतरे के गलत विश्वासों की ओर ले जाती है।
- मीडिया द्वारा प्रचारित किया गया युद्ध और आतंकवाद का प्रचार हमें अज्ञात के एक तर्कहीन डर की दिशा में प्रेरित करता है।
- हृदयरोग हमारी प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर होना चाहिए, क्योंकि पिछले कई वर्षों से इनमें लगातार वृद्धि हो रही है।
- 9/11 के बाद नस्लीय अलगाव एक तर्कहीन स्तर तक बढ़ गया है, जिसने डर की हमारी वास्तविक प्रवृत्ति को उजागर कर दिया है।
गद्यांश 5
पूंजी खड़ी करने का क्षण वह क्षण है, जब आप एक अजन्मे बच्चे में जान फूंकते हैं। यह परिभाषित करने वाला क्षण है, वह क्षण जो आगे आने वाली कई बातों पर गहरा, व्यापक प्रभाव छोड़ने वाला है। उद्यमी, कोई उनके स्वप्न उद्यम में पैसा लगाने का इच्छुक है या नहीं इस तथ्य से पहले अपने स्वप्न को बेचने को इतने आतुर रहते हैं, कि वे एक महत्वपूर्ण तथ्य को नजरअंदाज कर देते हैंः और वह तथ्य है पैसे की प्रवृत्ति।
आज की दुनिया में, बहुत अधिक पैसा काफी कम उपलब्ध अच्छी आइड़ियाओं के पीछे भाग रहा है, व इसके विपरीत नहीं दिखाई देता। तो यदि आप के पास एक अच्छा विचार है, और उस पर परिश्रम करने वाले साथियों का एक समूह है, तो पूँजी की कोई कमी नहीं है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने उद्यम को वित्त पोषण करने वाले स्रोत के बारे में सावधानीपूर्वक निर्णय करें।
आप के पास अपने उद्यम को वित्तपोषण करने के लिए कई स्रोत उपलब्ध हैं, और आपको आपकी विशिष्ट परिस्थिति के अनुसार सही निर्णय करना है। कोई भी कार्य शुरू करने से पहले यह उचित होगा कि आप आस-पास के इसी तरह के स्थापित उद्यमों की स्थिति पर अच्छी तरह से नजर डाल लें, ऐसे व्यक्तियों से संपर्क करें जो टीआयई (इंडस उद्यमियों) जैसे संगठनों के सदस्य हैं, और जानकार और भरोसेमंद वित्तीय व्यक्तियों से सलाह करें, ताकि आप अपने उद्यम को वित्तपोषण करने वाले सही स्रोत का चुनाव कर सकें। यहाँ ‘‘एक आकार सभी के लिए योग्य है‘‘ जैसे समाधान उपलब्ध नहीं हैं। यदि आप के पास एक ऐसा विचार है जिसमें पूर्णकालिक समय देकर काम करना आवश्यक है, और आप को इसके लिए कुछ कार्यशील पूंजी की आवश्यकता है, तो देख लें कि क्या आप अपनी स्वयं की बचत या एक छोटे ऋण से काम चला सकते हैं? यदि यह एक ऐसा उपक्रम है जिसमें आपके जैसे कई लोगों को एक वर्ष तक खपना पड़ेगा तो एक एन्जिल निवेशक के बारे में विचार कर सकते हैं- आम तौर पर एक धनाढ्य निजी निवेशक, जो आपको आपके शुरूआती पांच लाख डॉलर देता है। उद्यम पूँजी के बारे में आपको बाद में ही विचार करना चाहिए। आम तौर पर, उद्यम पूँजी निधि के दो प्रकार होते हैं- शुरूआती अवस्था और बाद की अवस्था। शुरूआती अवस्था की पूँजी निधि कुछ मिलियन डॉलर्स की हो सकती है, और इसके बदले में उद्यम निवेशक उद्यम में स्वामित्व का बड़ा हिस्सा चाहेगा। निधि कम से कम कुछ वर्षों तक के लिए पर्याप्त होनी चाहिए जो आपके लिए पर्याप्त शुरूआती समय का मार्ग प्रशस्त कर सके-इतना पर्याप्त समय जो आपको दुसरे चक्र के पूँजी निवेशकों की ओर उड़ान भरने का पर्याप्त समय व अवसर प्रदान कर सके। आम तौर पर यदि आपका उद्यम अच्छी तरह से चल रहा है, और एक मूल्यवान निर्मिति की दृष्टि से सही आकार ले रहा है, और आपके पूँजी निवेशक के साथ रिश्ते स्वस्थ हैं, तो आपका निवेशक स्वयं आपको अगला निवेशक उपलब्ध कराने में सहायता करेगा।
जैसे-जैसे आप बाहरी पूंजीनिवेश बढ़ाते जाते हैं, आप कंपनी में अपने स्वामित्व को कमजोर करते जाते हैं। इसलिए अंत में आपको, आप जितनी निधि उठा रहे हैं और बदले में आप कंपनी में अपने स्वामित्व का अधिकार कितना शिथिल कर रहे हैं, इन दो बातों में एक सही संतुलन स्थापित करना होगा। सही युक्ति यह है कि आपकी कार्यशील पूँजी समाप्त होने से पहले आप पर्याप्त निधि, सही निवेशकों से उठा लें। निधि प्राप्त करने की प्रक्रिया एक पूर्णकालिक कार्य है, और यदि आपको यह बार-बार करना पड़ा तो, यह आपके उद्यम में वास्तविक काम करने में काफी विचलन निर्माण करेगा। इसलिए एक उद्यमी को इस मार्ग पर बहुत सावधानीपूर्वक चलना चाहिए। सही निवेशक का चुनाव एक वैवाहिक संबंध की तरह होता है-रोमांचक और जोखिम भरा। जैसे आप वैवाहिक सम्बन्ध के बारे में सावधानी बरतते हैं, ठीक उसी प्रकार, यहाँ भी आप अपनी गाडी को काफी बातों पर विचार किये बिना अड़चन में नहीं डाल सकते। तो अब हम कुछ स्वर्णिम नियमों की बात करते हैं। मेरा ऐसा मानना है कि जैसे ही हम एक विकल्प चुनते हैं, उसी समय हम इससे होने वाले परिणामों का भी चुनाव कर लेते हैं। सही निवेशक का चुनाव इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इसका कोई विज्ञान या शास्त्र नहीं है, और कई बार आपको आपका निर्णय अपनी अंतर्भावना के आधार पर ही करना होता है। मैं ऐसे कई उद्यमों को जानता हूँ जो केवल इसलिए असफल हुए क्योंकि उद्यमियों ने सही निवेशकों के चुनाव में पर्याप्त सावधानी नहीं बरती।
यह महत्वपूर्ण है कि आप ऐसे निवेशक चुनें जो आपके व्यवसाय को समझते हों-दुसरे शब्दों में, ‘‘ढेर पूँजी‘‘ से बचें। जब बाजार में यह खबर फैलती है कि आप निवेशक की खोज में हैं, तो काफी लोग आपको अपनी पूँजी के प्रस्ताव देंगे-काफी लोग यह आश्वासन भी देंगे कि वे आपके काम में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। केवल हस्तक्षेप ना करना किसी से पूँजी उठाने के लिए कारण नहीं हो सकता। जो भी अपना परिश्रम से अर्जित पैसा लगाएगा, वह निश्चित रूप से उसके लिए आप को जवाबदेह मानेगा और उसे मानना भी चाहिए, और आप इस अनुशासन को अंगीकृत कर लें तो बेहतर होगा। यह सभी की दृष्टी से अच्छा है, विशेष रूप से आतंरिक नियंत्रण की दृष्टि से, क्योंकि जब वित्तीय जवाबदेही होगी तो कार्य पद्धतियाँ और प्रक्रियाएँ सही प्रकार से कार्यरत होंगी। प्रत्येक तिमाही में एक बार अपने निवेशकों के साथ एक सकेंद्रित चर्चा करना संगठन के स्वास्थ्य की दृष्टि से आवश्यक है।
- लेखक सोचता है कि पैसे की प्रवृत्ति महत्वपूर्ण पैमाना है क्योंकि
- एक सही कल्पना और सही टीम के साथ पूँजी जुटाना कठिन नहीं है।
- सावधान रहकर, और यह सोचकर कि एकबार ही पूँजी जुटाना है, हम स्वामित्व के शिथिलीकरण से बच सकते हैं।
- पूँजी जुटाने की प्रक्रिया एक पूर्णकालिक कार्य है, और यदि यह आपको बार-बार करना पड़े, तो यह आपके संगठन चालाने के वास्तविक कार्य में एक बड़ा विचलन बन जाता है।
- उद्यम पूँजी के बारे में विचार करने से पहले उद्यमी को एक निजी निवेशक खोजने का प्रयास करना चाहिए
- अविश्वसनीय स्रोतों से आने वाली पूँजी संगठन के विकास में गंभीर खतरा निर्माण कर सकती है।
- गद्यांश सुझाव देता है कि उद्यमी को ऐसे निवेशक नहीं लाने चाहियें जो व्यवसाय को ना समझते हों, क्योंकि
- जब आपको पूँजी की आवश्यकता होगी तो निवेशक ‘‘कोई हस्तक्षेप नहीं‘‘ करने का वादा करेंगे परंतु बाद में आपको जवाबदेह मानेंगे।
- जो समझते हैं उनके लिए वित्तीय जवाबदेही आतंरिक नियंत्रण, व्यवस्थित कार्यपद्धतियों और प्रक्रियों की दृष्टि से सही है।
- जो आपके कार्य को समझते ना हों उनकी ओर से ‘‘अहस्तक्षेप‘‘ निवेशकों द्वारा पूँजी उपलब्ध कराने के लिए एक सयुक्तिक कारण नहीं हो सकता।
- उद्यम पूँजी निवेशक बदले में स्वामित्व के एक बड़े हिस्से की अपेक्षा करते हैं
- वे ऐसी सलाह के सुझाव देंगे जो शायद प्रासंगिक ना हों और संभवतः हानिकारक हों।
- ‘ढेर पूँजी‘‘ वर्ज करने का तात्पर्य किन स्रोतों से पूँजी जुटाने से है?
- जो निवेशक ‘‘अहस्तक्षेप के आश्वासन‘‘ देते हैं।
- निवेशक व्यवसाय में सक्रीय रूप से भाग लेते हैं।
- वे निवेशक जो आपके व्यवसाय को समझते हैं
- आपकी अंतर्भावना के अनुसार जो निवेशक सही हैं।
- वे निवेशक जो बड़ी मात्रा में बेहिसाबी धन का आश्वासन देते हैं।
- गद्यांश के अनुसार पूँजी के लिए सही निवेशक के चुनाव का क्या अर्थ है?
- शुरुआत में स्वयं अपनी बचत और छोटे ऋणों का उपयोग करना।
- पहले एक धनाढ्य निजी निवेशक को ढूंढना और बाद में उद्यम पूँजीदाता को।
- जानकार और विश्वसनीय वित्तीय व्यक्तियों से पूँजी संग्रह करना।
- आपकी कल्पना की आवश्यकताओं के अनुसार पूँजी जुटाने के रास्तों का मिलान करना।
- शुरुआत में एक से अधिक स्रोतों से छोटे ऋण जुटाना।
- कंपनी में स्वामित्व के शिथिलीकरण के खतरे से बचना किस प्रकार सुनिश्चित किया जा सकता है?
- कार्यशील पूँजी समाप्त होने से पहले पर्याप्त निधि जुटाना।
- स्वयं की निधि जुटाने के पश्चात उद्यम पूँजी दाताओं से पूँजी जुटाना।
- धन जुटाने की प्रक्रिया और परिचालन गतिविधि में अंतराल रखना।
- कार्यशील पूँजी की पर्याप्तता सुनिश्चित करना।
- इतने पूँजी संसाधन जुटाना कि वे कुछ वर्षों के लिए पर्याप्त हों।
पैसेज 6
सफल फिल्मों का चरम चाहे पार हो चुका हो, फिर भी मीडिआ के विषय में हमारी मान्यताओं पर इसका प्रभाव अभी कायम है। प्रचलित मीडिआ और मनोरंजन उद्योग आज भी सफल फिल्मों की खोज, उनके वित्त पोषण और ऐसी फिल्मों का निर्माणोन्मुख है।
मनोरंजन उत्पाद, चाहे वे फिल्मे हों, टेलीविजन शो हों या एल्बम हों, उनका निर्माण, विपणन और वितरण एक महँगी प्रक्रिया हो सकती है। उदाहरण के लिए, एक औसत हॉलीवुड निर्माण की लागत 6 करोड डॉलर है, जबकि इसे विपणन करने के लिए लगभग इतनी ही अतिरिक्त राशि की आवश्यकता होती है। फिर भी,कौन सी फिल्में उपभोक्ताओं के साथ आवश्यक संवाद साध सकेंगी, यह हमेशा ही अप्रत्याशित रहा है, शायद इसीलिए आजमाए हुए और विश्वसनीय अभिनेता इतने ऊंचे मेहनताने के अधिकारी होते हैं-वे बुरी तरह से अप्रत्याशित इस व्यापार को कुछ हद तक प्रत्याशित बनाते हैं। किंतु स्थापित सफल फिल्मी सितारे भी असफल फिल्में देते हैं, इसीलिए स्टूडियो, लेबल और नेटवर्क एक पोर्टफोलियो दृष्टिकोण का सहारा लेते हैं, ताकि उनकी जोखिम विस्तारित हो सके।
उद्यम पूँजी आपूर्तिकर्ताओं की तरह वे भी अपने दांव कई परियोजनाओं में, हर एक में पर्याप्त पैसा लगा कर इस प्रकार विस्तारित कर देते हैं, कि उसे एक अत्यधिक सफल फिल्म बनने का अवसर प्रदान किया जा सके। उनका यह अनुमान होता है कि बुरी से बुरी अवस्था में उनकी अधिकतर परियोजनाएं कम से कम लागत तो वसूल कर ही लेंगीं, हालाँकि कुछ बुरी तरह असफल भी होंगी। अर्थात, जो अत्यधिक सफल होंगी वे असफल फिल्मों की क्षतिपूर्ति कर देंगी।
इन अर्थों में इन उद्योगों को केवल लाभदायक उत्पादों की नहीं। बल्कि नितांत सफल फिल्मों की आवश्यकता होती है-हम विशाल मेगा हिट फिल्मों की बात कर रहे हैं। निर्माण की विशाल लागत और सफलता की अनिश्चितता विजेताओं पर दबाव बनाती है, केवल साधारण विजय का दबाव नहीं, बड़ी विजय का दबाव। और बाकी? वे असफल में गिनी जाएँगी, इसका महत्त्व नहीं है कि वे समीक्षकों द्वारा प्रशंसित हैं और लाखों लोगों द्वारा सुनी या देखी गई होंगी। यदि ये उत्पाद अपनी लागत कई गुना करके वापस नहीं ला पातीं तो वे दुसरे उत्पादों को समर्थन देने का अपना काम सही ढ़ंग से नहीं कर पायी हैं।
एक हिट फिल्म बनाने का प्रयास करना एक अच्छी फिल्म बनाने के प्रयास के सामान नहीं है। लाखों करोघें की तादात में पैसा देकर आनेवाले दर्शकों की चाहत के लिए आप कुछ बातें करते हैं और कुछ बातें करने से बचते हैं। एक बड़े नाम वाले सितारे को अपनी परियोजना में लेने के लिए आप जितना दे सकते हैं, उतना पैसा देते हैं। आप बहुत ‘‘चतुर‘‘ बनने का प्रयत्न नहीं करते। आप फिल्म का एक सुखद अंत भी सुनिश्चित करते हैं। आप सितारे हीरो को मारते भी नहीं हैं। यदि यह एक ऐक्शन फिल्म है तो अधिक प्रभाव कम प्रभावों से बेहतर माने जाते हैं। और बाकी सारी बातें सामान रखते हुए इसे एक शुद्ध ऐक्शन फिल्म बनाये रखने का प्रयास करते हैं। निश्चित रूप से, इन नियमों को तोड़कर भी एक हिटफिल्म बनाई जा सकती है, पर खतरा क्यों मोल लें? आखिरकार आपने बहुत सारा पैसा लगाया है।
यह हिट उन्मुख दृष्टिकोण हॉलीवुड निदेशकमंडलों के दिमाग की उपज है, जो हमारी राष्ट्रीय संस्कृति में आया है। आर्थिक मजबूरियों के चलते, हम हिट फिल्म से कुछ भी कम स्वीकार ना करने की मानसिकता से ग्रसित हो चुके हैं। हमने मनोरंजन की जोखिम पूँजी के हिसाब-किताब का आंतरिकीकरण कर दिया है। इसीलिए जिस प्रकार हम व्यावसायिक खेलों पर नजर रखते हैं, उसी प्रकार सप्ताहांत के बॉक्स ऑफिस परिणामों पर नजर रखते हैं-हम गणना करते हैं जिसमें स्पष्ट विजेताओं को स्पष्ट रूप से हारे हुए प्रतीत होने वालों से अलग रखते हैं।
हमारी सितारा मूल्य निश्चितीकरण की प्रक्रिया में, हम अ-वर्ग के सितारों की मेहनताना वृद्धि से उत्तेजित होते हैं और उनकी बेतुकी सार्वजनिक जीवनशैली पर इस एकाग्रता से नजर रखते हैं, जो उनके काम में हमारी रूचि से कहीं अधिक होती है। सुपरस्टार खिलाड़ियों से लेकर मशहूर मुख्य कार्यकारी अधिकारियों तक हम ढ़ेर के ऊपरी स्तर पर तारतम्यहीन ध्यान देते हैं। दुसरे शब्दों में, हमें दुनिया को सफलता के चश्मे से देखने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
यदि वह सफल नहीं है, तो वह फ्लॉप है। वह आर्थिक परीक्षा में अनुत्तीर्ण है, इसलिए बनाई ही नहीं जानी चाहिए थी। इस सफलता उन्मुख दृष्टिकोण के कारण इतिहास केवल अत्यधिक सफल द्वारा ही लिखा जाता है, और गुणवत्ता की सर्वोत्तम परीक्षा बॉक्स ऑफिस की जमा रकम हो गई है। और यह केवल होललुवुड पर ही लागू नहीं होता, बल्कि इसी दृष्टि से हम दुकानों के शेल्फ पर रखे माल की परीक्षा, टेलीविजन के टाइम स्लॉट और रेडियो के प्लेलिस्ट का निर्धारण करते हैं। यह दुर्लभ संसाधनों के सर्वाधिक योग्य के लिए वितरण की एक प्रक्रिया है। अर्थात, सबसे लोकप्रिय।
अंत में, सफल संस्कृति के लिए हमारी प्रतिक्रिया सफल संस्कृति को दृढ़ करने के लिए ही है। शेल्फ स्थान की दुनिया एक शून्य योग खेल हैः एक उत्पाद दुसरे की जगह लेता है। चुनाव के लिए मजबूर मनोरंजन उद्योग की प्रत्येक कघ्ी स्वाभाविक रूप से सर्वाधिक लोकप्रिय उत्पादों को चुनती है, और उन्हें एक विशेषाधिकार प्राप्त स्थान देती है। हमारा व्यावसायिक वजन बघ्ी सफलताओं के पीछे लगाकर वास्तव में हम उनके और बाकी सब के बीच की खाई को और चौड़ी करते हैं। आर्थिक दृष्टि से यह उसी कथन जैसा है कि ‘‘यदि कुछ ही लोग संपन्न हो सकते हैं तो कम से कम उन्हें सुपर संपन्न हो जाने दीजिये।‘‘ इसका परिणाम यह होता है कि माँग वक्र की सीधी ढ़लान और अधिक सीधी होती जाती है।
- मनोरंजन उत्पादों से जुड़े व्यवसायों को अत्यधिक सफल की आवश्यकता है, क्योंकि
- लाभदायक होने के लिए फिल्मों को उपभोक्ताओं के साथ एक संवाद स्थापित करना आवश्यक होता है।
- कुछ असफलताओं की स्थिति में, अत्यधिक सफल उन्हें लागत वसूल करने में सहायक होते हैं।
- ये उद्योग ब्लॉकबस्टर्स को खोजने, उनके वित्तपोषण और निर्माणोन्मुख होते हैं।
- यदि उत्पाद, निवेश की गई लागत को कई गुना करके वापस नहीं ला सकीं, तो वे बाकी बचे हुए संविभाग को समर्थन प्रदान नहीं कर सकते।
- निधियां कई परियोजनाओं में विस्तारित की जाती हैं।
- ‘‘हमने मनोरंजन की जोखिम पूँजी के हिसाब-किताब का आंतरिकीकरण कर दिया है।‘‘ इस कथन को गद्यांश में किस प्रकार समझाया गया है?
- हमने केवल सबसे सफल, के उपकरण की आर्थिक मांगों को मान्यता दी है, उससे कम कुछ हमें मंजूर नहीं है।
- हम सप्ताहांत के बॉक्स ऑफिस परिणामों पर उसी प्रकार नजर रखते हैं जैसे व्यावसायिक खेलों पर।
- हम गणना रखते हैं, और स्पष्ट विजयी को स्पष्ट पराजितों से अलग करते हैं।
- हमने असफलता से सुरक्षित एक सूत्र खोज निकाला है।
- उपरोक्त सभी।
- गद्यांश में ‘‘आंतरिकीकरण‘‘ से क्या तात्पर्य है?
- सीख, सामाजिकीकरण या शिनाख्त के माध्यम से अन्तर्निहित करना।
- व्यक्तिपरक बनाना, या एक व्यक्तिपरक चरित्र प्रदान करना।
- अपनी भाषा संपन्नता के भाग के रूप में आत्मसात करना।
- मनोरंजन उद्योग की बारीकियों को समझना।
- उपरोक्त सभी।
- माँग वक्र की सीधी ढ़लान और अधिक सीधी होती जाती है, इसे हम किस प्रकार सुनिश्चित करते हैं?
- विजेताओं को कम शेल्फ स्थान देकर।
- यह सुनिश्चित करके कि असफल की तुलना में अधिक सफल सामने आएँ।
- अत्यधिक सफल से, ‘‘इससे कुछ भी कम नहीं,‘‘ की अपेक्षा रख कर।
- अत्यधिक सफल की संस्कृति को अधिक सुदृढ़ करके।
- अनुभवी अभिनेताओं को शामिल करके और एक सूत्र के अनुसार काम करके।
- पैसेज के अनुसार असफलता की संभाव्यता की क्षतिपूर्ति किस प्रकार की जा सकती है?
- एक पोर्टफोलियो संरचना की गुंजाइश रख कर।
- कम से कम यह सुनिश्चित करके कि वे समीक्षकों द्वारा सराही जाती हैं और लाखों लोगों द्वारा देखी जाती हैं।
- प्रत्येक में पर्याप्त पूँजी निवेश द्वारा उसे सफल होने का अवसर प्रदान करके।
- आजमाए हुए और सही अभिनेता और निर्देशक लेकर।
- निवेश को कई योजनाओं में विस्तारित करके।
गृह कार्य
यह हिस्सा भाषा सत्र के पश्चात गृह कार्य है
गद्यांश 1
अधिकांश उद्यमी जन्मजात आशावादी होते हैं, और असफलता की संभावना के बारे में सोचने से भी इंकार करते हैं। वे ‘‘सफलता अगले मोड़ पर इंतज़ार कर रही है‘‘, या ‘‘ज्वार फिर से मुड जाएगा‘‘, के सिद्धांत में विश्वास करते हैं। जब वे व्यवसाय को बंद करने के बारे में सोच रहे होते हैं, तो अक्सर एक नया ऑर्डर मिल जाता है, या उनके विद्यमान ग्राहकों की ओर से उत्साहवर्धक प्रतिक्रियाएं मिलती हैं, जो उनके आशावादी विचारों को पुनः उत्तेजना देते हैं। हालाँकि, चाहे नए आर्डर ने और अधिक ऑर्डर्स जनित ना किये हों, या विद्यमान ग्राहक चाहे संतुष्ट हों, परन्तु वे अब उनके उत्पाद ना खरीद रहे हों, यह उन्हें चलते रहने के लिए प्रोत्साहित करता है। उद्यमी अपनी बचत डुबो देता है, घर गिरवी रख देता है, ऋण लेता है, अपने बच्चों की कॉलेज की फीस डुबो देता है ... तात्पर्य यह है कि, वह लगभग एक जिद्दी जुआरी की तरह व्यवहार करता है।
ऐसे व्यवसाय कभी-कभी, अंततः बंद होने से पहले, पांच से दस वर्षों तक घिसटते रहते हैं। उद्यमियों को, इस सारी प्रक्रिया की, नष्ट हुआ समय, पैसा, और हाथ से निकल चुके अवसरों के रूप में, भारी कीमत चुकानी पड़ती है।
अधिकांश उद्यमी, जिन्होंने असफलता की यह जीवित मौत देखी है, उन्हें अंततः व्यवसाय बंद करने की पीड़ा से अधिक पीड़ा इस बात की होती है कि, उन्होंने व्यवसाय समेटने का यह निर्णय बहुत पहले ही क्यों नहीं ले लिया।
अंधाधुंध दृढ़ता सामान्य को एक स्वप्न और मुट्ठी भर पैसे प्राप्त करने और असंभव कठिनाइयों से पार पाने के काबिल बनाती है। हालांकि यही अंधाधुंध दृढ़ता जीवन बर्बाद कर सकती है, परिवारों को तोड़ सकती है और व्यक्ति के भविष्य में सफल उद्यमी बनने के अवसर बिगाड़ सकती है।
नया कारोबार शुरू करना और उसे चलाना साइकिल सीखने के सामान है। आप जब जब गिरते हैं, आप उठते हैं परंतु आपको सावधान रहना होगा अन्यथा आप इतनी जोर से गिर सकते हैं कि, शायद आप वापस उठ ही ना पाएं।
- गद्यांश के अनुसार कौनसी बात उद्यमियों को चलते रहने के लिए प्रेरित करती है?
- मात्र सारी बातें नियंत्रण में होने की खुशी
- उद्यमिता के प्रयासों में सफलता की ऊंची दर
- सतत मिलने वाले ऑर्डर्स का प्रवाह
- ऐसे समय पर ऑर्डर्स मिलना जब उद्यमी ने व्यवसाय बंद करने का इरादा कर लिया हो
- ‘अधिकांश उद्यमी जन्मतः आशावादी होते हैं‘‘ इस कथन से लेखक का क्या आशय है?
- उनका आशावाद उनकी सफलता में सहायक होता है
- आशावादी होने के कारण वे कभी असफल नहीं होते
- जो असफलता की संभावना को असंभव मानते हैं वे अति-आशावादी होते हैं
- उन्होंने आशावादी के रूप में जन्म लिया है, संभवतः इसीलिए वे उद्यमी हैं
- निम्न में से कौन सा शब्द गद्यांश के स्वर का सटीक वर्णन करता है?
- धिक्कारना/चेतावनी देना
- उपेक्षापूर्ण
- विश्लेषणात्मक
- विचित्र
- पैसेज में उल्लिखित वाक्य ‘‘असफलता की जीवित मौत‘‘ किस बात की व्याख्या करता है?
- उद्यमी के सभी संसाधनों की बलि लेने के उपरांत एक उद्यमी व्यवसाय प्रयास की मौत
- असफलता जो कई उद्यमियों की जान ले लेती है
- अधिकांश उद्यमियों के अंधाधुंध तरीके जो उनके जीवन को मृत्युतुल्य बना देते हैं
- उद्यमियों के वे प्रयास, जो उनके परिवारों को तोड़ देते हैं और उनकी असफलता में सहायक होते हैं
- गद्यांश में लेखक द्वारा किया गया शब्द-चयन और भाषा शैली का सटीक वर्णन निम्न प्रकार से किया जा सकता है
- वर्णनात्मक/कथनात्मक
- स्पष्ट अर्थ व्यक्त करने वाली
- वाचाल
- आवश्यकता से अधिक परिशुद्ध/बारीक
- इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक क्या हो सकता है?
- जुआरी और उद्यमी
- उद्यमी असफलता के पारिवारिक प्रभाव
- उद्यमिकी उपक्रम की आखिरी सांस
- उद्यमिकी असफलता के छुपे कारण
गद्यांश 2
हार्वर्ड मनोवैज्ञानिक डेविड़ मैक्लिलैंड़ के अध्ययन बताते हैं कि उपलब्धि लक्ष्यता किसी उद्यमी की सफलता में सबसे बड़ा कारक हो सकती है। जो व्यक्ति उपलब्धि की ज़रूरत से परिभाषित होते हैं, उनमें किसी कार्य को बेहतर, तेज़, उत्पादक व कम प्रयास की मदद से करने की इच्छा होती है। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि वे संयत जोखिम लेने वाले होते हैं और उन्हें अपने निष्पादन के विषय में सतत प्रतिपुष्टि की आवश्यकता पड़ती है। ये व्यक्ति अपेक्षाकृत कम कठिन काम करना पसंद करते हैं, जिनमें सफलता की संभाव्यता 30 से 50 प्रतिशत के बीच होती है (मैक्लिलैंड)। वे कम कठिन कार्यों के प्रति अधिक सातत्य प्रदर्शित करते हैं, जब कि अधिक कठिन कार्यों के प्रति उनके सातत्य में कमी नजर आती है। विशेषताओं का यह संमिश्रण, उद्यमिता के क्षेत्र में उच्च उपलब्धि उन्मुख व्यक्तियों को अधिक रास आता है।
उच्च उपलब्धि उन्मुख व्यक्ति आम तौर पर नए उद्यमों में अधिक सफल होता है और काफी धन अर्जित करता है (उसके लिए पैसा सफलता की गणना का एक पैमाना या निष्पादन की प्रतिपुष्टि होता है)। हालांकि ऐसा व्यक्ति इससे अधिक विस्तार करने में सक्षम नहीं हो पाता, क्योंकि उसे अपने साथ काम करनेवाले व्यक्तिओं को कार्यों का प्रत्यायोजन करने में और सहकर्मियों को प्रेरित करने में कठिनाई होती है। नए उद्यमों को उच्च उपलब्धि उन्मुख संस्थापक की आवश्यकता होती है। परंतु विडंबना यह है कि जैसे-जैसे व्यवसाय बढ़ता है, इस उद्यमी की वे सारी खूबियाँ जिन्होनें उसे एक सफल उद्यमी बनाया है, उसके पतन का कारण बन जाती हैं। उसके लिए व्यवसाय का विस्तार असंभव हो जाता है। वह सहायक इकाइयाँ या नए उपक्रम शुरू कर सकता है, परंतु कार्यों के प्रत्यायोजन की उसकी अक्षमता के चलते, इनमें भी उसे पैसे का काफी नुकसान उठाना पड़ता है, और अंततः उसे इन्हें बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जिसका परिणाम मूल कंपनी के संसाधनों के क्षय में होता है, जो उसके भी बंद होने का मार्ग प्रशस्त करता है। उपलब्धि उन्मुख व्यक्ति को नियंत्रणों को शिथिल करने और कार्यों को प्रत्यायोजित करने की कला सीखनी होगी।
- पैसेज के अनुसार एक उच्च उपलब्धि उन्मुख व्यक्ति की अधिक कठिन कार्य के प्रति प्रतिक्रिया क्या होगी?
- वह इन कार्यों को अपने हिसाब से लेगा
- वह अधिक दृढ़ता प्रदर्शित करेगा
- वह कम दृढ़ता प्रदर्शित करेगा
- वह ऐसे कार्यों से बचेगा
- उच्च उपलब्धि प्रेरित व्यक्ति इनमें से कौनसा व्यवहार लक्षण प्रदर्शित नहीं करेगा?
- स्थितियों के मौजूदा क्रम में सुधार करने की इच्छा
- चीजों को सौंदर्यबोध की दृष्टि से और अधिक आकर्षक बनाने की इच्छा
- स्थितियों को अधिक कार्यकुशक बनाने की इच्छा
- निष्पादन के बारे में सतत प्रतिपुष्टि की आवश्यकता
- पैसेज के स्वर का सबसे अच्छा वर्णन किस प्रकार हो सकता है?
- उत्सुक
- दस्तावेजी
- गुणगान
- व्याख्यात्मक
- निम्न उपलब्धि उन्मुख व्यक्ति के लिए पैसा किस रूप में कार्य करता है?
- एक गणना के साधन के रूप में
- भौतिकवादी संसार में जीवित रहने के साधन के रूप में
- दूसरों को अपनी सफलता की शान दिखाने के साधन के रूप में
- निर्धारित नहीं किया जा सकता
- पैसेज का कौनसा वाक्य इसका संक्षेप में सर्वोत्कृट वर्णन करता है?
- हार्वर्ड मनोवैज्ञानिक डेविड मैक्लिलैंड की उपलब्धियाँ
- प्रत्यायोजन और नियंत्रणों को शिथिल करने की कला सीखना
- उपलब्धि की इच्छा और उद्यमशील व्यवहार
- संस्थागत संरचना में उद्यमियों की सफलता
- उच्च उपलब्धि उन्मुख व्यक्ति अपने व्यवसाय का विस्तार करने में असफल क्यों होता है?
- क्योंकि उसकी सफलता समाज के शक्तिशाली वर्ग को सहन नहीं होती
- क्योंकि उसे कार्य प्रत्यायोजन सहकर्मियों को प्रेरित करने में कठिनाई होती है
- क्योंकि उसकी सफलता ठोस ना होकर खोखली होती है
- क्योंकि आगे विकास के लिए उद्यम पूँजी उपलब्ध नहीं होती
गद्यांश 3
यह जीवन का सत्य है कि, कई लोग ऐसे हैं, जो जीवन में किसी प्रकार का बदलाव नहीं चाहते, और जब कभी ऐसे किसी बदलाव का प्रयास होगा तो वे उसका विरोध करेंगे। उनके लिए समाज का वर्तमान क्रम लाभदायक है। वे केवल ऐसे बदलावों की अपेक्षा करते हैं जो भविष्य में लाभ सुनिश्चित करते हों। दूसरी ओर, ऐसे लोग भी हैं जो एक नए सामाजिक क्रम की इच्छा के प्रति जागरूक हैं, परंतु उन्हें उनकी इस इच्छा के परिणामों का आंकलन नहीं हो पाता है। जब तक वे केवल क्रियाशील ही नहीं बल्कि चिंतनशील होने के प्रयास नहीं करेंगे, उनका जीवन बिना किसी उपलब्धि के समाप्त हो जाएगा। जब वे आर्थिक जीवन को एक अच्छी नींव पर स्थापित करने की इच्छा करेंगे, तो वे केवल तोते की तरह ‘‘उत्पादकता‘‘ शब्द बार-बार रटते रहेंगे, क्योंकि ये ही वह शब्द है जो सबसे पहले उनके दिमाग में आएगा, बिना इस तथ्य पर विचार किये, कि उत्पादकता ही वह नींव है जिसपर आर्थिक जीवन आधारित है। वे भूल जाते हैं कि उन्नीसवीं सदी, जिसने उत्पादकता में सबसे अधिक वृद्धि अनुभव की, उसमें भी आर्थिक असंतोष अपने चरम पर था। जब उन्हें सामाजिक पश्चाताप द्वारा छुआ जाता है, तो वे गरीबी में आई हुई कमी के अलावा दूसरा कुछ भी मौलिक सोच ही नहीं सकते हैं। उस समय वे यह भूल जाते हैं कि गरीबी सामाजिक विकार का एक लक्षण और परिणाम मात्र है, जो कुछ को अति संपन्नता से हतोत्साहित करती है। उसी समय यह गरीबों को अति दरिद्रता से हतोत्साहित करती है।
- लेखक कहता है कि
- बदलाव में किसी की रूचि नहीं है
- कोई भी अकेला व्यक्ति बदलाव नहीं ला सकता
- कुछ लोग भविष्य की चिंताओं के कारण बदलाव चाहते हैं
- कोई भी व्यक्ति भविष्य की चिंताओं की वजह से बदलाव नहीं चाहता
- हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि
- उत्पादकता में वृद्धि का परिणाम हमेशा आर्थिक भलाई में होता है
- उत्पादकता में कमी का परिणाम हमेशा आर्थिक भलाई में होता है
- उत्पादकता में वृद्धि का परिणाम हमेशा आर्थिक भलाई में हो ऐसा आवश्यक नहीं है
- उपरोक्त में से कोई नहीं
- ‘‘केवल उत्पादकता में वृद्धि करके गरीबी का उन्मूलन किया जा सकता है‘‘।
- सही है
- गलत है
- कह नहीं सकते
- कोई विकल्प नहीं
- जो लोग सामाजिक व्यवस्था में किसी तरह का बदलाव नहीं चाहते, अक्सर वे होते हैं, जो
- इससे सबसे अधिक घृणा करते हैं
- इसे सबसे अधिक पसंद करते हैं
- वर्तमान व्यवस्था में फायदे में रहते हैं
- इसके भविष्य की व्यवस्था में फायदे में रहते हैं
गद्यांश 4
भारतीय बैंकिंग व्यवस्था में स्थानीय साहूकारी, वाणिज्यिक बैंकिंग, सहकारी बैंकिंग और राष्ट्रीयकृत बैंकें समाविष्ट हैं। देशी साहूकारी की प्रथा आज भी विद्यमान है जो हमें सदियों से चली आ रही परंपरा की याद दिलाती है। व्यवसायिक या वाणिज्यिक बैंकिंग जो 20वीं सदी के उदय के साथ प्रस्थापित हुई, मूलतः 19वीं सदी की ब्रिटिश बैंकिंग प्रणाली का प्रतिनिधित्व करती है। सहकारी बैंकिंग प्रणाली का मूल उद्देश्य गाँवों में सहकारी समितियों के माध्यम से ग्रामीण वित्तपोषण की जरूरतों को पूरा करना था। इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया का भारतीय स्टेट बैंक में पुनर्निर्माण, और इसकी सहायक बैंकों के आगमन के साथ, बैंकिंग उद्योग का सार्वजनिक क्षेत्र बीस वाणिज्यिक बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद आज पूरी मजबूती के साथ स्थापित है। बची हुई वाणिज्यिक बैंकें वे हैं, जिनके संसाधन अल्प हैं और कुल बैंकिंग व्यवसाय में जिनका हिस्सा मात्र एक सप्तमांश है।
फिर भी, वाणिज्यिक बैंकों का महत्त्व, और भारतीय व्यापार, व्यवसाय और उद्योग के विकास में उनके योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वाणिज्यिक बैंकों की स्थापना मूल रूप से भारतीय विनिमय बैंकों के रूप में हुई, संयुक्त बैंकें, जो शेड्यूल्ड और गैर शेड्यूल्ड दोनों प्रकार की हैं। विनिमय बैंकें अधिकतर विदेशी (गैर भारतीय ) बैंकें हैं। विदेशी व्यापार के वित्तपोषण में विशेषज्ञ ये बैंकें स्थानीय व्यापार को वित्त पोषण, सामान्य बैंकिंग व्यवसाय के कार्य और आयात निर्यात व्यापार का कार्य भी करती है, जिसमें परिवहन का वित्तपोषण भी शामिल है। स्थानीय उत्पादकों और व्यवसाइयों को वित्तपोषण करके उनका विनिमय हासिल करने के अलावा सोने और चांदी की प्रतिभूति पर ऋण देने का कार्य भी इन बैंकों द्वारा किया जाता है।
- गद्यांश से हम कह सकते हैं कि लेखक एक
- व्यापारी है
- समाचार पत्र व्यवसायी है
- विपणन व्यवसायी है
- समाचार पत्र का वित्त सम्पादक है
- राष्ट्रीयकृत बैंकों के पास
- कुल बैंकिंग आस्तियों के एक सप्तमांश से कम आस्तियाँ हैं
- कुल बैंकिंग आस्तियों के लगभग एक सप्तमांश आस्तियाँ हैं
- कुल बैंकिंग आस्तियों के छह सप्तमांश आस्तियाँ हैं
- उपरोक्त में से कोई नहीं
- लेखक वाणिज्यिक बैंकों की भूमिका को रेखांकित कर रहा है।
- सही है
- गलत है
- हो सकता है
- कोई विकल्प नहीं
- लेखक अधिकतर इस विचार से सहमत होगा कि
- विदेशी बैंकों ने अपना केंद्र बिंदु खो दिया है
- बैंकिंग उद्योग का सार्वजनिक क्षेत्र अत्यंत कमजोर है
- राष्ट्रीयकरण ने सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों को मजबूत किया है
- उपरोक्त में से कोई नहीं
विस्तृत समाधान
- उत्तर (3) गद्यांश में उल्लेख किये अनुसार स्पष्ट रूप से उत्तर विकल्प (3) है।
- उत्तर (3) यह विकल्प गद्यांश में वर्णित स्व-प्रवृत्त विफलता की विस्तृत रूप से व्याख्या करता है। शेष विकल्प आंशिक रूप से या पूर्ण रूप से असत्य हैं।
- उत्तर (3) व्याख्या में स्पष्ट रूप से वर्णित है‘‘ ... हम प्रक्रिया के कष्टदायक होने की आशा करते हैं यदि इससे प्रगति हो।’’
- उत्तर (2) विकल्प (2) गद्यांश में स्पष्ट रूप से वर्णित है जबकि शेष का कहीं वर्णन नहीं है।
- उत्तर (1) सबसे व्यापक विकल्प।
- उत्तर (3) लेखक ने विकल्प (1), (2) और (4) का उल्लेख क्रमशः पैरा 1, 2 और 3 में किया है। विकल्प (3) का उल्लेख स्पष्ट रूप से नहीं किया गया है।
- उत्तर (4) तीनों विकल्पों का उल्लेख शब्दशः पैरा 3 में किया गया है।
- उत्तर (4) विकल्प (1), (2) और (3) का उल्लेख स्पष्ट रूप से पैरा 1 में किया गया है। अतः अपवर्जन द्वारा उत्तर (4) है।
- उत्तर (4) सभी 3 विकल्पों का उल्लेख स्पष्ट रूप से पैरा 6 में किया गया है।
- उत्तर (3) विकल्प (2) स्पष्ट रूप से असंगत है। यह कोई समाचार नहीं है, अतः विकल्प (4) निरस्त किया जाता है। विकल्प (1) करीब है किंतु खारिज किया जा सकता है चूंकि किसी बीमारी या मानसिक रोग की चर्चा नही की गई है। गद्यांश सामाजिक गतिविधियों के प्रकार की चर्चा करता है अतः उत्तर (3) है।
- उत्तर (4) यद्यपि गद्यांश स्वतंत्रता के जश्न की चर्चा करता है, लेकिन विशिष्ट रूप से प्राप्त स्वतंत्रता के स्वरूप का उल्लेख नहीं करता। अतः विकल्प (1) असत्य है। विकल्प (2) दिये गये संदर्भ में अप्रासंगिक है। विकल्प (3) असत्य हैं चूंकि यह प्रारंभिक पैराग्राफ द्वारा खंडित है। अतः विकल्प (4), सही उत्तर है।
- उत्तर (3) गद्यांश जिसमें ‘‘ईश्वरीय कार्य’’ का उल्लेख है विकल्प (3) से संबंधित है। विकल्प (1) और (2) असत्य हैं क्योंकि दिये गये संदर्भ में ये अप्रासंगिक हैं। विकल्प (4) असत्य हैं चूंकि यह दूसरे पैराग्राफ द्वारा खंडित है। अतः विकल्प (3) सही उत्तर है।
- उत्तर (2) गद्यांश का दूसरा पैराग्राफ आज की दुनिया और बीते हुए वर्षों की दुनिया केमध्य के अंतर के रूप में विकल्प (2) की घोषणा करता है। विकल्प (1) और विकल्प (4) असत्य हैं चूंकि इनका प्रत्यक्ष उल्लेख गद्यांश में नहीं किया गया है। विकल्प (3) असत्य है क्योंकि यह बुनियादी विडंबना की व्याख्या और आज की तथा बीते वर्षों की दुनिया के बीच संतुलन बनाने में विफल रहा है । अतः विकल्प (2) सही उत्तर है।
- उत्तर (1) (1) वांछित विकल्प है। कोई भी भाषण के गहन पठन द्वारा निष्कर्ष प्राप्त कर सकता है। दरअसल, यह जॉन एफ. कैनेडी का भाषण है। विकल्प (2), (3) और (4) असत्य हैं क्योंकि ये दिये गये संदर्भ में अप्रासंगिक है। अतः विकल्प (1) सही उत्तर है।
- उत्तर (3) (1) लेखक के लहजे से, ‘‘स्वाधीनता’’ और ‘‘मानवीय स्वतंत्रता’’पर मुख्य जोर दिया गया है जिसके लिए वह संकल्पित है। विकल्प (3) में वही दृष्टिगोचर होता है चूंकि यही कारण है जिसकी वजह से लेखक को मानवीय स्वतंत्रता क लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। अतः विकल्प (3) सही उत्तर है। शेष विकल्प पैराग्राफ द्वारा समर्थित नही हैं।
- उत्तर (5) पैसेज कहता है कि ‘‘निरुपद्रवी‘‘ घरेलु बिल्ली प्रजाति के प्राणी का चलना फिरना जिसका अर्थ है निर्दोष चलना फिरना। बिल्ली और नस्लीय व्यक्तित्व के व्यक्ति में मूल समानता यह है कि हालाँकि वे अहानिकारक हैं, फिर भी हमारे तर्कहीन भय के कारण उनकी उपस्थिति डरावनी और हानिकारक हो जाती है। विकल्प (1) केवल इनकी शारीरिक समानताओं को दर्शाता है। विकल्प (2) भी केवल उनकी गतिशीलता की समानताओं के बारे में बताता है - दोनों रास्ता काट रहे हैं। विकल्प (3) केवल सतही समानताएं बताता है- वास्तव में यह ‘‘रास्ता काट रहे हैं‘‘ का अर्थ बताता है। विकल्प (4) इसलिए गलत है क्योंकि यह कहता है कि दोनों हानिकारक जीव हैं। विकल्प (5) ही सबसे उपयुक्त है, क्योंकि यह बताता है कि हालाँकि दोनों अहानिकारक हैं, फिर भी उन्हें हानि का विषय माना जाता है।
- उत्तर (3) पैसेज कहता है कि मच्छर द्वारा काटे जाने की संभावनाएं एक मांसाहारी नरभक्षी द्वारा खाये जाने से अधिक हैं, इसलिए हमे पहली बात से अधिक भयभीत होना चाहिए। इसीलिए विकल्प (3) सही है। विकल्प (1) इसलिए गलत है, क्योंकि यह कहता है कि मच्छर द्वारा काटे जाने की संभावनाएँ कम हैं, जो कि गलत है। विकल्प (2) इसलिए गलत है क्योंकि यह कहता है कि एक मांसाहारी नरभक्षी द्वारा खाये जाने की संभावनाएं कम हैं, यह भी गलत है। विकल्प (4) इसलिए गलत है क्योंकि वह कहता है कि एक मांसाहारी नरभक्षी द्वारा खाये जाने की संभावनाएं अधिक हैं, जो एक गलत कथन है। विकल्प (5) इसलिए गलत है क्योंकि यह कहता है कि एक मांसाहारी नरभक्षी द्वारा खाये जाने का डर कम है।
- उत्तर (2) पैसेज के अनुसार, हम युद्ध के लिए चिंतित नहीं हैं-जिसकी संभाव्यता हृदयरोग की बढ़ती घटनाओं की तुलना में बहुत ही कम है। पैसेज कहता है कि हमें हृदयरोग के प्रतिअधिक चिंतित होना चाहिए, क्योंकि यह विश्व में बड़ता जा रहा है, और मौतों का एक प्रमुख कारण बनता जा रहा है, और हमें युद्ध के प्रति कम चिंतित होना चाहिए-जो शायद हो ही नहीं। विकल्प (1) गलत है क्योंकि यह इस तुलना को प्रस्तुत नहीं करता। विकल्प (3) गलत है, क्योंकि युद्ध की संभाव्यता बढ़ नहीं रही है, बल्कि यह कम है। विकल्प (4) गलत है क्योंकि यह कहता है कि हम हृदयरोग के कारण अधिक चिंतित हैं-परंतु पैसेज के अनुसार हम युद्ध के प्रति अधिक चिंतित हैं। (जबकि हमें हृदयरोग के प्रति अधिक चिंतित होना चाहिए) विकल्प (5) इसलिए गलत है क्योंकि यह कहता है की युद्ध की संभाव्यता अधिक है और हम ह््रदय रोग के प्रति अधिक चिंतित हैं।
- उत्तर (4) पैसेज के अनुसार अज्ञात का भय युद्ध का भय है, और ज्ञात का भय ह््रदय रोग के बढ़ने के डर का कारण है, जो मृत्यु दर में होने वाली बढ़ोत्तरी के लिए जिम्मेदार है। परंतु युद्ध का यह भय जो हमारे अंदर हृदयरोग के भय से अधिक है, कम अर्थपूर्ण है। यह इसलिए क्योंकि युद्ध होने की संभावना बहुत ही कम है-इसलिए कम वास्तविक है किंतु ह््रदय रोग में वृद्धि यह तो वास्तव में हो ही रही है।
- उत्तर (2) लेखक ने इस बात पर बल दिया है कि हमारी प्रवृत्ति तर्कहीन चीजों से अधिक भयभीत होने की है (क्योंकि उनके होने की संभावनाएं बहुत ही कम हैं) जैसे युद्ध, आतंकवाद इत्यादि, क्योंकि ये मीडिया द्वारा उछाली जाती हैं या सरकारों द्वारा जानबूझ कर प्रसारित की जाती हैं। दूसरी ओर हम कहीं अधिक वास्तविक खतरों को नजरअंदाज करते हैं, जैसे हृदयरोग जिसके होने की संभावनाएं काफी अधिक हैं। अन्य विकल्प पैसेज द्वारा समर्थित नहीं हैं।
- उत्तर (3) विकल्प (1) लगभग परस्पर विरोधी है। विकल्प (2) असत्य है क्योंकि पैसेज में कहीं भी ऐसा दावा नहीं है कि धन केवल एक बार ही उभारना पडेगा। पहले निजी पूँजी और उसके बाद उद्यम पूँजी का क्रम तब लागू होगा जब कल्पना के लिए एक सहयोगी टीम की आवश्यकता होगी। इस प्रकार विकल्प (4) अर्थहीन हो जाता है। केवल विकल्प (3) संदर्भानुसार कारण देता है। विकल्प (5) अप्रासंगिक है।
- उत्तर (2) पैसेज यह दावा नहीं करता कि सेट उन गुटो में से सभी जो ‘‘हस्तक्षेप नहीं‘‘ का वादा करते हैं, वास्तव में बाद में हस्तक्षेप करते हैं। अतः विकल्प (1) बाहर हो जाता है। विकल्प (4) केवल उन निवेशकों से सम्बंधित है जो हस्तक्षेप ना करने का आश्वासन देते हैं। केवल विकल्प (2) एक मजबूत आधार बनाता है। विकल्प (3) और (4) सन्दर्भ से परे हैं।
- उत्तर (3) अंतिम पैराग्राफ स्पष्ट रूप से प्रतिपादित करता है कि व्यक्ति को ऐसे निवेशक चाहिये जो उसके व्यवसाय को समझते हों। इसलिए विकल्प (3) ही सही उत्तर है।
- उत्तर (4) विकल्प (1), (2) और (3) अलग स्थितियों में लागू होते हैं। केवल विकल्प (4) लेखक के सामान्यीकरण को स्पष्ट करता है।
- उत्तर (1) अंतिम से पहले वाला पैराग्राफ निर्देशित करता है कि विकल्प (1) ही सही उत्तर है।
- उत्तर (2) निराश जरूरत का वास्तविक कारण यह है कि अत्यधिक सफल फिल्में इस बात से सम्बंधित अनिश्चितताओं को दूर कर देंगी कि उपभोक्ता फिल्म के प्रति किस प्रकार की प्रतिक्रिया व्यक्त करेंगे। यह कारण, विकल्प (2) में उल्लेखित है।
- उत्तर (3) इस कथन का उद्देश्य यह प्रस्थापित करना है कि हम बहीखाता पद्धति की प्रक्रिया में संलग्न हैं। विकल्प (3) इसके बारे में कहता है। इसीलिए विकल्प (3) ही सबसे उचित विकल्प है।
- उत्तर (1) सन्दर्भ की दृष्टि से विकल्प (1) ही उचित उत्तर है।
- उत्तर (4) विकल्प (4) ही उपयुक्त उत्तर है, जो कि अंतिम पैराग्राफ में विस्तृत रूप से बताया गया है।
- उत्तर (1) प्रश्न स्थिति को सँभालने का है, जो एक संविभाग दृष्टिकोण अपनाने से होता है।
- उत्तर (4) पैसेज स्पष्ट रूप से उल्लिखित करता है कि ‘‘जब भी कोई आंकलन करने की कोशिश करता है .......‘‘
- उत्तर (3) पहले वाक्य को पढ़ने से ही स्पष्ट हो जाता है कि विकल्प (3) लेखक के विचारों का प्रतिनिधित्व करता है।
- उत्तर (3) विश्लेषणात्मक ही पैसेज के स्वर को स्पष्ट करता है क्योंकि लेखक उद्यमियों के उन व्यवहार गुणों का विश्लेषण करता है जो उनकी असफलता के लिए जिम्मेदार होते हैं।
- उत्तर (1) विकल्प (4) अस्पष्ट और सन्दिग्धार्थक है और (2) और (3) का पैसेज में कहीं उल्लेख नहीं मिलता।
- उत्तर (2) विकल्प (2) स्पष्ट रूप से लेखक के शब्द-चयन और शैली को वर्णित करता है क्योंकि लेखक का प्रयत्न पाठक को स्पष्ट, तार्किक और सरल रूप से अपने आशय को समझाने का है।
- उत्तर (4) पैसेज उद्यमियों की असफलता के कारणों और तथ्यों को विषद करता है, अतः विकल्प (4) सर्वोत्तम है।
- उत्तर (3) यह बात पैसेज के पहले पैराग्राफ की आखरी से पहलीवाली लाइन में स्पष्ट रूप से उल्लिखित है।
- उत्तर (2) जाहिर है, क्योंकि यही एकमात्र विकल्प है जिसका पैसेज में कहीं उल्लेख नहीं है।
- उत्तर (2) पैसेज डेविड मैक्लिलैंड के अध्ययन पर आधारित तथ्यों का प्रस्तुतीकरण और दस्तावेजीकरण करता है।
- उत्तर (4) इस प्रश्न का उत्तर निर्धारित नहीं सकता, क्योंकि पैसेज में निम्नउपलब्धि उन्मुख व्यक्तियों की चर्चा कहीं भी नहीं की गई है।
- उत्तर (3) पैसेज उपलब्धि उद्देश और इसका उद्यमी के व्यवहार पर प्रभाव, इन दोनों बातों को विषद करता है। इसलिए इस विकल्प को सही माना जा सकता है। अन्य कोई भी विकल्प पूर्ण रूप से सही नहीं हैं।
- उत्तर (2) इस बात को पैसेज में स्पष्ट रूप से उल्लिखित किया गया है जबकि अन्य कारकों के बारे में कहीं भी उल्लेख नहीं है।
- उत्तर (3) तीसरे कथन से।
- उत्तर (3) सातवें कथन से।
- उत्तर (2) सातवें कथन से।
- उत्तर (3) पहले और दूसरे कथन से।
- उत्तर (4) यह पैसेज विपणन पर नहीं है। दिग्गज और व्यापारी लेख नहीं लिखते।
- उत्तर (4) पहले पैराग्राफ के अंतिम कथनों से।
- उत्तर (1) ‘‘रेखांकित करना‘‘ का अर्थ है ‘‘उजागर करना‘‘
- उत्तर (3) पहले पैराग्राफ का उपांत्यकथन हमें इसके बारे में बताता है।
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