यूपीएससी तैयारी - भारत में प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण मुद्दे - व्याख्यान - 7

SHARE:

सभी सिविल सर्विस अभ्यर्थियों हेतु श्रेष्ठ स्टडी मटेरियल - पढाई शुरू करें - कर के दिखाएंगे!

SHARE:

भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का विकास

[Read in English]


1.0 प्रस्तावना

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की स्थापना मई 1971 में की गई थी, जिसका उद्देश्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एस एंड टी) के नए क्षेत्रों को बढ़ावा देना एवं देश में एस एंड टी गतिविधियों के आयोजन, समन्वय एवं उनको बढ़ावा देने के लिए एक बुनियादी विभाग की भूमिका निभाना था। यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र को सरकारी कार्यक्षेत्रों से जोड़ने के लिए प्रधान एजेंसी के रूप में कार्य करता है। डीएसटी संस्थानों एवं विषयों के वैज्ञानिकों को एक प्रतिस्पर्धी मोड के माध्यम से राष्ट्रीय एस एंड टी क्षमता को मजबूत करके देश में अनुसंधान एवं विकास को सहायता प्रदान करता है। यह हमारे देश की शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास पहलों तथा रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कार्यों के परिणामों को परस्पर पुष्ट करता है एवं देश के एसएंडटी परि.श्य को बदलने में मदद करता है।

शासनादेश

डीएसटी की प्रमुख जिम्मेदारियों निम्नलिखित हैं

  1. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एस एंड टी) से संबंधित नीतियों का गठन
  2. मंत्रिमंडल की वैज्ञानिक सलाहकार समिति (एसएसी-सी) से संबंधित मामले
  3. उभरते क्षेत्रों पर विशेष जोर देने के साथ एसएंडटी के नए क्षेत्रों को बढ़ावा देना


विभाग के पास विशिष्ट परियोजनाओं एवं कार्यक्रमों के लिए प्रमुख जिम्मेदारियां हैं जो नीचे सूचीबद्ध हैं :

  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से संबंधित नीतियों का गठन -
  • मंत्रिमंडल की वैज्ञानिक सलाहकार समिति (एसएसीसी) से संबंधित मामले
  • उभरते क्षेत्रों पर विशेष जोर देने के साथ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के नए क्षेत्रों को बढ़ावा देना
  • संबंधित मंत्रालय या विभाग के समन्वय में जैव ईंधन उत्पादन, प्रसंस्करण, मानकीकरण एवं अनुप्रयोगों से संबंधित स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए अपने अनुसंधान संस्थानों या प्रयोगशालाओं के माध्यम से अनुसंधान एवं विकास
  • विकास मूल्य वर्धित रसायनों के लिए उप-उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान एवं विकास गतिविधियाँ

भविष्य विज्ञान : क्रॉस-सेक्टोरल लिंकेज वाले विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों का समन्वय एवं एकीकरण जिसमें कई संस्थानों एवं विभागों की रुचि एवं क्षमताएं हैं।

  • जहां आवश्यक हो, वैज्ञानिक एवं तकनीकी सर्वेक्षण, अनुसंधान डिजाइन एवं विकास को अधिकृत या वित्तीय रूप से प्रायोजित करना।
  • वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थानों, वैज्ञानिक संघों एवं निकायों को सहायता एवं अनुदान सहायता प्रदान करना
  • विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान परिषद, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड एवं संबंधित अधिनियम जैसे अनुसंधान एवं विकास उपकर अधिनियम, 1986 (1986 का 32) एवं प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड अधिनियम, 1995 (1995 का 44 वाँ), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार के लिए राष्ट्रीय परिषद आदि से संबंधित सभी मामले 
  • घरेलू प्रौद्योगिकी से संबंधित मामले विशेष रूप से वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग के अलावा अन्य प्रौद्योगिकी के व्यावसायीकरण को शामिल करने वाले उपक्रमों को बढ़ावा देना।
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने एवं राष्ट्र के विकास एवं सुरक्षा के लिए उनके अनुप्रयोगो के लिए आवश्यक अन्य सभी उपाय
  • नए संस्थानों की स्थापना एवं संस्थागत बुनियादी ढांचे सहित संस्थागत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षमता निर्माण से संबंधित मामले
  • राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदों एवं अन्य तंत्रों के माध्यम से आधारभूत विकास के लिए राज्य, जिला एवं ग्राम स्तर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना कमजोर वर्गों, महिलाओं एवं समाज के अन्य वंचित वर्गों तक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग पहुँचाना

1.1 राष्ट्रीय डेटा साझाकरण एवं पहुँच नीति (एनएसडीएपी)

भारत सरकार एवं विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में एवं विभिन्न प्रकार के डेटा, जिनमें कुछ में वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रासंगिकता शामिल हैं, विभिन्न संस्थानों द्वारा निर्मित एवं संकलित किए जाते हैं। वैज्ञानिक संगठन बड़ी मात्रा में सार्वजनिक धन लगाकर वैज्ञानिक डेटा बेस विकसित करते हैं। चूंकि इस तरह के डेटा किसी भी मानकी.त प्रारूप के तहत नहीं उत्पन्न होते हैं, इसलिए वैज्ञानिक एवं तकनीकी डेटा की अंतर-संचालनशीलता एक गंभीर चुनौती बन जाती है। वैश्विक अनुभव ने स्पष्ट रूप से दिखाया है कि डेटा तक पहुंच वैज्ञानिक समझ, आर्थिक एवं सार्वजनिक रूप से अच्छे होने के साथ-साथ नागरिक समाज को कई लाभों को देने में सफल होती है। डेटा के संग्रह में सार्वजनिक धन के निवेश के पर्याप्त स्तर को लगाना एवं समाज को लाभ की अप्रयुक्त संभावनाओं को देखते हुए, वैध एवं पंजी.त उपयोग के लिए गैर-संवेदनशील डेटा उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण हो गया है।

शासन सुधारों में नागरिकों को उलझाने पर सरकार के जोर को ध्यान में रखते हुए, सार्वजनिक क्षेत्र में गैर-रणनीतिक डेटा रखने एवं आरटीआई अधिनियम 2005 के प्रावधानों को लागू करने, नागरिकों को सशक्त बनाने, सार्वजनिक प्राधिकरण के नियंत्रण के तहत सूचना तक पहुंच सुरक्षित करने, एवं प्रत्येक सार्वजनिक प्राधिकरण के काम में जवाबदेही, डाटा शेयरिंग एवं एक्सेसिबिलिटी (एनपीडीएसए) लाने के लिए राष्ट्रीय नीति लाई गई थी। राष्ट्रीय नीति पंजी.त उपयोगकर्ताओं के बीच गैर-संवेदनशील डेटा की पहुंच बढ़ाएगी एवं साझाकरण को आसान बनाएगी एवं वैज्ञानिक, आर्थिक एवं सामाजिक विकास के उद्देश्यों के लिए उनकी उपलब्धता को बढ़ाएगी।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) नीति के समग्र समन्वय, निरूपण, कार्यान्वयन एवं निगरानी से जुड़े सभी मामलों के लिए प्रधान विभाग होगा। भू-स्थानिक डेटा के लिए, मौजूदा राष्ट्रीय स्थानिक डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर (एनएसडीआई) तंत्र जिसमें अंतरिक्ष विभाग एवं विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग दोनों शामिल हैं, किसी भी वाद समाधान के लिए उपयोग किया जाता है। राज्य सरकारों एवं केंद्रीय/राज्य विश्वविद्यालयों सहित अन्य संस्थानों को धन जारी करते समय भारत सरकार के मंत्रालयों/विभागों ने एक शर्त रखी है कि, इस तरह के धन का उपयोग करने से उत्पन्न डेटा इस नीति के दायरे में आएगी।

2.0 भारत में प्रौद्योगिकी का संक्षिप्त इतिहास

भारत की लम्बी व गौरवपूर्ण वैज्ञानिक परम्परा रही है। नेहरू जी ने अपनी पुस्तक द डिस्कवरी ऑफ इंडिया  (भारत-एक खोज) में लिखा है कि भारतीय गणितज्ञां ने पाइथागोरस के पूर्व ज्यामितिय प्रमेय विकसित कर ली थी तथा द्वितीय शताब्दी ईसा पूर्व से उनके द्वारा गणितीय समुच्चयों की संख्या ज्ञात करने की विकसित विधियों का उपयोग किया जा रहा था। पांचवीं शताब्दी ईस्वी से भारतीय गणितज्ञ दस अंकीय प्रणाली का उपयोग कर रहे थे व सातवीं शताब्दी से शून्य को एक संख्या के रूप में मानने लगे। वर्गों, चतुर्भुजों, वृत्तों, त्रिभुजों, भिन्नों, संख्या को बारह की घात में व्यक्त करने की क्षमता, बीज गणितीय सूत्र व खगोलीय अवधारणाओं की व्युत्पत्ति वैदिक साहित्यों से भी पूर्व की है जिनमें से कुछ का संयोजन तो 1500 ईसा पूर्व का है। खगोल शास्त्र, तत्व-विज्ञान, की अवधारणा व चिरस्थाई गति सभी ऋग्वेद में समाहित हैं। यद्यपि इस प्रकार की अवधारणा आगे प्राचीन यूनानियों द्वारा विकसित किए गए तथा भारतीय अंक गणितीय प्रणाली प्रथम सहस्त्राब्दी ईस्वी में अरबों द्वारा लोकप्रिय की गई (संख्या के लिए अरबी शब्द हिन्दसा को नेहरूजी द्वारा बिन्दुकित किया गया जिसका अर्थ है हिन्दू (भारत) द्वारा), उनकी भारतीय व्युत्पत्ति का होना राष्ट्रीय गर्व का स्त्रोत है।

अनेक तकनीकि खोजें हुईं जैसे औषधि विज्ञान, मस्तिष्क शल्य-चिकित्सा, औषधियां, कृत्रिम रंग व शीशे का आवरण लगाना, धातुकर्म, रसायन शास्त्र, दशमलव प्रणाली, ज्यामिति, खगोलशास्त्र तथा भाषा व भाषा-वैज्ञानिकी आदि (भाषा वैज्ञानिकी के क्रमबद्ध विश्लेषण की व्युत्पत्ति भारत में पाणिनि की चौथी शताब्दी ईसा पूर्व की संस्कृत व्याकरण अष्टध्यायी से हुई)। इनका व्यावहारिक उपयोग ईंट व मिट्टी के बर्तन बनाने में, धातु ढुलाई में, आसवन, सर्वेक्षण, नगर-योजना आयोजन, जलगति विज्ञान, चन्द्र-विज्ञान के विकास में किया गया व इन माध्यमों की खोजों के अभिलेख हड़प्पा सभ्यता जितने आरम्भिक हैं (लगभग 2500-1500 ई.पू.)।

पन्द्रहवीं शताब्दी पश्चात् वस्त्र उत्पादन की प्रौद्योगिकी, जल गति अभियांत्रिकी, जल संचालित यंत्र औषधियां व अन्य सृजनात्मक खोजें, साथ ही गणित व सैद्धांतिक-विज्ञान, मुस्लिम देशां से मुगल शासकों द्वारा पंद्रहवी सदी बाद लाई गई तकनीकों द्वारा विकसित व प्रभावित होते रहे।

वैज्ञानिक व तकनीकी विकास के व्यावहारिक उपयोग देखे गए उन सैंकड़ों हजार पानी वाले कुण्डों के उपयोग में, जो अठारहवीं व उन्नीसवीं शताब्दी तक दक्षिण भारत में बनाए जाते थे। यद्यपि प्रत्येक कुण्ड स्थानीय उद्यम द्वारा निर्मित किया जाता था, वास्तव में वे पूरे क्षेत्र के जल प्रदाय के लिए एक समन्वित तंत्र जाल के रूप में रचे गये थे। 

धातु कर्म विज्ञान ने कई लघु परन्तु परिष्कृत लोहे व इस्पात उत्पादन की भट्टियां की ओर अग्रसर किया। अठारहवीं शताब्दी के अंत तक उत्पादन क्षमता 2,00,000 टन प्रति वर्ष पहुंच चुकी होगी, ऐसा अनुमान है। निःसंदेह एक अदभुत उपलब्धि!

उच्चस्तरीय वस्त्र उत्पादन ने भारत को 1800 के पूर्व विश्व का शिखर उत्पादक व निर्यातक बना दिया, जो कि कताई की तकनीक में संशोधन का परिणाम था। (हालांकि औद्योगिक क्रांति पश्चात् अंग्रेज़ों ने पूरे विश्व बाज़ार को जीत लिया)।

खगोल विज्ञान के क्षेत्र में, दिल्ली, मथुरा, जयपुर, वाराणसी व उज्जैन में स्थित बिन्दुओं से जंतर मंतर भवनों द्वारा चन्द्रमा व सूर्य की ऋतुओं व कलाओं का निर्धारण, व तारों व ग्रहां की स्थिति का निर्धारण किया जाता था। जंतर मंतर की संरचना व निर्माण एक प्रख्यात खगोल-शास्त्री व शहर योजनाकार, अंबर के महाराज सवाई जयसिंह II द्वारा 1725 व 1734 द्वारा उस समय करवाया गया जब उनसे दसवें मुगल शासक मोहम्मद शाह ने चन्द्र पंचाग में सुधार के लिए कहा। इन भवनों को मुगल शासकों का संरक्षण प्रदान हुआ व इन्होंने कई पश्चिमी पर्यटकों व दार्शनिकों को आकर्षित किया। हालांकि चीन व यूरोप में जयसिंह की परियोजनाओं के एक शताब्दी पूर्व टेलीस्कोप का उपयोग किया जा रहा था। 

अंग्रेजों का भारत में आगमन आरम्भिक सत्रहवीं शताब्दी में हुआ। पुर्तगाली, डच व फ्रांसीसियों की भी उपस्थिति उस काल में थी परन्तु वह अधिक व्यापक नहीं। जिसके परिणामस्वरूप नया वैज्ञानिक विकास हुआ जो पिछली सहस्त्रादि की उपलब्धियां से जुड़ गया। यद्यपि उपनिवेशीकरण ने भारतीय संस्कृति को विकृत रूप प्रदान किया व इस क्षेत्र को इंग्लैंड व फ्रांस के कारखानां के कच्चे माल के स्त्रोत के रूप में परिवर्तित कर दिया व स्थानीय उद्यमों के लिये केवल निम्न तकनीकी उत्पादन शेष छोड़ा, शिक्षा व्यवस्था के रूप में एक नई संरचना विज्ञान में लाई गई। ब्रिटिश राज (1757 से 1857 तक ईस्ट इंडिया कम्पनी व 1858 से 1947 तक ब्रिटिश सरकार) द्वारा विज्ञान शिक्षा के रूप  में आरम्भ में केवल प्राथमिक शिक्षा दी जाती थी परन्तु बाद में अधिक समुपयोजन शुरू हुआ। यूरोपियों को उनके अनुसंधान व अन्वेषण में सहायता के लिए स्थानीय लोगों को कुशल बनाने के लिए सर्वेक्षण व औषधि विद्यालयों की आवश्यकता अनुभव हुई। जो भी नई तकनीक प्रयुक्त होती थी वह स्वदेशी रूप से तैयार करने के बजाय आयात की जाती थी परंतु यह केवल स्वतंत्रता के पूर्व की अवधि में ही हुआ कि भारतीय वैज्ञानिकों को अपने कार्य के लिए राजनैतिक संरक्षण व सहायता का लाभ प्राप्त हुआ। 

पूर्व व उत्तर-स्वतंत्र काल के एक सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक भारत में ही प्रशिक्षित चन्द्रशेखर वैंकट रमन। हुए वे एक उत्साही राष्ट्रवादी, बहु-सृजनात्मक शोधकर्ता और प्रकाश के प्रमात्रा यांत्रिकी के विषयों व प्रकाश के अधिक प्रकीर्णन पर विज्ञान- आलेख लिखने वाले एक लेखक थे। 1930 में श्री रमन को उनकी 1928 की रमण प्रभाव की खोज के लिए नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिसने यह प्रदर्शित किया कि पदार्थ के अन्दर फोटॉन की ऊर्जा आंशिक रूप से रूपांतरण का अनुभव कर सकती है। वर्ष 1934-36 में उन्होंने अपने सहकर्मी नागेन्द्र नाथ के साथ मिलकर पराध्वनिक तरंगों द्वारा प्रकाश के विवर्तन पर रमण-नाथ सिद्धांत प्रतिपादित किया। वे भारतीय विज्ञान संस्थान के निदेशक थे तथा उन्होंने वर्ष 1934 में भारतीय विज्ञान अकादमी व वर्ष 1948 में रमण अनुसंधान संस्थान की स्थापना की।

एक अन्य शीर्ष वैज्ञानिक थे होमी जहांगीर भाभा, जो ब्रिटेन के केंब्रिज विश्वविद्यालय में भौतिकी तथा ब्रम्हाण्ड किरणों व पोजीट्रान सिद्धांत में अपने योगदान के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय प्रख्यात भौतिक-शास्त्री थे। वर्ष 1945 में, सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट की आर्थिक सहायता से भाभा ने बॉम्बे में टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान की स्थापना की।

स्वतंत्रतापूर्व के अन्य प्रख्यात वैज्ञानिकों में सर जगदीश चन्द्र बोस का नाम भी सम्मिलित है। वे कैंब्रिज से शिक्षित एक बंगाली भौतिकी शास्त्री थे जिन्होंने 1895 में बेतार टेलीग्राफी के लिए विद्युतचुंबकीय तरंगों के प्रयोग की खोज की और उसके पश्चात् वे जैव भौतिकी की द्वितीय उल्लेखनीय जीवन यात्रा की ओर अग्रसर हुए।

मेघनाथ साहा भी बंगाल से एक वैज्ञानिक थे जो भारत, ब्रिटेन और जर्मनी में प्रशिक्षित हुए और एक अंतर्राष्ट्रीय ख्यात प्राप्त नाभिकीय भौतिकीशास्त्री हुए, जिनकी गणितीय समीकरणों व आयनीकरण के सिद्धांतों ने स्टेलर स्पैक्ट्रा की अंतः दृष्टि प्रदान की। 1930 के अन्त तक साहा ने राष्ट्रीय आर्थिक आधुनिकिकरण के लिए विज्ञान के महत्व की अनुशंसा की, एक अवधारणा जिसे नेहरू व शासन योजनाकारों की कई पीढ़ियां ने गले लगाया।

बोस-आंइस्टीन स्थैतिकी का उपयोग प्रमात्रा यांत्रिकी में किया जाता है और बोसोन कण का नामकरण एक अन्य शीर्ष के वैज्ञानिक, गणितज्ञ सत्येन्द्रनाथ बोस के नाम पर दिया गया था। स.ना. बोस ने भारत में प्रशिक्षण प्राप्त किया और उनकी अनुसंधान खोजों ने उन्हें अंतरर्राष्ट्रीय खोजों ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति व अग्रवर्ती अध्ययन के लिए फ्रांस व जर्मनी जाने का अवसर प्रदान किया। 1929 में विकिरण के गैस रूप में अपनी खोज का परिणाम अलबर्ट आइंस्टीन को भेजा। आइंस्टीन ने सांख्यिकी विधि का सामान्य अणु तक विस्तार किया, जिससे उन्होंने पदार्थ की नई अवस्था का पूर्वानुमान लगाया, जिसे बोस आइंस्टीन संघनन कहते हैं, जिसे 1995 में संयुक्त राज्य परीक्षण प्रयोगशाला ने वैज्ञानिक रूप से सिद्ध किया।

प्रफुल्ल चन्द्र राय, एक अन्य बंगाली, जिन्होंने 1887 में इडनबर्ग विश्वविद्यालय से अकार्बनिक रसायनिक में डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की और फिर वे अपनी जीवन-यात्रा शिक्षण व शोध को समर्पित करने की ओर अग्रसर हुए। उनका कार्य बीसवीं शताब्दी की शुरूआत में बंगाल में रसायन उद्योगों की स्थापना के लिए सहायक सिद्ध हुआ।

हरित क्रांति, शिक्षण सुधार, सैकड़ों वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं की स्थापना, औद्योगिक व सैन्य अनुसंधान, विशालकाय हाइड्रॉलिक परियोजनाएं और अंतरिक्ष की सीमाओं में प्रवेश सभी का विकास स्वतंत्रता के पश्चात् उच्च तकनीक को गले लगाने के लिए हुआ।

आरम्भ के योजना दस्तावेजों में से एक 1958 का वैज्ञानिक नीति संकल्प था, ‘‘जिसने सभी उचित माध्यमों से विज्ञान व वैज्ञानिक शोधों से सभी स्वरूपों (शुद्ध, व्यावहारिक व शैक्षणिक) का आलिंगन करने का न्यौता दिया और व्यक्तिगत पहल को प्रोत्साहित किया।‘‘ 1983 में सरकार ने ऐसा एक और विवरण पत्र घोषित किया जिसमें अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और वैज्ञानिक ज्ञान के विलयन के महल पर जोर देते हुए आत्म-निर्भरता और स्वदेशी तकनीक के विकास पर महत्वपूर्ण रूप से बल दिया गया। 

3.0 भारत में विज्ञान व तकनीक का स्वरूप

3.1 विज्ञान व तकनीक नीति विवरण

विज्ञान और तकनीक नीति विवरण (एस.टी.पी.) भारत सरकार के वे नीति औजार हैं जो तकनीक नीति के उद्देश्य व पद्धति बताते हैं। तीन तकनीक नीति विवरण अब तक 1958, 1983 व 2003 में प्रकाशित किए जा चुके हैं। 1958 का विवरण विज्ञान नीति विवरण कहलाया जबकि 1983 का तकनीक नीति कथन कहलाया। 2003 का विज्ञान व तकनीक नीति कथन के रूप में 12003 के दस्तावेज ने आधुनिक तकनीकों को स्वदेशी ज्ञान के आधार के साथ जोड़ने के महत्व की पुष्टि की है। भारत में विशिष्ट नीतियों को लाने के तीन महत्वपूर्ण उद्देश्य थेः राष्ट्रीय विकास व सुरक्षा के लिए विज्ञान; आत्मनिर्भरता व वैज्ञानिक मनोवृत्ति का निर्माण।

3.2 भारत का संविधानः वैज्ञानिक मनोवृत्ति

51ए अनुच्छेद के उल्लेख के अंतर्गत, वैज्ञानिक मनोवृत्ति विकसित करना भारत देश के नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों में से एक है। मौलिक कर्तव्य स्वेच्छिक हैं और इसके लिए कानून के द्वारा, या न्यायालय के द्वारा नागरिक को बलपूर्वक बाध्य नहीं किया जा सकता। संविधान गढ़ने वालों के द्वारा निदेशात्मक सिद्धांतों को स्वेच्छिक रूप से अधिक इंगित किया गया है जो कि देश के लोगों की आर्थिक व सामाजिक स्वतंत्रता को अधिक महत्व देते हैं। यद्यपि ये सिद्धांत विज्ञान के विषय में मौन है; किंतु यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वि.व.त. नीतियाँ उनके विरूद्ध नहीं जा सकती और सिद्धांतों में उल्लेखित उद्देश्यों को सुगम करना चाहिए। उदाहरण के लिए, चूंकि ये सिद्धांत महिलाओं व बच्चों की दशा को बेहतर बनाने को महत्व देते हैं, इससे यह अर्थ निकाला जा सकता है कि वि.व.त.नीतियाँ जिनकी रचना इन उद्देश्यों को ध्यान में रखकर की गई है, वे वांछनीय हैं।

3.3 जनता की धारणा का विश्लेषण

भारत में विज्ञान की लोकप्रियता का एक लम्बा इतिहास रहा है। परन्तु विज्ञान से समाज के मिलन बिन्दु पर आंदोलनों व संगठनों की रचना केवल 1960 के अंत में हुई। जनता का साइलेंट वेली परियोजना जैसी परियोजनाओं का विरोध भी उनके द्वारा स्पष्ट कर दिया गया था। केरल शास्त्र साहित्य परिषद (के.एस.एस.पी.), 1962 में अग्रणी लोगों द्वारा एक विज्ञान आंदोलन स्थापित किया गया। 1985 में कई कार्यकर्ता समूह व समान आंदोलन एक साथ आए और सामान्य विषयों के मुद्दे व रूचियाँ निर्धारित की गईं जिसके परिणामस्वरूप अखिल भारतीय जनवादी विज्ञान नेटवर्क (ए.आई.पी.एस.एन.) की स्थापना की गई।

बाद में ‘जन विज्ञान जथा‘ नामक राष्ट्रीय स्तर की कार्य योजना भी तीन विषयों, लोगों के लिए विज्ञान, राष्ट्र के लिए विज्ञान व खोज के लिए विज्ञान के आसपास बनाई गई। साक्षरता में बड़ी असमानता, जानकारी तक पहुँची और अन्य विभिन्न मानव विकास संकेतकों ने भारत में विज्ञान की समझ को और अधिक जटिल बना दिया। रेडियो व टेलीविजन कई वर्षों तक राज्य के नियंत्रण में थे और अंतिम केवल 20 वर्षों में निजी क्षेत्र ने इसमें एक लंबी छलांग मारी है। सरकार द्वारा नियंत्रित मीडिया में कृषि कार्यक्रमों को एक विशिष्ट खण्ड दिया गया था। एन.आई.एस.टी.ए.डी.एस. ने ए.आई.पी.एस.एम. के साथ विज्ञान, तकनीकी व समाज के अध्ययन के लिए विज्ञान के प्रति जनता के रवैये (पी.ए.यू.एस) का सर्वेक्षण किया। 

एक प्रश्नमाला के आधार पर मंगोलपुरी, दिल्ली (1991), अर्ध-कुम्भ, इलाहाबाद (1995) और नेपाल (1996) में साक्षात्कार किए गए। इस सर्वेक्षण के परिणाम संगठित नहीं किए गए और एक भी प्रकाशन में प्रस्तुत नहीं किए गए। भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (आई एन एस ए.) ने राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद् (एन.सी.ए.ई.आर.) को अध्ययन के द्वारा प्राथमिक सर्वेक्षण के आधार पर विज्ञान के प्रति जनता के रवैये की समझ के लिए भारत विज्ञान रिपोर्ट (2003-2004) बनाने को कहा। एक प्रश्नमाला पर आधारित सर्वेक्षण किया गया। परन्तु प्रतिदर्श का आकार अत्यन्त ही सीमित था और इसके आगे इस प्रश्नमाला पर आधारित कोई अध्ययन नहीं किया गया। यह सर्वेक्षण विज्ञान व तकनीकी पर समझ के मानचित्र का एक रोचक प्रयास था। परन्तु ना तो इसे आगे बढ़ाया गया और न ही बाद के वर्षों में इसे दोहराया गया। इसलिए इसकी खोजों का बहिर्वेषन करना और इसे किसी भी अन्य अध्ययन से संबंधित करना अत्यन्त कठिन है। 

3.4 भारत विज्ञान रिपोर्ट : परिणाम

टीवी के बाद रेडियो जानकारी का शीर्ष स्त्रोत है। टेलीविजन को लगभग 75 प्रतिशत सहभागियों की विश्वसनीयता व भरोसा प्राप्त है परन्तु असाक्षरों को इस माध्यम पर कम भरोसा है।

भारतीय विज्ञान व तकनीकी की महान उपयोगिता को समझते हैं और 77 प्रतिशत सहभागियों ने अनुभव किया कि वि.व.त. ने जीवन को अधिक स्वस्थ व सुगम बनाया है। परन्तु मशीनीकरण के प्रति सकारात्मक रवैया कम है। परन्तु 60 प्रतिशत से अधिक यह मानते है कि नई तकनीकों के माध्यम से कार्य ओर अधिक रूचिपूर्ण हो जाता है।

अतः यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि विज्ञान व तकनीकी के प्रति जनता का प्रतिरोध विशेष नहीं है।

3.5 वैज्ञानिकों का सर्वेक्षण

2007-2008 में समाज व संस्कृति में धर्मनिरपेक्ष अध्ययन संस्थान, त्रिनिटी कॉलेज, सं.रा.अ. द्वारा भारतीय वैज्ञानिकों (1100 पी.एच.डी. उपाधि वाले) पर वैज्ञानिकों के मतों व विश्वदृष्टि पर आधारित एक सर्वेक्षण किया गया। इसमें भाग लेने वाले 130 संस्थानों से थे, जिसमें आई.आई.टी, कानपुर, खड़गपुर, मद्रास, बॉम्बे व भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर सम्मिलित हैं।

जांच परिणामः

उनकी दृष्टि में भारत में वैज्ञानिकों को उचित सम्मान प्राप्त था परन्तु उनका विचार था कि भारत में वैज्ञानिकी साक्षरता कम है। 64 प्रतिशत सहभागियों ने कहा कि वे जैविक हथियारों के विकास पर कार्य करने में सहमत नहीं होंगे, जबकि 54 प्रतिशत ने समान कदम परमाणु हथियारों के लिए उठाया। अनुवांशिक अभियांत्रिकी और स्टेम सेल अनुसंधान को परित्यक्त करने वाले 10 प्रतिशत से भी कम थे। उनमें से अधिकतम (59 प्रतिशत) ने स्वयं को धर्म-निरपेक्ष माना, 50 प्रतिशत ने होम्योपैथी को प्रभावशाली माना। वैज्ञानिकों की बूझ की अनुपस्थिति में यह अध्ययन साहित्य में योगदान के लिए स्वागत योग्य है। 

परन्तु इस अध्ययन के प्रयास सीमित हैं और कई प्रश्नों का निर्देशन उनकी विज्ञान व धर्म की बूझ की ओर है। अतः यह हमें उनके नीतियों के प्रति विचार व जनता की विज्ञान की समझ के बारे में अधिक कुछ स्पष्ट नहीं करता। पुनः संपूर्ण परिणामों को सार्वजनिक नहीं किया गया।

3.6 नैतिकताओं व नीति का ध्यान केन्द्र

विज्ञान व समाज कार्यक्रमों के अंतर्गत युवा वैज्ञानिकों के लिए लाभ देखने के उद्देश्य से विशिष्ट योजनाएं आयोजित की गईं। लिंग विशेष कार्यक्रम, कमज़ोर वर्गों के लिए विज्ञान तकनीकी प्रयोग (एस.टी.ए.डब्ल्यू.एस.) व आदिवासी विकास हेतु प्रौद्योगिकी अंतरण और ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य की कठिनता को सुगम बनाने की कई परियोजनाओं की पहल की गई। इस संदर्भ में ग्रामीण विकास के लिए विज्ञान व तकनीकी के अनुप्रयोग (एस.टी.ए.आर.डी.) एक मुख्य योजना है। विज्ञान व तकनीकी कार्यक्रम ने वि.व.त. क्षेत्र में स्वयं सेवी संस्थाओं के महत्व को भी इंगित किया जिसके द्वारा समाज के वर्गो जैसे कुम्हारी, चर्मकारी व कृषि संबंधित व्यवसायों को उत्पादन में वृद्धि के लिए विज्ञान व तकनीकी का महत्व विकसित व प्रदर्शित किया जा सके। नवीन तकनीकों पर आधारित योजना आयोग की वर्ष 1986 की गोष्ठी ने विज्ञान व तकनीकी परामर्श समिति (एस.टी.ए.सी.) नामक एक नए रचनातंत्र के विकास में सहायता की जिसने कई मंत्रालयों की सीमा-रेखाआें के माध्यम से विज्ञान व तकनीकी के प्रचार के लिए विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग को शीर्ष भूमिका में रखा। एस.टी.ए.सी. के अंतर्गत 24 सामाजिक, आर्थिक मंत्रालय आते हैं।

वर्ष 2003 में एक अंतःक्षेत्रीय विज्ञान व तकनीकी परामर्श समिति (आई.एस.एस.टी.एस.सी.) का गठन किया गया जिसके द्वारा एस.टी.एस.सी व अन्य वैज्ञानिकों व प्रौद्योगिकियों को सदस्य सचिव फोरम उपलब्ध हो सके जिसके द्वारा उनकी निपुणताओं व अनुभवों के आदान-प्रदान से तार्किक निर्णय प्रक्रिया व आर्थिक विकास को आमने-सामने लाने के लिए एक अतिरिक्ति औजार प्राप्त हो। विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग ने एक नया संगठित कार्यक्रम समानता, सक्षमता व संवर्धन के लिए विज्ञान (सीड) (एस.ई.ई.डी.) रचित किया जिसके द्वारा ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में समाज के विकलांग वर्गों की चुनौतियों के लिए हल प्रदान किए जा सके। सीड ने उन्नत राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं को स्थानीय वि.व.त. प्रयोगशालाओं से जोड़ने पर जोर दिया जिससे कि स्थानीय चुनौतियों के हल प्राप्त करने के लिए पारस्परिक व्यवहार व पहल को प्रोत्साहन मिले। सीड कार्यक्रम के अंतर्गत सहायक परियोजनाओं को अनुदान जमीनी संगठनों को दिये जाते हैं विशेष रूप से उन्हें जो कारीगरों भूमिहीनों मजदूर, महिलाएं व अन्य विकलांग वर्ग विशेषतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में उनके विकास के लिए कार्य करती है। इसमें उनके कौशलों को उन्नत किया जाता है व स्थापन समाधानों पर उन्हें उन्नत प्रयोगशालाओं से जोड़ा जाता है। 

सरकारी की 12वीं योजना में एक विशिष्ट योजना लागू की गई है जिसका शीर्षक ‘‘इनोवेशन इन साइंस परस्यूट फॉर इन्सपायर्ड़ रिसर्च‘‘ (आई.एन.एस.पी.आय.आर.ई.) है। यह एक प्रयास है विद्यार्थियों को वि.व.त. की ओर आकर्षित करने का। इन्सपायर के एक भाग के रूप में दस लाख युवा विद्यार्थियों को सहायता प्रदान की जाएगी और उन्हें विभिन्न राज्यों के ग्रीष्म शिविरों में विज्ञान आदर्शों के साथ समय व्यतीत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। 

4.0 विज्ञान व तकनीकी संस्थागत संरचना

4.1 संस्थागत नैतिकता समिति (आई.ई.सी.)

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आई.सी.एम.आर.) ने 1980 में ‘‘मानव जैव चिकित्सीय अनुसंधान के नैतिक मुद्दों’’ पर एक नीति कथन जारी किया जिसने वैज्ञानिक अनुसंधान में लगे सभी संस्थानों को संस्थागत नैतिकता समिति गठित करने और इन समितियों की संरचना व कार्य का विवरण देने का प्रस्ताव रखा। केन्द्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (डी. सी. जी. आई.) ने 1964 के दवा व प्रसाधन सामग्री अधिनियम के द्वारा 2001 में संस्थागत नैतिकता समिति की स्थापना के लिए जी. सी. पी. दिशा निर्देश जारी किए। इस प्रकार कई संस्थानों में चिकित्सीय परीक्षण के लिए संस्थागत नैतिकता समितियों का गठन किया ऐसा प्रस्ताव है कि संस्थागत नैतिकता समितियों के पंजीकरण को अब अनिवार्य कर दिया जाए। 

4.2 मानव अनुसंधान पर केन्द्रीय नैतिकता समिति (सी.ई.सी.एच.आर.) 

आई.सी.एम.आर. भारत का शीर्ष का अनुसंधान कार्यक्रम है जो कि इसके मानव अनुसंधान पर केन्द्रीय नैतिकता समिति द्वारा 1996 में स्थापित किया गया। जैव-चिकित्सीय क्षेत्र को व्यापक रूपरेखा उपलब्ध कराने के लिए भारतीय संसद जैव चिकित्सीय प्राधिकरण (बी.आर.ए.) स्थापित करने का एक विधेयक प्रस्तावित किया गया है। यह मानव विषय पर जैव चिकित्सीय अनुसंधान (प्रचार व नियंत्रण) विधेयक 2006 का एक खण्ड है। प्रस्तावित विधेयक में सी.ई.सी.एच.आर. का राष्ट्रीय नैतिकता समिति (एन.ई.सी) के रूप में पुनः नामकरण की सूचना दी गई। जिसका संशोधन 2000 व बाद में 2006 में हुआ जिसने नतीजतन संसद के सम्मुख विधेयक के रूप में स्थान प्राप्त किया। दिशा निर्देशों में संशोधन ने तीव्रगति से परिवर्तित होती हुई तकनीकों के संदर्भ में व व्यापारी साझेदारी व इस क्षेत्र की नैतिकता के मुद्दों पर प्रतिक्रिया करने का प्रयास किया।

4.3 राष्ट्रीय जैव नैतिकता समिति 

भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा एक राष्ट्रीय जैव नैतिकता समिति, 1999 में स्थापित की गई। समिति ने 2003 में यह अनुशंसा की कि किसी भी प्रकार की प्रजनन क्लोनिंग को अनुमति नहीं दी। परन्तु चिकत्सीय क्लोनिंग की उपयोगिता की संभावना की व प्रत्येक दशा के लाभों के आधार पर इस कार्य की अनुमति दी जा सकती है।

4.4 पशुओं व परीक्षण के नियंत्रण व निरीक्षण के उद्देश्य से समिति (सी.पी.सी.एस.ई.ए.) 

सी.पी.सी.एस.ई.ए. का गठन पर्यावरण व वन मंत्रालय द्वारा पशुओं को प्रति क्रूरता अधिनियम 1960 के अंतर्गत पशुओं पर परीक्षणों को नियंत्रित करने के लिए किया थां पशुओं का प्रजनन एवं परीक्षण (नियंत्रण व निरीक्षण) नियम 1998 में अधिसूचित किए गए जिनका संशोधन 2001 और उसके बाद 2005 में हुआ। 

पशुओं के प्रजनन व परीक्षण नियम के अंतर्गत संबंधित संस्थाओं को संस्थागत पशु नैतिकता समिति (आई.ए.ई.सी.) गठिन करना है और सी.पी.एस.ई.ए. में पंजीकरण और उनके पशुघरों का निरीक्षण करना आवश्यक है साथ ही बड़े पशुओं इत्यादि पर विशिष्ट अनुसंधान परियोजनाओं के लिए आई.ए.ई.सी. व सी.पी.एस.ई.ए. द्वारा अनुमति लेना अनिवार्य है। सी.पी.एस.इ.ए. को भी छोटे जानवरों पर परीक्षण करने के लिए आई.ए.सी. द्वारा अनुमति लेना अनिवार्य है। भारत में 1600 पंजीकृत आई.ए.ई.सी है। यह उस अधिदेश के साथ कार्य करती है कि व्यक्ति पशु विज्ञान में विधिवत् अर्हता प्राप्त हो जिसके अंतर्गत वह उसके परीक्षण करने के कर्तव्य का निर्वाह कर सके। बड़े पशुओं पर परीक्षण परिहार्य है जब समान परिणाम छोटे पशुओं जैसे गिनी पिग, खरगोश, चूहों इत्यादि से प्राप्त किए जा सकें। 

4.5 स्टेम सेल अनुसंधान शोध व उपचार के लिए शीर्ष समिति 

जैव प्रौद्योगिकी विभाग और भारतीय चिकित्सीय अनुसंधान परिषद् (आई सी एम आर) ने 2007 में स्टेम सेल अनुसंधान व उपचार के दिशा निर्देश जारी किए। एस.सी.आर.टी. के दिशा निर्देश अनुसंधान व उपचार के लिए मानव स्टेम सेल के व्युत्पत्ति, प्रसारण, विभेदन, गुणवर्धन, अधिकोषकरण व उपयोग के लिए नैतिक मूल्यों को परिभाषित किया। दिशा निर्देश ने कई अनुसंधान उपक्रमों की समीक्षा व निगरानी के लिए स्टेम सेल अनुसंधान व उपचार की शीर्ष समिति की स्थापना का प्रस्ताव रखा।


5.0 विष्व आईपी संगठन (डब्ल्युआईपीओ)

2017 में बौद्धिक संपदा (आईपी) उपकरणों की दुनिया भर में मांग रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच गई, एवं चीन ने पेटेंट, ट्रेडमार्क, औद्योगिक डिजाइन एवं अन्य आईपी अधिकारों के लिए फाइलिंग में वृद्धि को गति दी, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के केंद्र में हैं।

डब्ल्यूआईपीओ के महानिदेशक फ्रांसिस गुर्री ने कहा, ‘आईपी सुरक्षा की मांग वैश्विक आर्थिक विकास की दर से तेजी से बढ़ रही है, यह दर्शाता है कि आईपी समर्थित नवाचार प्रतिस्पर्धा एवं वाणिज्यिक गतिविधि का एक महत्वपूर्ण घटक है।’

5.1 पेटेंट

चीन के आईपी कार्यालय ने 2017 में सबसे अधिक पेटेंट आवेदन प्राप्त किए, जो एक रिकॉर्ड 1.38 मिलियन थे। चीन ने 2017 में पेटेंट एवं औद्योगिक डिजाइन अनुप्रयोगों के लिए आंकड़ों को संकलित करने के लिए अपनी पद्धति को परिष्कृत किया, केवल उन लोगों की गिनती की जिनके लिए आवेदन शुल्क का भुगतान किया गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका (606,956), जापान (318,479), कोरिया गणराज्य (204,775) एवं यूरोपीय पेटेंट कार्यालय (166,857) के कार्यालयों के बाद चीन का आईपी कार्यालय था।

दुनिया के कुल 84.5 प्रतिशत के लिए शीर्ष पांच कार्यालयों जिम्मेदार है। इन कार्यालयों में, चीन (14.2 प्रतिशत) एवं ईपीओ (4.5 प्रतिशत) ने आवेदनों में मजबूत वृद्धि देखी, जबकि जापान (़0.03 प्रतिशत) एवं यू.एस. (़0.2 प्रतिशत) ने नगण्य वृद्धि देखी। कोरिया गणराज्य (-1.9 प्रतिशत) को 2016 की तुलना में 2017 में कम आवेदन मिले।

5.2 ट्रेडमार्क

2017 में दुनिया भर में 12.39 मिलियन वर्गों को कवर करने वाले अनुमानित 9.11 मिलियन ट्रेडमार्क आवेदन दर्ज किए गए थे। 2017 में, विकास के लगातार आठवें वर्ष में अनुप्रयोगों में निर्दिष्ट कक्षाओं की संख्या में 26.8 प्रतिशत की वश्द्धि हुई।

चीन के आईपी कार्यालय में लगभग 5.7 मिलियन की एक वर्ग गणना के साथ गतिविधि की मात्रा सर्वाधिक थी, इसके बाद अमेरिका (613, 921), जापान (560, 269), यूरोपीय संघ बौद्धिक संपदा कार्यालय (ईयूआईपीओ 371508) एवं इस्लामी गणतंत्र ईरान (358,353) शामिल थे। शीर्ष 20 कार्यालयों में, इस्लामी गणतंत्र ईरान(़87.9 प्रतिशत) एवं चीन (़55.2 प्रतिशत) ने उच्च वार्षिक वृद्धि दर्ज की। उन दोनों कार्यालयों में, निवासी फाइलिंग में मजबूत वृद्धि ने समग्र विकास को रोक दिया। जापान (़24.2 प्रतिशत), यू.के. (़24.1 प्रतिशत) एवं कनाडा़ (9.5 प्रतिशत) में भी काफी वृद्धि देखी गई।

5.3 औद्योगिक डिजाइन

2017 में दुनिया भर में 1.24 मिलियन डिजाइन वाले 945,100 औद्योगिक डिजाइन आवेदन प्रस्तुत किए गए थे।

चीन के कार्यालय को 2017 में 628,658 डिजाइन वाले आवेदन प्राप्त हुए, जो कि विश्व के कुल 50.6 प्रतिशत के बराबर है। इसके बाद ईयुआईपीओ (111,021), केआईपीओ (67,357), तुर्की (46,875) एवं अमेरिका (45,881) का स्थान रहा। शीर्ष 20 कार्यालयों में, यू.के. (़92.1 प्रतिशत), स्पेन (़23.5 प्रतिशत) एवं स्विटजरलैंड (17.9 प्रतिशत) में डिजाइन की गिनती में सबसे तेज वृद्धि हुई।

5.4 पौधों की किस्में

चीन, 2017 में 4,465 पौधों की विविधता वाले अनुप्रयोगों को प्राप्त करने वाला शीर्ष फाइलिंग कार्यालय बन गया, इसके बाद यूरोपीय संघ का सामुदायिक संयंत्र विविधता कार्यालय (सीपीवीओय 3,422), यू.एस. (1,557), यूक्रेन (1,345) एवं जापान (1,019) का स्थान रहा। चीन ने 2017 में 52.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। यूक्रेन (़ 5.6 प्रतिशत), जापान (4.3 प्रतिशत ) एवं सीपीवीओ (3.7 प्रतिशत) ने भी वृद्धि दर्ज कि जबकि अमेरिका ने आवेदनों में में 2.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की।

5.5 भौगोलिक संकेत

2017 में, दुनिया भर में 59,500 भौगोलिक संकेत (जीआई) थे। जीआई उन उत्पादों पर उपयोग किए जाने वाले संकेत हैं जिनके पास एक विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति है एवं गुण या प्रतिष्ठा है जो उसकी प्रसिद्धी के कारण हैं, जैसे कि पनीर के लिए ग्रुएरे या शराब के लिए टकीला।

जर्मनी (14,073) ने सबसे अधिक जीआई को लागू किया, जिसके बाद ऑस्ट्रिया (8,749), चीन (8,507), हंगरी (6,646) एवं चेक गणराज्य (6,191) का स्थान रहा। यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में से प्रत्येक में 4,932 यूरोपीय संघ जीआई थे।

5.6 रचनात्मक अर्थव्यवस्था

11 देशों के प्रकाशन उद्योग के तीन क्षेत्रों (व्यापार, शैक्षिक एवं वैज्ञानिक, तकनीकी एवं चिकित्सा) द्वारा उत्पन्न राजस्व 248 बिलियन अमरीकी डॉलर था। चीन ने सबसे बड़ा शुद्ध राजस्व (यूएसडी 202.4 बिलियन) बताया, उसके बाद अमेरिका (यूएसडी 25.9 बिलियन), जर्मनी (यूएसडी 5.8 बिलियन) एवं युके (यूएसडी 4.7 बिलियन) का स्थान रहा।

डिजिटल संस्करणों से चीन में कुल व्यापार क्षेत्र का 28.3 प्रतिशत, जापान में 23.5 प्रतिशत, स्वीडन में 18.4 प्रतिशत, फिनलैंड में 13.2 प्रतिशत एवं यू.एस. में 12.9 प्रतिशत उत्पन्न हुआ।


आर एंड डी गतिविधियों पर राष्ट्रीय निवेश ने 2014-15 में रू. 85,326.10 करोड़ का स्तर छुआ। 2015-16 में यह रू. 94,516.45 करोड़ एवं 2017-18 में रू. 1,04,864.03 करोड़ रहा। केंद्र सरकार के स्रोतों (45.1 प्रतिशत) से आर एंड डी खर्च का प्रमुख हिस्सा मिला; राज्य सरकारों ने 7.4ः, उच्च शिक्षा ने 3.9 प्रतिशत, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों ने 5.5 प्रतिशत एवं निजी क्षेत्र के उद्योगों ने शेष 38.1 प्रतिशत का योगदान दिया। सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के उद्योगों की इन-हाउस आरएंडडी इकाइयों सहित अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठानों में लगभग 5.28 लाख कर्मियों को नियुक्त किया गया था। आरएंडडी प्रतिष्ठानों में 77,706 महिलाएँ कार्यरत थीं जो देश में आरएंडडी प्रतिष्ठानों में कार्यरत कुल श्रमशक्ति का 14.7 प्रतिशत थीं। इसमें से 2.83 लाख आरएंडडी गतिविधियां कर रहे थे, जो आरएंडडी गतिविधियों का प्रदर्शन करने वाले कुल कर्मियों का 53.6 प्रतिशत है।

कुछ उपयोगी तथ्य

  • भारत दुनिया में प्रौद्योगिकी लेनदेन के लिए सबसे आकर्षक निवेश स्थलों में तीसरे स्थान पर है
  • भारत अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में शीर्ष पांच देशों में से एक तथा, वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में दुनिया के सबसे शीर्ष देशों में से एक है
  • बाजार का आकार - भारत वैज्ञानिक प्रकाशनों के लिए 6 वें स्थान पर है एवं पेटेंट के लिए 10 वें स्थान पर है जिसमें केवल निवासी आवेदन शामिल हैं
  • भारतीय वैज्ञानिकों एवं अन्वेषकों द्वारा दायर पेटेंट आवेदनों की संख्या वित्त वर्ष 18 में बढ़कर 47,857 हो गई, जो वित्त वर्ष 2016 में 46,904 थी
  • प्राकृतिक विज्ञानों में उच्च-गुणवत्ता वाले शोध आउटपुट की गणना के आधार पर, भारत ने 2017 में नेचर इंडेक्स में 13 वां स्थान प्राप्त किया
  • भारत ने 2015 में 81 वें स्थान से ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स पर अपनी रैंक में सुधार किया, भारत ने 2016 में अपनी रैंकिंग में 66 वें एवं 2017 में 60 वें स्थान पर सुधार किया। यह 2018 में 57 वें स्थान पर था
  • भारत सरकार बड़े पैमाने पर रिसर्च पार्क टेक्नोलॉजी बिजनेस इन्क्यूबेटरों (टीबीआई) एवं (आरपी) को बढ़ावा दे रही है, जो नए विचारों को बढ़ावा देंगे जब तक कि वे व्यावसायिक उद्यम नहीं बन जाते हैं
  • भारत में इंजीनियरिंग अनुसंधान एवं विकास एवं उत्पाद विकास बाजार 20.55 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ने का अनुमान है जिसके 2020 में, वित्त वर्ष 2018 के यूएस डॉलर 28 बिलियन से बढ़कर डॉलर 45 बिलियन तक पहुंचने की संभावना है
  • सरकार के अनुसार, अनुसंधान के अवसरों को आगे बढ़ाने के लिए भारत में वापस आने वाले भारतीय वैज्ञानिकों की संख्या 2007-2012 में 243 से बढ़कर 2012 से 2017 के बीच 649 हो गई है। 5 वर्षों की अवधि में 649 भारतीय वैज्ञानिक अनुसंधान के अवसरों को आगे बढ़ाने के लिए लौट आए हैं
  • भारत का आर एंड डी निवेश 2018 में बढ़कर 83.27 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो 2017 में 76.91 बिलियन अमेरिकी डॉलर था
  • फरवरी 2018 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘प्रधानमंत्री अनुसंधान अध्येता (पीएमआरएफ)’ योजना के कार्यान्वयन को मंजूरी दी है, जो 2018-19 से शुरू होकर सात साल की अवधि के लिए 1,650 करोड़ रुपये (यूएस डॉलर 245.94 मिलियन) की कुल लागत पर नवाचार के माध्यम से विकास के मिशन को बढ़ावा देगा
  • फरवरी 2018 में, भारत सरकार ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा निर्मित एक फंड इंपैक्टिंग रिसर्च इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी (इम्प्रिंट) के दूसरे चरण के लिए 1,000 करोड़ रुपये (155.55 मिलियन अमेरिकी डॉलर) देने की घोषणा की
  • केंद्रीय बजट 2019-20 - विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) को आवंटन पिछले बजट की तुलना में 4.03 प्रतिशत बढ़ाकर 5,321.01 करोड़ रुपये (737.49 मिलियन अमेरिकी डॉलर) कर दिया गया है

केंद्रीय बजट 2019-20 के तहत, भारत सरकार ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय को 12,796 करोड़ रुपये (डॉलर 1.77 बिलियन) के सबसे बड़े आवंटन की घोषणा की। परमाणु ऊर्जा विभाग को 16,725.51 करोड़ रुपये (डॉलर 2.32 बिलियन) आवंटित किए गए हैं, जो पिछले बजट के मुकाबले 19.71 प्रतिशत की वृद्धि है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को 1,901.76 करोड़ रुपये (263.58 मिलियन अमेरिकी डॉलर) आवंटित किए गए, जो पिछले बजट के मुकाबले 5.65 प्रतिशत की वृद्धि है।













  • भारत, जो वित्तवर्ष 2019 में 143,048 रूपये (यूएस डॉलर 1,982.65) की प्रति व्यक्ति आय दर्ज करते हुए, तकनीकी रूप से उन्नत उत्पादों का निर्माण करने वाली कंपनियों के लिए एक अनूठा अवसर प्रस्तुत करता है।
  • एक बड़े मध्यम वर्ग के विस्तार एवं ग्रामीण निवासियों की क्रय शक्ति में वृद्धि ने नए एवं सस्ते तथा टिकाऊ उत्पादों के विकास की मांग को बढ़ावा दिया है जो कि स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं।
  • बढती हुई प्रति व्यक्ति आय अधिक से अधिक विदेशी खिलाड़ियों को भारत में अनुसंधान एवं विकास केंद्रो को स्थानांतरित करने के साथ, अनुसंधान एवं विकास निवेश को देश में ला रही है।
  • क्वालकॉम ने भारत में डिजाइन पहल पर यूएस डॉलर 8.5 मिलियन का निवेश करने की योजना बनाई है, जिसमें आर एंड डी के लिए हैदराबाद और बैंगलोर में अपनी नवाचार प्रयोगशालाओं को वित्त पोषण करना शामिल है।
  • कम विकास लागत, बढ़ती प्रौद्योगिकी तीव्रता तथा उच्च अद्वितीय तकनीकि उत्पादों की उभरती हुई स्थानीय माँग ने विदेशी कंपनियों के अनुसंधान एवं विकास से संबंधित निवेशों को आकर्षित किया है, जो इसे आर एंड डी सेगमेंट में सबसे बड़े आउटसोर्सिंग प्रदाता में से एक बनाता है।
  • भारत वैज्ञानिक प्रकाशनों के लिए छठें स्थान पर है और केवल निवासी पेटेंट आवेदनों के लिए दसवें स्थान पर है।
  • भारत में वैज्ञानिकों और निवेशकों द्वारा दायर पेटेंट आवेदनों की कुल संख्या वित्त वर्ष 18 में 47,857 पर पहुँच गई, जो वित्त वर्ष 2016 में 46,904 थी।













COMMENTS

Name

01-01-2020,1,04-08-2021,1,05-08-2021,1,06-08-2021,1,28-06-2021,1,Abrahamic religions,6,Afganistan,1,Afghanistan,35,Afghanitan,1,Afghansitan,1,Africa,2,Agri tech,2,Agriculture,150,Ancient and Medieval History,51,Ancient History,4,Ancient sciences,1,April 2020,25,April 2021,22,Architecture and Literature of India,11,Armed forces,1,Art Culture and Literature,1,Art Culture Entertainment,2,Art Culture Languages,3,Art Culture Literature,10,Art Literature Entertainment,1,Artforms and Artists,1,Article 370,1,Arts,11,Athletes and Sportspersons,2,August 2020,24,August 2021,239,August-2021,3,Authorities and Commissions,4,Aviation,3,Awards and Honours,26,Awards and HonoursHuman Rights,1,Banking,1,Banking credit finance,13,Banking-credit-finance,19,Basic of Comprehension,2,Best Editorials,4,Biodiversity,46,Biotechnology,47,Biotechology,1,Centre State relations,19,CentreState relations,1,China,81,Citizenship and immigration,24,Civils Tapasya - English,92,Climage Change,3,Climate and weather,44,Climate change,60,Climate Chantge,1,Colonialism and imperialism,3,Commission and Authorities,1,Commissions and Authorities,27,Constitution and Law,467,Constitution and laws,1,Constitutional and statutory roles,19,Constitutional issues,128,Constitutonal Issues,1,Cooperative,1,Cooperative Federalism,10,Coronavirus variants,7,Corporates,3,Corporates Infrastructure,1,Corporations,1,Corruption and transparency,16,Costitutional issues,1,Covid,104,Covid Pandemic,1,COVID VIRUS NEW STRAIN DEC 2020,1,Crimes against women,15,Crops,10,Cryptocurrencies,2,Cryptocurrency,7,Crytocurrency,1,Currencies,5,Daily Current Affairs,453,Daily MCQ,32,Daily MCQ Practice,573,Daily MCQ Practice - 01-01-2022,1,Daily MCQ Practice - 17-03-2020,1,DCA-CS,286,December 2020,26,Decision Making,2,Defence and Militar,2,Defence and Military,281,Defence forces,9,Demography and Prosperity,36,Demonetisation,2,Destitution and poverty,7,Discoveries and Inventions,8,Discovery and Inventions,1,Disoveries and Inventions,1,Eastern religions,2,Economic & Social Development,2,Economic Bodies,1,Economic treaties,5,Ecosystems,3,Education,119,Education and employment,5,Educational institutions,3,Elections,37,Elections in India,16,Energy,134,Energy laws,3,English Comprehension,3,Entertainment Games and Sport,1,Entertainment Games and Sports,33,Entertainment Games and Sports – Athletes and sportspersons,1,Entrepreneurship and startups,1,Entrepreneurships and startups,1,Enviroment and Ecology,2,Environment and Ecology,228,Environment destruction,1,Environment Ecology and Climage Change,1,Environment Ecology and Climate Change,458,Environment Ecology Climate Change,5,Environment protection,12,Environmental protection,1,Essay paper,643,Ethics and Values,26,EU,27,Europe,1,Europeans in India and important personalities,6,Evolution,4,Facts and Charts,4,Facts and numbers,1,Features of Indian economy,31,February 2020,25,February 2021,23,Federalism,2,Flora and fauna,6,Foreign affairs,507,Foreign exchange,9,Formal and informal economy,13,Fossil fuels,14,Fundamentals of the Indian Economy,10,Games SportsEntertainment,1,GDP GNP PPP etc,12,GDP-GNP PPP etc,1,GDP-GNP-PPP etc,20,Gender inequality,9,Geography,10,Geography and Geology,2,Global trade,22,Global treaties,2,Global warming,146,Goverment decisions,4,Governance and Institution,2,Governance and Institutions,773,Governance and Schemes,221,Governane and Institutions,1,Government decisions,226,Government Finances,2,Government Politics,1,Government schemes,358,GS I,93,GS II,66,GS III,38,GS IV,23,GST,8,Habitat destruction,5,Headlines,22,Health and medicine,1,Health and medicine,56,Healtha and Medicine,1,Healthcare,1,Healthcare and Medicine,98,Higher education,12,Hindu individual editorials,54,Hinduism,9,History,216,Honours and Awards,1,Human rights,249,IMF-WB-WTO-WHO-UNSC etc,2,Immigration,6,Immigration and citizenship,1,Important Concepts,68,Important Concepts.UPSC Mains GS III,3,Important Dates,1,Important Days,35,Important exam concepts,11,Inda,1,India,29,India Agriculture and related issues,1,India Economy,1,India's Constitution,14,India's independence struggle,19,India's international relations,4,India’s international relations,7,Indian Agriculture and related issues,9,Indian and world media,5,Indian Economy,1248,Indian Economy – Banking credit finance,1,Indian Economy – Corporates,1,Indian Economy.GDP-GNP-PPP etc,1,Indian Geography,1,Indian history,33,Indian judiciary,119,Indian Politcs,1,Indian Politics,637,Indian Politics – Post-independence India,1,Indian Polity,1,Indian Polity and Governance,2,Indian Society,1,Indias,1,Indias international affairs,1,Indias international relations,30,Indices and Statistics,98,Indices and Statstics,1,Industries and services,32,Industry and services,1,Inequalities,2,Inequality,103,Inflation,33,Infra projects and financing,6,Infrastructure,252,Infrastruture,1,Institutions,1,Institutions and bodies,267,Institutions and bodies Panchayati Raj,1,Institutionsandbodies,1,Instiutions and Bodies,1,Intelligence and security,1,International Institutions,10,international relations,2,Internet,11,Inventions and discoveries,10,Irrigation Agriculture Crops,1,Issues on Environmental Ecology,3,IT and Computers,23,Italy,1,January 2020,26,January 2021,25,July 2020,5,July 2021,207,June,1,June 2020,45,June 2021,369,June-2021,1,Juridprudence,2,Jurisprudence,91,Jurisprudence Governance and Institutions,1,Land reforms and productivity,15,Latest Current Affairs,1136,Law and order,45,Legislature,1,Logical Reasoning,9,Major events in World History,16,March 2020,24,March 2021,23,Markets,182,Maths Theory Booklet,14,May 2020,24,May 2021,25,Meetings and Summits,27,Mercantilism,1,Military and defence alliances,5,Military technology,8,Miscellaneous,454,Modern History,15,Modern historym,1,Modern technologies,42,Monetary and financial policies,20,monsoon and climate change,1,Myanmar,1,Nanotechnology,2,Nationalism and protectionism,17,Natural disasters,13,New Laws and amendments,57,News media,3,November 2020,22,Nuclear technology,11,Nuclear techology,1,Nuclear weapons,10,October 2020,24,Oil economies,1,Organisations and treaties,1,Organizations and treaties,2,Pakistan,2,Panchayati Raj,1,Pandemic,137,Parks reserves sanctuaries,1,Parliament and Assemblies,18,People and Persoalities,1,People and Persoanalities,2,People and Personalites,1,People and Personalities,189,Personalities,46,Persons and achievements,1,Pillars of science,1,Planning and management,1,Political bodies,2,Political parties and leaders,26,Political philosophies,23,Political treaties,3,Polity,485,Pollution,62,Post independence India,21,Post-Governance in India,17,post-Independence India,46,Post-independent India,1,Poverty,46,Poverty and hunger,1,Prelims,2054,Prelims CSAT,30,Prelims GS I,7,Prelims Paper I,189,Primary and middle education,10,Private bodies,1,Products and innovations,7,Professional sports,1,Protectionism and Nationalism,26,Racism,1,Rainfall,1,Rainfall and Monsoon,5,RBI,73,Reformers,3,Regional conflicts,1,Regional Conflicts,79,Regional Economy,16,Regional leaders,43,Regional leaders.UPSC Mains GS II,1,Regional Politics,149,Regional Politics – Regional leaders,1,Regionalism and nationalism,1,Regulator bodies,1,Regulatory bodies,63,Religion,44,Religion – Hinduism,1,Renewable energy,4,Reports,102,Reports and Rankings,119,Reservations and affirmative,1,Reservations and affirmative action,42,Revolutionaries,1,Rights and duties,12,Roads and Railways,5,Russia,3,schemes,1,Science and Techmology,1,Science and Technlogy,1,Science and Technology,819,Science and Tehcnology,1,Sciene and Technology,1,Scientists and thinkers,1,Separatism and insurgencies,2,September 2020,26,September 2021,444,SociaI Issues,1,Social Issue,2,Social issues,1308,Social media,3,South Asia,10,Space technology,70,Startups and entrepreneurship,1,Statistics,7,Study material,280,Super powers,7,Super-powers,24,TAP 2020-21 Sessions,3,Taxation,39,Taxation and revenues,23,Technology and environmental issues in India,16,Telecom,3,Terroris,1,Terrorism,103,Terrorist organisations and leaders,1,Terrorist acts,10,Terrorist acts and leaders,1,Terrorist organisations and leaders,14,Terrorist organizations and leaders,1,The Hindu editorials analysis,58,Tournaments,1,Tournaments and competitions,5,Trade barriers,3,Trade blocs,2,Treaties and Alliances,1,Treaties and Protocols,43,Trivia and Miscalleneous,1,Trivia and miscellaneous,43,UK,1,UN,114,Union budget,20,United Nations,6,UPSC Mains GS I,584,UPSC Mains GS II,3969,UPSC Mains GS III,3071,UPSC Mains GS IV,191,US,63,USA,3,Warfare,20,World and Indian Geography,24,World Economy,404,World figures,39,World Geography,23,World History,21,World Poilitics,1,World Politics,612,World Politics.UPSC Mains GS II,1,WTO,1,WTO and regional pacts,4,अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं,10,गणित सिद्धान्त पुस्तिका,13,तार्किक कौशल,10,निर्णय क्षमता,2,नैतिकता और मौलिकता,24,प्रौद्योगिकी पर्यावरण मुद्दे,15,बोधगम्यता के मूल तत्व,2,भारत का प्राचीन एवं मध्यकालीन इतिहास,47,भारत का स्वतंत्रता संघर्ष,19,भारत में कला वास्तुकला एवं साहित्य,11,भारत में शासन,18,भारतीय कृषि एवं संबंधित मुद्दें,10,भारतीय संविधान,14,महत्वपूर्ण हस्तियां,6,यूपीएससी मुख्य परीक्षा,91,यूपीएससी मुख्य परीक्षा जीएस,117,यूरोपीय,6,विश्व इतिहास की मुख्य घटनाएं,16,विश्व एवं भारतीय भूगोल,24,स्टडी मटेरियल,266,स्वतंत्रता-पश्चात् भारत,15,
ltr
item
PT's IAS Academy: यूपीएससी तैयारी - भारत में प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण मुद्दे - व्याख्यान - 7
यूपीएससी तैयारी - भारत में प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण मुद्दे - व्याख्यान - 7
सभी सिविल सर्विस अभ्यर्थियों हेतु श्रेष्ठ स्टडी मटेरियल - पढाई शुरू करें - कर के दिखाएंगे!
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiuM3UuP3bCA_MhiX80P52TZKEF33UxiXVbnAgEGxOuhSiZi5-CzbBD52VudBkYUQqkpHtoUwgC1OuR_xNMLe3MECvQUawepoXSGW1GH1Z1OTPmMSatc5X8iNUwGPl8elEvB-KKzOk7Zvg80AFHopw41aDhrqmZCBhlzhiUP-Ek6UoJoTcC9juc1ZNxEQ/s16000/1.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiuM3UuP3bCA_MhiX80P52TZKEF33UxiXVbnAgEGxOuhSiZi5-CzbBD52VudBkYUQqkpHtoUwgC1OuR_xNMLe3MECvQUawepoXSGW1GH1Z1OTPmMSatc5X8iNUwGPl8elEvB-KKzOk7Zvg80AFHopw41aDhrqmZCBhlzhiUP-Ek6UoJoTcC9juc1ZNxEQ/s72-c/1.jpg
PT's IAS Academy
https://civils.pteducation.com/2021/09/UPSC-IAS-exam-preparation-Technology-and-environmental-issues-in-India-Lecture-7-Hindi.html
https://civils.pteducation.com/
https://civils.pteducation.com/
https://civils.pteducation.com/2021/09/UPSC-IAS-exam-preparation-Technology-and-environmental-issues-in-India-Lecture-7-Hindi.html
true
8166813609053539671
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow TO READ FULL BODHI... Please share to unlock Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy