यूपीएससी तैयारी - भारत में प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण मुद्दे - व्याख्यान - 10

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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के प्रसिद्ध भारतीय एवं जुगाड़ प्रौद्योगिकी

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1.0 प्रस्तावना 

सूचना प्रौद्योगिकी या अर्थ है आमतौर पर व्यापार या अन्य उद्यमों के संदर्भ में आंकड़ों और जानकारी के संग्रह, पुनर्प्राप्ति, संप्रेषण और कुशलतापूर्वक प्रयोग के लिए संगणकों और दूरसंचार उपकरणों का अनुप्रयोग। सामान्य भाषा में इस शब्द का उपयोग संगणकों या संगणक संजालों के पर्यायवाची के रूप में किया जाता है, परंतु इसमें टेलीविजन और टेलीफोन जैसी अन्य सूचना वितरण प्रौद्योगिकियां भी शामिल होती हैं। सूचना प्रौद्योगिकी से अनेक उद्योग संबंधित हैं जिनमें संगणक हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, इलेक्ट्रॉनिक्स, अर्धचालक, इंटरनेट, दूरसंचार उपकरण, ई-वाणिज्य और संगणक सेवाएं शामिल हैं। 

आज भारत में सूचना प्रौद्योगिकी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, और इसने भारत की छवि एक धीमी गति से चलने वाली नौकरशाही अर्थव्यवस्था से परिवर्तित करके एक नवप्रवर्तनशील उद्यमियों के घर के रूप में स्थापित की है। भारत का सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र 2.5 मिलियन प्रत्यक्ष रोजगार निर्मित कर रहा है। भारत अब आधुनिक विश्व की सबसे बड़ी सूचना प्रौद्योगिकी राजधानियों में से एक बन गया है, और विश्व सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की सभी अग्रणी कंपनियां देश में विद्यमान हैं। 

भारत के सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग के दो प्रमुख घटक हैंः सूचना प्रौद्योगिकी सेवाएं और व्यापार प्रक्रिया बाह्य स्रोत से सेवाएँ प्राप्त करना। (बीपीओ) इस क्षेत्र ने देश के सकल घरेलू उत्पाद में अपने योगदान को 1998 के 1.2 प्रतिशत से 2018-19 में बढ़ा कर 7.7 प्रतिशत तक पहुंचा दिया है। 

नैसकॉम के अनुसार 2019 में इस क्षेत्र ने 180 बिलियन डॉलर के सकल राजस्व का निर्माण किया, जिनमें निर्यात और घरेलू राजस्व क्रमशः 137 बिलियन डॉलर और 44 बिलियन डॉलर था। हालांकि सूचना प्रौद्योगिकी का प्रभाव अभी भी जमीनी स्तर पर अनुभव करना बाकी है, परंतु इस क्षेत्र में निश्चित रूप से अपार संभावनाएं हैं, विशेष रूप से ड़िजिटल इंडिया कार्यक्रम जैसे कार्यक्रमों के साथ।

2.0 भारत का सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र 

भारत में सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग के उद्गम को वर्ष 1974 में खोजा जा सकता है जब अधिसंसाधित्र (मेनफ्रेम) विनिर्माता बरोज ने अपने भारतीय विक्रय प्रतिनिधि टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) से प्रोग्रामर निर्यात करने का अनुरोध किया ताकि एक अमेरिकी ग्राहक के लिए सिस्टम सॉफ्टवेयर स्थापित किया जा सके। उस समय टीसीएस के प्रमुख श्री एफ.सी. कोहली थे, जिन्हें आज प्यार से ‘‘भारतीय सॉफ्टवेयर उद्योग का जनक‘‘ कहा जाता है। 

सूचना प्रौद्योगिकी ने सूचना तक गीगाबाइट गति से पहुंच बनाना संभव किया है। इसने विभिन्न देशों के बीच समान अवसरों का निर्माण किया है, और इसका करोड़ों लोगों पर सकारात्मक प्रभाव हुआ है। 

आज वैश्विक प्रतिस्पर्धा की दिशा में आगेकूच के लिए, स्वस्थ सकल घरेलू उत्पाद के लिए, और ऊर्जा और पर्यावरणीय चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए किसी भी देश की सूचना प्रौद्योगिकी क्षमता सबसे महत्वपूर्ण है।

भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवा (आईटीईएस) क्षेत्र सभी दृष्टि से साथ-साथ चलते नजर आते हैं। इस उद्योग ने न केवल विश्व मंच पर भारत की छवि को परिवर्तित कर दिया है, बल्कि इसने उच्च शिक्षा क्षेत्र (विशेष रूप से अभियांत्रिकी और संगणक विज्ञान क्षेत्र में) को ऊर्जावान बना कर आर्थिक विकास को भी गति प्रदान की है। इस उद्योग ने लगभग 10 मिलियन भारतीयों को रोजगार प्रदान किया है, अतः कहा जा सकता है कि इसने देश के सामाजिक परिवर्तन में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 

भारत विश्व के सबसे तेजी से बढ़ते सूचना प्रौद्योगिकी सेवा बाजारों में से एक है। सूचना प्रौद्योगिकी सेवाएं प्रदान करने में देश की लागत प्रतिस्पर्धात्मकता वैश्विक स्रोत बाजार में इसकी खासियत बनी हुई है। 

भारतीय सॉफ्टवेयर उत्पाद उद्योग गोल मेज़ के अनुसार 2025 तक भारत की 100 बिलियन डॉलर मूल्य का सॉफ्टवेयर उत्पाद उद्योग स्थापित करने की क्षमता है। ऐसा अनुमान है कि भारत के सॉफ्टवेयर उत्पाद बाजार में, जिसमें लेखांकन सॉफ्टवेयर और क्लाउड कंप्यूटिंग भी शामिल है, एक समृद्ध दर से वृद्धि होगी। 

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग सामरिक गतिविधियों का समन्वय कर रहा है, कौशल विकास कार्यक्रमों को प्रोत्साहित कर रहा है, अधोसंरचना क्षमताओं में वृद्धि कर रहा है, और सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवाओं में भारत की नेतृत्व की स्थिति के लिए अनुसंधान एवं विकास का समर्थन और इसमें सहायता कर रहा है। चुनौतियाँ बनी हुई हैं, परंतु हम सही मार्ग पर अग्रसर हैं। 

2.1 निवेश 

भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी की मूलभूत क्षमताओं और शक्तियों ने इसे अंतर्राष्ट्रीय फलक पर ले जा कर रख दिया है, जिसके कारण यह विश्व के प्रमुख देशों से निवेश आकर्षित कर रहा है। 

औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग द्वारा जारी किये गए आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2000 और जून 2019 के बीच संगणक सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर क्षेत्र ने 2,37,341 करोड़ रुपये (39.4 अरब डॉलर) मूल्य का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश आकर्षित किया।

भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी समर्थक सेवा क्षेत्र में हुए कुछ प्रमुख निवेश निम्नानुसार हैंः

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज जापान की अपनी दो सहयोगी कंपनियों का मित्सुबिशी की सूचना प्रौद्योगिकी सहयोगी कंपनी के साथ विलय करने की योजना है, ताकि सॉफ्टवेयर सेवाओं के विश्व के दूसरे सबसे बडे़ बाजार में 600 मिलियन डॉलर के राजस्व आधार के साथ एक संयुक्त उपक्रम कंपनी स्थापित की जा सके। 

निजी इक्विटी फर्म टीपीजी ग्रोथ और भारत का स्माइल समूह संयुक्त रूप से 100 मिलियन डॉलर का निवेश करेंगे ताकि इंटरनेट और ई-वाणिज्य कंपनियों को अपना उद्योग संपूर्ण एशिया-प्रशांत क्षेत्र और पश्चिम एशिया में स्थापित करने और उसे बढ़ाने में सहायता प्राप्त हो सके। 

सीनेक्रोन का अपनी हैदराबाद और बेंगलुरु की सुविधाओं के विस्तार पर 30 से 35 मिलियन डॉलर का निवेश करने की योजना है। सीनेक्रोन के वैश्विक मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री फैसल हुसैन ने कहा कि ‘‘हैदराबाद और बेंगलुरु में सुविधाएं स्थापित करके हमने भारत में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने का निर्णय लिया है। इसके पीछे का विचार यह है कि बडे़ प्रतिभा समूह और ग्राहकों के और निकट जाया जाए।‘‘

भारत के सबसे बडे़ दूरसंचार सेवा संचालक भारती एयरटेल ने सॉफ्टवेयर की अग्रणी कंपनी आईबीएम के साथ अपने प्रौद्योगिकी आउटसोर्सिंग अनुबंध का अगले पांच वर्षों के लिए नवीनीकरण किया है। 

इनफोसिस ने अपने ग्राहकों को इंटरनेट टेलीविजन प्रदान करने के लिए दूरसंचार कंपनी ऑरेंज के साथ भागीदारी स्थापित की है। इनफोसिस संवादात्मक टेलीविजन अनुप्रयोगों का एक संविभाग ऑरेंज के लाइवबॉक्स प्ले पर प्रदान करेगा। टेलीविजन अनुप्रयोगों का यन्त्रचालन इनफोसिस डिजिटाइज एज द्वारा किया जायेगा जो टेलीविजन परिचालकों, मीडिया कंपनियों, विज्ञापनदाताओं और सामग्री प्रकाशकों के लिए एक डिजिटल परिसंपत्ति और अनुभव मंच है। 

2.2 सरकारी पहलें 

भारत सरकार ने अभियंताओं और प्रबंधन कर्मियों के एक विशाल और व्यवस्थित ढंग से प्रशिक्षित समूह के सार्वजनिक वित्तपोषण के माध्यम से एक प्रमुख भूमिका निभाई है, जो भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग को काफी आगे ले सकता है। 

गार्टनर द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार वर्ष 2015 में केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारों द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी उत्पादों और सेवाओं के लिए सामूहिक रूप से 6.8 अरब डॉलर का व्यय किये जाने का अनुमान है।

भारत में सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी समर्थक सेवा क्षेत्र का संवर्धन करने के लिए भारत सरकार द्वारा की गई कुछ प्रारंभिक प्रमुख पहलें निम्नानुसार हैंः

  1. बिहार सरकार ने पटना में पृथ्वी ग्रह के सबसे लंबे 20 किलोमीटर मुफ्त वाईफाई क्षेत्र का अनावरण किया है, और इस प्रकार विश्व के सूचना प्रौद्योगिकी मानचित्र पर एक मजबूत पहचान बनाई है। 
  2. भारत सरकार ने बेंगलुरु के इलेक्ट्रॉनिक्स शहर में पहले इलेक्ट्रॉनिक्स प्रणाली डिजाइन एवं विनिर्माण (ईएसडीएम) समूह के विकास की स्थापना के लिए सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान कर दी है।  
  3. सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लगभग 20 से अधिक लघु और मध्यम उपक्रमों को 500 करोड़ रुपये (83.24 मिलियन डॉलर) निवेश के साथ उनकी इकाइयां स्थापित करने हाल ही में पंजाब सरकार की ओर से भूमि आवंटन पत्र प्राप्त हुए हैं। 

2.3 आगे की राह 

बूज़ एंड कंपनी द्वारा आयोजित एक ग्राहक सर्वेक्षण के अनुसार अभियांत्रिकी ऑफशोरिंग के लिए भारत सबसे अधिक पसंदीदा गंतव्य है। कंपनियां अब संपूर्ण उत्पाद जिम्मेदारी का ऑफशोरिंग कर रही हैं। अनुसंधान एवं विकास पर अधिक ध्यान दिए जाने के कारण भारतीय कंपनियों द्वारा दायर किये गए पेटेंटों की संख्या में वृद्धि हुई है। 

भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र धीरे-धीरे रेखीय प्रतिरूप (राजस्व बढ़ाने के लिए सिरों की संख्या में वृद्धि करना) से गैर-रैखिक प्रतिरूपों की ओर परिवर्तित हो रहा है। यह एक बड़ी चुनौती साबित होगी क्योंकि इसके लिए पूर्ण रूप से भिन्न प्रकार की क्षमताओं की आवश्यकता होगी।

इसी तारतम्य में देश की सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियां नए प्रतिरूपों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं, जैसे मंच आधारित बीपीएम सेवाएं और बौद्धिक संपत्ति का निर्माण। भारत में व्यवसाय स्थापित करने का उद्देश्य रखने वाली सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों के बीच श्रेणी 2 और श्रेणी तीन के शहरों के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है। सस्ता श्रम, वहन करने योग्य भू-भवन विक्रय बाजार, अनुकूल सरकारी विनियम, कर अवकाश और विशेष आर्थिक क्षेत्र योजनाएं इन शहरों के नए सूचना प्रौद्योगिकी गंतव्यों के उभरने में सहायक हो रहे हैं। 

भारत में सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग का बाजार आकारः ऐसा अनुमान है कि भारत के प्रौद्योगिकी और बीपीएम (हार्डवेयर सहित) क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2019 के दौरान 180 अरब डॉलर का राजस्व उत्पादन किया।

ग्रांट थॉरटोन वैश्विक गतिशीलता सूचकांक के अनुसार गतिशील विकास करने वाले व्यापारों की दृष्टि से भारत विश्व का पांचवां सर्वोत्कृष्ट देश है। इसके अतिरिक्त डेलॉइट ने यह अनुमान लगाया है कि अगले पांच वर्षों में भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा विनिर्माण करने वाला देश बन जायेगा, उसके बाद ब्राजील का तीसरे क्रमांक के देश के रूप में क्रमांक होगा। अतः भारत की संवृद्धि क्षमता की कहानी काफी मजबूत है। 

3.0 भारत में प्रौद्योगिकी क्षेत्र का उदय 

भारत के प्रौद्योगिकी क्षेत्र का भारतीय अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव है। यह उद्योग 1998 में 4 बिलियन डॉलर से 2011 में बढ़ कर 80 बिलियन डॉलर का हो गया था, जिसने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में 10 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान किया है। सेवा आउटसोर्सिंग की लहर पर सवार होकर घरेलू और अनृत्ताष्ट्रीय कंपनियों ने भारत की मूल्य प्रतिज्ञप्ति को वैश्विक बाजार में उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए उद्यामन किया है। 

करमुक्त क्षेत्रों, भारत के प्रौद्योगिकी उद्यानों और विशेष आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना जैसी प्रमुख सरकारी पहलों ने सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं के निर्यात को मजबूत प्रोत्साहन प्रदान किया है। 

सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग के पांच मुख्य क्षेत्रों, अर्थात, ऑनलाइन व्यापार, सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं, सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवाओं और सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर उत्पादों को अधिकांश निवेश प्राप्त हुए हैं। दमदार लागत लाभ और उपलब्ध कुशल श्रम संसाधनों ने इस असाधारण संवृद्धि को प्रेरित किया है। 

हालांकि चीन, फिलीपींस और वियतनाम जैसे अनेक न्यून लागत वितरण गंतव्य उभर रहे हैं, फिर भी भारत की नेतृत्व स्थिति को कोई चुनौती नहीं मिली है। दीर्घकालीन लागत प्रतिस्पर्धात्मकता, उच्च प्रशिक्षित अभियंताओं की आपूर्ति और प्रक्रियाओं और गुणवत्ता में इसकी विशेषज्ञता का लाभ इसकी वृद्धि को बढ़ाना जारी रखेगा। 

3.1 संवृद्धि को समर्थ बनाने वालेः नीति आक्रमण - सूचना प्रौद्योगिकी 

नीति का प्रयास है कि सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवा उद्योग के राजस्व को 2025 तक बढ़ा कर 350 बिलियन डॉलर करना है। 

इस नीति के उद्देश्य हैं अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों में अनवप्रवर्तन और सनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करना और स्थान आधारित सेवाओं, मोबाइल मूल्य संवर्धित सेवाओं, क्लाउड कंप्यूटिंग, सामाजिक मीडिया और उपयोगिता मॉडल्स में अनुप्रयोग और समाधान विकसित करना और सूचना दूरसंचार प्रौद्योगिकी क्षेत्र में 10 मिलियन अतिरिक्त कुशल श्रमशक्ति का एक समूह निर्माण करना। 

पिछले 15 वर्षों के दौरान हुई प्रौद्योगिकी क्रांति ने एक विशाल संवृद्धि और एक विशाल सुशिक्षित और प्रौद्योगिकी केंद्रित श्रमशक्ति को सक्रिय किया है जो भारत को 2025 तक विश्व की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाने की ओर अग्रसर है। 

3.2 क्रमानुक्रम वर्णन 

बैंगलोरः इसे आमतौर पर भारत की सिलिकॉन घाटी और भारत का शीर्ष सॉफ्टवेयर निर्यातक कहा जाता है। बैंगलोर को भारत का वैश्विक सूचना प्रौद्योगिकी केंद्र माना जाता है। 

चेन्नईः चेन्नई भारत का दूसरा सबसे बड़ा सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी समर्थक सेवा निर्यातक और भारत का बीपीओ केंद्र है। चेन्नई में टीसीएस और कॉग्निजेंट के सबसे बडे़ परिचालन केंद्र स्थित हैं। 

हैदराबादः हैदराबाद भारत का एक प्रमुख सूचना प्रौद्योगिकी केंद्र है - जिसे साइबराबाद भी कहा जाता है - जहां गूगल, फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट, अमेजॉन, ओरेकल और इलेक्ट्रॉनिक आर्ट, एटी एंड टी, डेलॉइट इत्यादि जैसी अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कार्यालय स्थित हैं। 

मुंबईः यह देश की वाणिज्यिक राजधानी है, परंतु हाल के समय में अनेक सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों ने यहां अपने कार्यालय स्थापित किये हैं। 

दिल्लीः राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, जिसमें दिल्ली, गुडगांव, और नॉएडा शामिल हैं, सॉफ्टवेयर विकास के समूह हैं। 

पुणेः प्रमुख भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां पुणे में स्थित हैं। पुणे सी-डैक का मुख्यालय भी है। 

कोलकाताः यह शहर आईबीएम और डेलॉइट के पश्च सिरा परिचालनात्मक समूहों का प्रमुख केंद्र है। 

भुबनेश्वरः ओड़िशा राज्य की राजधानी का यह शहर बहुत तेजी से एक सूचना प्रौद्योगिकी और शैक्षणिक केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है, जो भारत के सबसे तेज गति से विकसित होने वाले शहरों में से एक है। 

तिरुवनंतपुरमः केरल राज्य की राजधानी का यह शहर अब सभी प्रमुख सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों का गढ़ बन चुका है, जिनमें ओरेकल, टीसीएस, इनफोसिस जैसी कंपनियां शामिल हैं, और यह शहर भारत के सूचना प्रौद्योगिकी निर्यात में भी प्रमुख योगदान प्रदान करता है। 

4.0 प्रौद्योगिकी क्षेत्र से संलग्न प्रसिद्ध भारतीय 

4.1 राजू वनपाल (वे2एसएमएस डॉट कॉम के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी)

वे2एसएमएस डॉट कॉम जनवरी 2007 में हैदराबाद में शुरू की गई भारत की पहली मुत एसएमएस सेवा है जिसके वर्तमान समय में करोड़ों ग्राहक हैं। मई 2012 से इसका स्वामित्व वैल्यू फर्स्ट मेसेजिंग के पास है। 

श्री राजू ने 2003 में अपना एमसीए (संगणक अनुप्रयोगों में स्नातकोत्तर उपाधि) पूर्ण किया और उसके बाद उन्होंने वे 2 ऑनलाइन इंटरेक्टिव इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी की शुरुआत की, और 2006 में श्री राजू ने वे2एसएमएस डॉट कॉम वेबसाइट की शुरुआत की जो मुफ्त संदेशन सेवा (एसएमएस) सुविधा प्रदान करती है।

इस प्रकार वे2एसएमएस डॉट कॉम जनवरी 2007 में हैदराबाद में शुरू की गई भारत की पहली मुफ्त एसएमएस सेवा है जिसके वर्तमान समय में करोड़ों ग्राहक हैं। यह एक व्यक्तिगत संगणक से मोबाइल संदेशन सेवा है। त्वरित संदेश के आगमन के साथ, उद्योग की गतिशीलता बदल गई। 

4.2 अजित बालाकृष्णन (रेडिफ डॉट कॉम के संस्थापक)

रेडिफ डॉट कॉम एक एकीकृत पोर्टल है जो समाचार, मनोरंजन, खरीदारी और सूचना सेवाएं प्रदान करता है। भारत में यह एक पथप्रदर्शक सेवा है, जिसकी शुरुआत विशेषज्ञ कंपनियों के इस क्षेत्र के संबंधित वर्टिकल्स में उतरने से काफी पहले की गई थी (जिसके कारण रेडिफ डॉट कॉम को माइंडशेयर में काफी हानि उठानी पड़ी)। यह लोकप्रिय रेडिफमेल सेवा का भी परिचालन करता है। 

रीडियूजन भारत के सबसे बडे़ विज्ञापन अभिकरणों में से एक है, जिसका अब नया नामकरण रीडियूजन -डेंत्सु, यंग एंड रुबिकैम लिमिटेड किया गया है। श्री बालाकृष्णन भारतीय प्रबंध संस्थान कोलकाता के निदेशक मंडल के अध्यक्ष भी हैं। श्री बालाकृष्णन रीडियूजन -डेंत्सु, यंग एंड रुबिकैम लिमिटेड और रेडिफ डॉट कॉम के प्रबंध संचालक के रूप में क्रमशः 1993 और 2008 से अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, और इसीके साथ वे आईएएमएआई, अर्थात भारतीय इंटरनेट एवं मोबाइल संघ के ससम्मान सेवामुक्त अध्यक्ष भी हैं।

4.3 अजय भट्ट (इन्हें यूएसबीः यूनिवर्सल सीरियल बस डिवाइस के सह संस्थापक या सह आविष्कारक के रुप में भी जाना जाता है)

श्री भट्ट ने न केवल यूएसबी की सह स्थापना की बल्कि इन्होनें एजीपी (एक्सेलरेटेड ग्राफिक्स पोर्ट), पीसीआई एक्सप्रेस, प्लॅटफॉर्म पावर मैनेजमेंट आर्किटेक्चर (पीपीएमए) इत्यादि का भी विकास किया। इन्होंनें वडोदरा के एम.एस. विश्वविद्यालय से अपनी स्नातक की उपाधि पूर्ण की, और उसके पश्चात अपनी स्नातकोत्तर उपाधि अमेरिका के न्यूयॉर्क से पूर्ण की। इसके बाद इन्होने इंटेल कॉर्पोरेशन में प्रवेश किया। श्री भट्ट को ‘‘इंटेल का रॉकस्टार‘‘ भी कहा जाता है। वे इंटेल के विद्वत्समाज के सभ्य हैं और इंटेल आर्किटेक्चर समूह के मुख्य प्लेटफॉर्म आर्किटेक्ट भी हैं। 

4.4 सबीर भाटिया (हॉटमेल डॉट कॉम के सह संस्थापक)

वह विश्व की पहली वेबमेल सेवा थी जिसे माइक्रोसॉफ्ट को 400 मिलियन डॉलर में बेचा गया था। इसके बाद उन्होंने तीन और उद्यमों की घोषणा की - आरजू, इंस्टाकॉल और सबसेबोल। इनकी प्रारंभिक विद्यालयीन शिक्षा पुणे के बिशप कॉटन विद्यालय में हुई, और बाद में बैंगलोर के सेंट जोसफ महाविद्यालय से। बचपन से ही इनकी रूचि विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में थी, और इन्होने पिलानी के बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान (बीआईटीएस) में प्रवेश प्राप्त किया जहां वे कैलटेक - जो विश्व की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है - के लिए एक हस्तांतरण छात्रवृत्ति के लिए उत्तीर्ण हुए। कैलटेक में अपनी शिक्षा पूर्ण करने के बाद विद्युत अभियांत्रिकी में स्नातकोत्तर करने के लिए वे स्टैनफोर्ड चले गए, जहां उन्होंने अत्यधिक न्यून विद्युत वीएलएसआई डिजाइन पर काम किया। इनकी नवप्रवर्तनशील हॉटमेल सेवा ने अपने करोड़ों प्रशंसकों के साथ माइक्रोसॉफ्ट को इतना अधिक प्रभावित किया कि वह अधिग्रहित कर ली गई, और एमएस प्रस्ताव का एक अविभाज्य अंग बन गई। आज इसे आउटलुक के नाम से जाना जाता है। 

सबीर भाटिया और योगेश पटेल ने जैक्सटर एसएमएस की भी शुरुआत की जो एक मुफ्त संदेशन सेवा है जो उपयोगकर्ताओं को विश्व के किसी भी भाग में मुफ्त पाठ संदेश भेजने की सुविधा प्रदान करती है। 

सत्या नडेला, प्रमुख कार्यकारी अधिकारी - माईक्रोसॉट

  • सत्य नारायण नडेला (जन्म 1967) एक भारतीय इंजीनियर हैं जो अमेरिका में एक सफल पेशेवर बने।
  • उनका जन्म हैदराबाद के एक तेलुगु परिवार में हुआ था, एवं उनके पिता (बुक्कापुरम नडेला युगांधर) भारतीय प्रशासनिक सेवा में कार्यरत थे।
  • श्री नडेला ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हैदराबाद पब्लिक स्कूल, बेगमपेट में की एवं फिर 1988 में मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कर्नाटक से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया।
  • 1990 में श्री नडेला ने विस्कॉन्सिन-मिल्वौकी विश्वविद्यालय से कंप्यूटर विज्ञान में एमएस डिग्री प्राप्त की।
  • 1992 में, उन्होंने अनुपमा से शादी की। दंपति की तीन संतानें हैं, एवं उनका परिवार वाशिंगटन में रहता है।
  • उन्होंने शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए किया।
  • वह माइक्रोसॉफ्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) हैं, एवं 2014 में स्टीव बाल्मर के उत्तराधिकारी बने। (वह कंपनी के इतिहास में केवल तीसरे मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं)
  • सीईओ बनने से पहले, वह माइक्रोसॉट के क्लाउड एंड एंटरप्राइज ग्रुप के कार्यकारी उपाध्यक्ष थे, जो कंपनी के कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म बनाने एवं चलाने के लिए जिम्मेदार था।
  • श्री नडेला अमेरिकी एवं भारतीय कविता के शौकीन पाठक हैं। वह अपनी स्कूल टीम में क्रिकेट खेले हैं एवं इस खेल के लिए उनमें जुनून है।
  • श्री नडेला ने ‘हिट रिफ्रेश’ नामक एक पुस्तक लिखी है, जिसमें प्रौद्योगिकी भविष्य को किस प्रकार आकार देगी विषय पर उनके विचार लिखे गए हैं।
  • माइक्रोसॉफ्ट में, नडेला ने प्रमुख परियोजनाओं का नेतृत्व किया है जिसमें कंपनी की क्लाउड कंप्यूटिंग एवं सबसे बड़े क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर में से एक का विकास शामिल है।
  • अक्टूबर 2014 में, नडेला के यह कहने पर कि ‘महिलाओं को वेतन वृद्धि की मांग नहीं करनी चाहिए एवं सिस्टम पर भरोसा करना चाहिए’ पर विवाद हुआ, व उन्होंने बाद में इसके लिए ट्विटर पर माफी मांगी।
  • श्री नडेला के नेतृत्व में माइक्रोसॉट ने अपने मिशन व्यक्तव्य को ‘हर घर की हर मेज पर एक माईक्रोसॉफ्ट सॉफ्टवेयर युक्त पर्सनल कंप्यूटर हो’ से संशोधित करके ‘ग्रह के प्रत्येक व्यक्ति एवं प्रत्येक संगठन को अधिक प्राप्त करने में सक्षम बनाना’ कर दिया। श्री नडेला का कहना है कि यह एक स्थायी मिशन है।
  • सीईओ नडेला के कार्यकाल में माइक्रोसॉट स्टॉक 27 प्रतिशत वार्षिक विकास दर से वृद्धि करके सितंबर 2018 में तीन गुना हो गया।

पिचई सुन्दराजन



  • पिचई सुंदरराजन (जन्म 1972) एक भारतीय अमेरिकी हैं जो अल्फाबेट इंक एवं इसके अंर्तगत गूगल के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी हैं।
  • पिचई का जन्म भारत के तमिलनाड़ु राज्य के मदुरै शहर में हुआ था। उनकी मां लक्ष्मी एक आशुलिपिक थीं एवं उनके पिता, रेगुनथा पिचई ब्रिटिश समूह, जीईसी में एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे। पिचई चेन्नई में बड़े हुए।
  • उनकी शादी अंजलि (एक केमिकल इंजीनियर) से हुई, जिनसे उनकी मुलाकात भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर में सहपाठी के रूप में हुई थी। दंपति के दो बच्चे हैं।
  • पिचई ने चेन्नई के जवाहर विद्यालय में स्कूली शिक्षा पूरी की, एवं मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग (धातुशोधन अभियांत्रिकी) में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर से अपनी डिग्री हासिल की तथा वे उस संस्थान में एक विशिष्ट छात्र के रूप में जाने जाते हैं।
  • उन्होंने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से मटेरियल विज्ञान एवं इंजीनियरिंग में एमएस तथा पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल से एमबीए डिग्री प्राप्त की।
  • पिचई ने एक मटेरियल इंजीनियर के रूप में अपना करियर शुरू किया एवं 2004 में गूगल में एक प्रबंधन कर्मचारी के रूप में शामिल हो गए। पुनर्गठन प्रक्रिया जिससे अल्फाबेट इंक को गूगल की मूल कंपनी बनाई गई के तहत, 2015 में श्री पिचई गूगल के सीईओ बन गए। दिसंबर 2019 में, उन्हें अतिरिक्त रूप से अल्फाबेट इंक का सीईओ भी नियुक्त कर दिया गया।
  • 2013 में, पिचई ने एंड्रॉइड को गूगल उत्पादों की सूची में शामिल किया। एंड्रॉइड को पहले एंडी रुबिन प्रबंधित करते थे।
  • पिचई को 10 अगस्त, 2015 को गूगल का अगला सीईओ चुना गया।
  • पिचई को 2014 में माइक्रोसॉट के सीईओ के दावेदार के रूप में सुझाया गया था, जिस पर अंततः सत्या नडेला की नियूक्ति की गई।
  • अगस्त 2017 में, गूगल कर्मचारी को नौकरी से हटाने के लिए पिचई की आलोचना की गई, जिन्होंने कंपनी की विविध नीतियों की आलोचना करते हुए दस पन्नों का घोषणापत्र लिखा था एवं तर्क दिया था कि ‘पुरुषों एवं महिलाओं की वरीयताओं एवं क्षमताओं का वितरण जैविक कारणों से भिन्न होता है एवं ... इससे हम तकनीक एवं नेतृत्व में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की कमी को समझ सकते हैं।’ पिचई ने कहा कि ‘हमारे सहकर्मियों के एक समूह को यह कहना कि ऐसे लक्षण होते हैं जो किसी कार्य के जैविक रूप से कम अनुकूल बनाते हैं, आक्रामक है एवं ठीक नहीं है।’
  • दिसंबर 2017 में, पिचई चीन में विश्व इंटरनेट सम्मेलन में एक वक्ता थे, जहां उन्होंने कहा कि ‘गूगल बहुत सारा काम चीनी कंपनियों की मदद करने के लिए करता है। चीन में कई लघु एवं मध्यम आकार के व्यवसाय हैं जो गूगल का लाभ उठाते हैं।’
  • 11 दिसंबर, 2018 को, पिचाई ने गूगल-संबंधित मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला जैसे कि गूगल के प्लेटफार्मों पर संभावित राजनीतिक पूर्वाग्रह, कंपनी की चीन में एक ‘सेंसर खोज ऐप’ के लिए कथित योजना एवं इसकी गोपनीयता प्रथाओं जैसे कई मुद्दों पर यूएस हाउस न्यायपालिका समिति के समक्ष प्रस्तुती दी। पिचाई ने कहा कि गूगल के कर्मचारी इसके खोज परिणामों को प्रभावित नहीं कर सकते हैं।

4.5 एन.आर. नारायण मूर्ति 

वे भारत की आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी के गुरु माने जाते हैं। वे इनफोसिस टेक्नोलॉजीज के सह संस्थापक हैं और इस क्षेत्र के सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानित व्यक्तित्वों में से एक हैं। श्री नारायण मूर्ति ही वे व्यक्ति हैं जिन्होंने इनफोसिस टेक्नोलॉजीज लिमिटेड का वैश्विक अंतरण मॉडल तैयार किया था, जो भारत में स्थित एक वैश्विक परामर्श एवं सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी है। 

20 अगस्त 1946 को जन्मे श्री नारायण मूर्ति मैसूर विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय अभियांत्रिकी संस्थान (1967) से विद्युत अभियांत्रिकी में स्नातक हैं, जिन्होंने बाद में 1969 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। एचटीएम, ईसीआईएल, टेल्को और एयर इंडिया से प्राप्त नौकरियों के प्रस्तावों को ठुकराते हुए, श्री मूर्ति ने भारतीय प्रबंध संस्थान अहमदाबाद में मुख्य तंत्र विश्लेषक के रूप में सेवाएं प्रदान करने का निर्णय लिया, जहां उन्हें 800 रुपये वेतन मिलता था, परंतु इसे वे अपने जीवन का सर्वश्रेष्ठ काल मानते हैं, क्योंकि वहां उन्हें अनेक नई चीजें सीखने को मिलीं। वे बीस वर्षों तक इनफोसिस के अध्यक्ष रहे। 

2002 में नंदन एम निलेकणि ने एन.आर. नारायण मूर्ति से इनफोसिस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी का पदभार ग्रहण किया, जो बाद में 2002 से 2006 तक इनफोसिस के अध्यक्ष एवं मुख्य विश्वसनीय सलाहकार के पद पर रहे। अगस्त 2006 में अपनी सेवा निवृत्ति के बाद भी वे अभी भी ससम्मान सेवामुक्त अध्यक्ष बने हुए हैं। हाल में  कंपनी की विक्रय संवृद्धि में एक मंदी का दौर आने के बाद, जून 2013 में श्री नारायण मूर्ति को कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में वापस बुलाया गया, और वे अपने पुत्र रोहन के साथ वापस आये, यह एक ऐसा कदम था जिसकी अनेक लोगों द्वारा काफी आलोचना भी की गई। 2017 में, सीईओ विशाल सिक्का को हटा दिया गया और मूर्ति ने अन्य प्रवर्तकों के साथ वापसी की।

आज भी श्री नारायण मूर्ति एक अग्रणी और दूरदृष्टा बने हुए हैं, जिन्होंने सच्चे अर्थों में यह दिखा दिया कि किस प्रकार भारतीय विश्वविद्यालयों से निकले सामान्य स्नातकों को डॉलर में बिल करने योग्य परिसंपत्तियों में परिवर्तित किया जा सकता है। 

4.6 विनोद धाम 

इंटेल के  उच्च सफलता प्राप्त पेंटियम संसाधकों (प्रोसेसर) के विकास में उनके द्वारा निभाई गई भूमिका के कारण इन्हें ‘‘पेंटियम चिप का जनक‘‘ या ‘‘पेंटियम का जनक‘‘ कहा जाता है। वे लैश मेमोरी के भी एक सह आविष्कारक हैं। दिल्ली अभियांत्रिकी महाविद्यालय (अब डीटीयू) से विद्युत अभियांत्रिकी (इलेक्ट्रॉनिक्स अभियांत्रिकी में विशेष प्रावीण्य के साथ) में उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्होंने दिल्ली स्थित कॉन्टिनेंटल डिवाइसेस नामक एक कंपनी में एक अभियंता के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान कीं। 1975 में उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी और अमेरिका के ओहिओ जाकर विद्युत अभियांत्रिकी में स्नातकोत्तर करने के उद्देश्य से सिनसिनाटी के सिनसिनाटी विश्वविद्यालय में प्रवेश प्राप्त किया, जहां उन्होंने ठोस स्थिति इलेक्ट्रॉनिक्स में विशेषज्ञता प्राप्त की।

1977 में एमएसईई उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्होंने ओहिओ के डेटन में एनसीआर कॉर्पोरेशन में एक अभियंता के रूप में नौकरी की, जहां उन्होंने उन्नत गैर-परिवर्तनशील मेमोरी के विकास के क्षेत्र में अत्याधुनिक कार्य किया। बाद में उन्होंने इंटेल में एक अभियंता के रूप में नौकरी की, जहां उन्होंने विश्व प्रसिद्ध पेंटियम संसाधक के विकास का नेतृत्व किया। 

4.7 अजीम प्रेमजी 

सॉफ्टवेयर के अग्रणी श्री अजीम प्रेमजी को भारत का बिल गेट्स कहा जाता है, और वे अनेक वर्षों भारत के सबसे धनी व्यक्ति बने रहे। वे विप्रो टेक्नोलॉजीज के संस्थापक और अध्यक्ष हैं - जो भारत की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनियों में से एक है। 

उनका जन्म तत्कालीन ब्रिटिश भारत के मुंबई में मूल रूप से गुजरात के कच्छ के एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके दादा एक प्रतिष्ठित व्यापारी थे और उन्हें बर्मा का चांवल सम्राट कहा जाता था। विभाजन के बाद जब जिन्ना ने उनके दादा को पाकिस्तान आने का निमंत्रण दिया, तो उन्होंने उस अनुरोध को ठुकरा कर भारत में ही रहने का फैसला लिया। श्री प्रेमजी ने अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से विद्युत अभियांत्रिकी में विज्ञान स्नातक (जो अभियांत्रिकी में स्नातक उपाधि के समकक्ष है) की उपाधि प्राप्त की हुई है। विप्रो को विश्व की सबसे तेजी से विकसित होकर उभरने वाली कंपनी बनाने के कारण बिजनेस वीक ने उन्हें महानतम उद्यमियों में से एक के रूप में मान्यता प्रदान की है। उन्हें भारत के सबसे प्रमुख जनहितैषी और उद्यमी के रूप में मान्यता प्राप्त है। 

4.8 गुरुराज देशपांडे 

वे एक भारतीय अमेरिकी उद्यम पूंजीवादी और उद्यमी हैं, जिन्हें चेल्म्सफोर्ड, एमए आधारित इंटरनेट उपकरण विनिर्माता साइकामोर नेटवर्क्स, एमआईटी के देशपांडे प्रौद्योगिकीय नवप्रवर्तन केंद्र और देशपांडे फाउंडेशन के सह संस्थापक के रूप में अधिक जाना जाता है। 

वर्तमान में श्री देशपांडे ए 123 सिस्टम्स, साइकामोर नेटवर्क्स, तेजस नेटवर्क्स, हाइव फायर, सैंडस्टोन कैपिटल, स्पार्टा समूह के अध्यक्ष हैं और ऐरवाना के निदेशक मंडल के सदस्य भी हैं। 

4.9 सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा

वे डॉ. सैम पित्रोदा और ‘‘भारत की दूरसंचार क्रांति के जनक‘‘ के रूप में अधिक प्रसिद्ध हैं। यूपीए सरकारों में वे भारत के प्रधानमंत्री के सार्वजनिक सूचना अधोसंरचना एवं नवप्रवर्तन सलाहकार भी रह चुके हैं। प्रारंभ में उन्होंने 1985 में राजीव गांधी सरकार के साथ शुरुआत की थी। 

वे सी-सैम, इंक नामक कंपनी के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। वे भारत के राष्ट्रीय ज्ञान आयोग और एक अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ - वर्ल्ड टेल लिमिटेड के अध्यक्ष भी थे। उन्होंने अपनी विद्यालयीन शिक्षा गुजरात के वल्लभ विद्यानगर से, भौतिकशास्त्र और इलेक्ट्रॉनिक्स में स्नातकोत्तर शिक्षा वडोदरा के एम.एस. विश्वविद्यालय से, और उच्च शिक्षा अमेरिका से पूर्ण की। 

4.10 प्रणव मिस्त्री 

वे भारत के गुजरात के पालनपुर से निकले हुए एक संगणक वैज्ञानिक हैं। प्रणव सिक्सथ सेंस के संस्थापक हैं और सिक्सथ सेंस प्रौद्योगिकी में किये गए अपने कार्यों के लिए अधिक जाने जाते हैं। वे मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान से मीडिया कला और विज्ञान में स्नातकोत्तर हैं और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई से डिजाइन में स्नातकोत्तर हैं। उन्होंने अपनी स्नातक शिक्षा संगणक विज्ञान में निर्मा प्रौद्योगिकी संस्थान से है। 

शुरू में वे एक यूएक्स शोधकर्ता के रूप में माइक्रोसॉफ्ट से जुडे़ थे। बाद में उन्होंने एक शोध सहयोगी के रूप में एमआईटी मीडिया लैब में कार्य किया। टीईडी इंडिया सम्मेलनों में उन्होंने अनेक नवप्रवर्तनों का प्रदर्शन किया। प्रारंभ में इस उद्योग में अनुसंधान केवल जावा जैसी प्रोग्रामिंग प्रौद्योगिकियों की दिशा में केंद्रित था, परंतु हाल के वर्षों में अनुसंधान का केंद्रबिंदु परिवर्तित होकर मोबाइल कंप्यूटिंग, क्लाउड कंप्यूटिंग और एक सेवा के रूप में सॉफ्टवेयर की दिशा में अधिक केंद्रित हुआ है। इस परिवर्तन का श्रेय ग्राहकों की स्वसंपूर्ण कंप्यूटिंग की तुलना में ‘‘सर्वव्यापी कंप्यूटिंग’’ के प्रति अधिक पसंदगी और न्यून लागत कंप्यूटिंग समाधान के लिए बढ़ती मांग को दिया जाता है। 

धारण करने योग्य प्रौद्योगिकी और सर्वव्यापी कंप्यूटिंग के क्षेत्र में प्रणव द्वारा किये गए कार्य उन्हें सैमसंग तक ले गए, जहां वे अब काम करते हैं, और वे गैलेक्सी गियर उत्पाद में काफी सहायक साबित हुए। एक युवा प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तक के रूप में प्रणव का भविष्य काफी उज्जवल है, और उन्हें अभी काफी लंबा सफर करना है।

5.0 जुगाड़ प्रौद्योगिकीः एक विदग्ध समाधान में तात्कालिक कामचलाऊ व्यवस्था करने की आवेगपूर्ण कला 

जुगाड़ प्रौद्योगिकी को किसी समस्या को तुरंत सुलझाने के नवप्रवर्तनशील तरीके के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह एक तात्कालिक कामचलाऊ या निर्णायक का विशेष उपकरण समाधान होता है जिसमें आविष्कारशीलता, विदग्धता और चतुराई होती है। 

जो व्यक्ति जुगाड़ प्रौद्योगिकी में निपुण होता है उसे जुगाडू कहा जाता है। 

जुगाड़ प्रौद्योगिकी की अनिवार्यताएंः व्यावहारिक बुद्धि!

असाधारण/अकल्पनीय साधनों और मार्गों से वांछित कार्य करने का अत्यंत नवप्रवर्तनशील, किफायती और गुणवत्तापूर्ण तरीका। 

जबकि उभरते बाजारों में वर्तमान समय में जुगाड़ नवप्रवर्तन का एक प्रभावी माध्यम है, वहीं पश्चिमी देशों में इसका उपयोग काफी छिट पुट अवस्थाओं में ही किया जाता है। यह जुगाड शैली के नवप्रवर्तकों की लचीली मानसिकता ही थी जिसने पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं में विकास को उत्प्रेरित किया, जैसा कि औद्योगिक क्रांति के दौरान अमेरिका में हुआ था। 

जुगाड़ को छह दिशानिर्देशक सिद्धांतों में सारभूत किया जा सकता है, जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं जैसी जटिल स्थितियों में अत्यंत प्रभावी नवप्रवर्तनों की छह पद्धतियों के आधारस्तंभ हैं। ये छह सिद्धांत निम्नानुसार हैंः

  1. कठिनाइयों में अवसर खोजने का प्रयास करना 
  2. न्यून के साथ अधिक करना 
  3. लचीलेपन से सोचना और कार्य करना 
  4. सरल बनाये रखना 
  5. लाभ को शामिल करना 
  6. अपने दिल की सुनना 

जुगाड़ की संकल्पना को अनाधिकृत प्रवेश या क्लज की पश्चिमी (मूल रूप से अमेरिकी) संकल्पना के विपरीत हो सकता है। हालांकि इसके सामान्य अर्थ में ‘‘अनाधिकृत प्रवेश’’ ‘‘जुगाड़‘‘ के लगभग समान ही है, जुगाड़ को अधिकतर एक अस्तित्व की रणनीति माना जा सकता है य इसके विपरीत एक अनाधिकृत प्रवेश, विशेष रूप से वर्तमान समय में, को एक बुद्धिमान कला प्रकार के रूप में देखा जाता है। दोनों ही संकल्पनाएं जो करना आवश्यक है वह किया जाना चाहिए की आवश्यकता को व्यक्त करती हैं, इस बात की परवाह किये बिना कि पारंपरिक रूप से क्या संभव माना जाता है। 

जुगाड़ को बढ़ते स्तर पर एक प्रबंधन तकनीक के रूप में स्वीकार किया जा रहा है, और विश्व भर में इसे मितव्ययी अभियांत्रिकी के एक स्वीकार्य प्रकार के रूप में मान्यता प्राप्त हो रही है, भारत में यह अवधारणा शिखर पर है। भारतीय कंपनियां जुगाड़ को अनुसंधान और विकास लागतों को कम करने की एक पद्धति के रूप में अपना रही हैं। जुगाड़ किसी भी प्रकार की ऐसी रचनात्मक और लीक से हटकर सोच या जीवन में अनाधिकृत प्रवेश पर भी लागू होता है जो कंपनी या उसके हितधारकों के लिए संसाधनों को अधिकतम करती है। 

कैंब्रिज विश्वविद्यालय के एक विशेषज्ञ के अनुसार समय के साथ अनुभव सिद्ध भारत की जुगाड अवधारणा - नवप्रवर्तन का एक मितव्ययी और लचीला दृष्टिकोण - विकासशील देशों में विद्यमान वर्तमान आर्थिक संकट से बाहर निकलने का एक महत्वपूर्ण मार्ग हो सकती है, और यह उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए भी एक महत्वपूर्ण सीख पेश करती है। 

कैंब्रिज जज बिजनेस स्कूल के भारतीय व्यापार एवं उद्यम के जवाहरलाल नेहरू प्रोफेसर जयदीप प्रभु कहते हैं कि ‘‘जुगाड़’’ पर उनके सह लेखन में 2012 में लिखी गई पुस्तक को फ्रांस और जापान जैसे देशों में आश्चर्यजनक लोकप्रियता प्राप्त हुई। वे कहते हैं कि नवप्रवर्तन के प्रति जुगाड .ष्टिकोण में भारत के लिए भी एक महत्वपूर्ण सीख है। 

‘‘मैं अधिकाधिक आश्वस्त होता जा रहा हूँ कि जुगाड नवप्रवर्तन अगले कुछ दशकों तक विकास की .ष्टि से भारत के लिए एक मितव्ययी, लचीला और समावेशी मार्ग हो सकता है। इस प्रकार का दृष्टिकोण सभी प्रकार के सामाजिक और आर्थिक समूहों में और देश के कोने-कोने में भारत के करोडों लोगों की स्वदेशी विदग्धता को प्रेरित करता है।‘‘कहते हैंः ‘‘दिलचस्प बात यह है कि जुगाड़ नवप्रवर्तन बाकी विश्व को भी अनुसरण करने के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। जुगाड़ नवप्रवर्तन की सीखों से न केवल उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं लाभ प्राप्त कर सकती हैं (जुगाड़ नवप्रवर्तनों के प्रति जिस प्रकार की रूचि अफ्रीकियों और लैटिन अमेरिकियों ने दिखाई है वह मैंने देखी है), बल्कि यहां तक कि इससे विकसित देश भी (वित्तीय संकट के बाद की स्थिति में संघर्ष कर रहे) लाभांवित हो सकते हैं।’’

‘‘जुगाड़ नवप्रवर्तन’’ शीर्षक वाली प्रभु की पुस्तकः मितव्ययी सोचें, लचीले रहें, महत्वपूर्ण खोज से विकास निर्माण करें, का सह लेखन अमेरिका स्थित नवप्रवर्तन रणनीतिकार नवी रादजोउ और अमेरिका और मुंबई में स्थित बाजार सलाहकार कंपनी के संस्थापक सिमोन आहूजा द्वारा किया गया है।

यह पुस्तक हमें नवप्रवर्तन और व्यापारों के निर्माण के अनोखे दृष्टिकोणों की शिक्षा देती है, और अब इसका अंग्रेजी के अतिरिक्त फ्रेंच, जापानी, पुर्तगाली, डच और इतालवी (यह 2014 में प्रकाशित होने की उम्मीद है) भाषाओँ में अनुवाद भी किया जा चुका है और भारत में बडे़ पैमाने पर इसकी बिक्री हुई है। प्रभु का कहना है कि जापान और फ्रांस में इसे व्यापक रूप से पसंद किया गया है। 

इस पुस्तक में ‘‘जुगाड’’ नवप्रवर्तनों के छह आधारभूत सिद्धांतों की चर्चा की गई हैः कठिन परिस्थितियों में अवसर खोजें, कम संसाधनों के साथ अधिक प्राप्त करने का प्रयास करें, सोच और काम में लचीलापन रखें, कार्य को आसान बनाये रखें, लाभ को शामिल करें, और अंत में आमने दिल की बात मानें। 

यह भारत के अनेक उदाहरणों को उद्धृत करती है जहां न्यून लागत नवप्रवर्तनों ने प्रभावी समाधान और राजस्व प्रवाह प्रदान किये हैं। पुस्तक तर्क देती है कि नवप्रवर्तन का एक मितव्ययी और लचीला दृष्टिकोण न केवल विकासशील विश्व में बल्कि पश्चिमी देशों में भी महत्वपूर्ण विकास निर्मित कर सकता है। 

अनुसंधान के दौरान लेखकों ने पाया कि ‘‘जुगाड़‘‘ की उद्यमशील विचारधारा केवल भारत तक ही सीमित नहीं है। वे हिंदी शब्द ‘‘जुगाड़’’ की परिभाषा विदग्धता और दुर्लभ संसाधनों के उपयोग से प्राप्त तात्कालिक समाधानों के रूप में करते हैं। 

उन्होंने यह भी पाया कि अर्जेंटीना, ब्राजील, चीन, कोस्टा रिका, भारत, केन्या, मेक्सिको, फिलीपींस और अन्य उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। 

ब्राजील इसे गम्बीयर्रा कहता है 
चीनी इसे जिझुचुआंगक्सिन कहते हैं 
कीनियाई इसे जुआ काली कहते हैं 
और अमेरिकी इसे कहते हैंः अपने आप करो (डीईवाय)

आज की अति प्रतिस्पर्धात्मक वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण खोज के साथ विकास निर्माण करने के लिए आपको एक नए और शक्तिशाली दृष्टिकोण की आवश्यकता होती हैः इसके प्रस्तावकों का दावा है कि यही नया और शक्तिशाली दृष्टिकोण जुगाड़ नवप्रवर्तन है। 

मितव्ययी नवप्रवर्तन जीई की 800 डॉलर मूल्य की ईकेजी मशीन या 100 डॉलर के प्रति बालक एक लैपटॉप जैसी टिकाऊ वस्तुओं तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि यह ऐसी सेवाओं पर भी लागू होती है जैसे 1 सेंट प्रति मिनट का फोन कॉल, मोबाइल बैंकिंग, ऑफ ग्रिड बिजली और सूक्ष्म वित्त।  

5.1 जुगाड़ प्रौद्योगिकी के कुछ उदाहरण 

छोटू कूल फ्रिजः भारतीय कंपनी गोदरेज द्वारा विक्रय किये जाने वाले एक अत्यंत छोटे रेफ्रीजिरेटर छोटू कूल में अन्य रेफ्रिजरेटरों की तुलना में संगणक शीतलन प्रणालियों के साथ अधिक समानताएं हैं; यह एक संगणक पंखे के लिए पारंपरिक संपीडक (कंप्रेसर) को त्याग देता है (संभवतः यह ऊष्मा विद्युत प्रभाव का दोहन कर सकता है)।

फोल्ड स्कोपः फोल्ड स्कोप एक कागज और दूरबीन के कांच से बना एक कठोर ओरिगेमी सूक्ष्मदर्शी है। स्टैनफोर्ड के एक अभियंता द्वारा विकसित यह यंत्र इस प्रकार से बनाया गया है कि इसकी लागत 1 डॉलर से भी कम है। 

जयपुर फुटः भारत में विकसित एक अल्प लागत कृत्रिम पैर जयपुर फुट की विनिर्माता के लिए लागत लगभग 150 डॉलर आती है और इसमें कुछ चतुर सुधार शामिल हैं, जैसे लागत कम करने के लिए निर्माण में सिंचाई पाइप का उपयोग करना।

मोबाइल बैंकिंगः सफारीकॉम के एम पेसा जैसे मोबाइल बैंकिंग समाधान अफ्रीका में लोगों को अपने मोबाइल फोन से मूलभूत बैंकिंग सेवाएं प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करते हैं। मोबाइल के माध्यम से किये धन के हस्तांतरण पारंपरिक पद्धति के उपयोग की तुलना में काफी सस्ते भी होते हैं। जबकि कुछ सेवाएं केवल मोबाइल के माध्यम से ही प्राप्त की जा सकती हैं, फिर भी पैसा जमा करने या निकालने जैसे कामों के लिए स्थानीय प्रतिनिधि के पास जाना आवश्यक है। 

नोकिया 1100ः विकासशील देशों के लिए निर्मित किया गया नोकिया 1100 एक प्राथमिक, और टिकाऊ है और - एक लैशलाइट के अतिरिक्त इसमें आवाज और टेक्स्ट के अलावा बहुत कम विशेषताएं हैं। 2003 में इसे शुरू किये जाने के केवल चार वर्ष के अंदर 200 मिलियन से अधिक इकाइयों की इसकी बिक्री ने इसे सर्वकालीन सर्वश्रेष्ठ विक्रय किया गया फोन बना दिया!

सोरघम बियरः अफ्रीका में एसएबी मिलर और डिएगो सहित अनेक कंपनियों ने स्थानीय घरेलू शराब बनाने वालों के नक्शेकदम पर चलते हुए जौ के याव्यन के बजाय सोरघम या कसावा का उपयोग करके और बोतलों के बजाय केग बेच कर पैकेजिंग लागतों को कम करके बियर को काफी सस्ता बना दिया है। 

सौर प्रकाश बल्बः फिलीपींस की कुछ मलिन बस्तियों में पानी और विरंजक से भरे हुए एक लीटर की सोडा बोतलों से बने सौर रोशनदान 55 वाट के बल्ब द्वारा निर्मित प्रकाश के बराबर रोशनी प्रदान करते हैं, और इनके उपयोग से बिजली के मासिक शुल्क में 10 डॉलर तक की कमी की जा सकती है। 

टाटा नैनोः मोटरसाइकिल की सवारी करने वाले अनेक भारतीयों को ध्यान में रख कर बनाई गई टाटा नैनो भारतीय उद्योजक टाटा समूह द्वारा विकसित की गई है, और यह विश्व की सबसे सस्ती कार है। 

मुंबई के डिब्बेवालेः एक अन्य ठोस और अनूठा जुगाड नवप्रवर्तन है मुंबई के डिब्बेवाले। मुंबई में अनोखी कूटकरण पद्धति के साथ उनकी प्रसिद्ध त्रुटि मुक्त सेवा ने उन्हें व्यावसायिक स्कूलों के विश्लेषण का विषय बना दिया है। साथ ही यह बात अक्सर जोर देकर बताई जाती है कि फोर्ब्स पत्रिका द्वारा उन्हें सिक्स सिग्मा प्रमाणपत्र प्रदान किया था। यह एक भ्रम है जो उन लोगों द्वारा फैलाया जा रहा है जिन्होंने 1998 में फोर्ब्स पत्रिका में प्रकाशित एक लेख के प्रत्यायन की व्याख्या की थी। 2007 में इस संदर्भ में उस लेख के प्रमुख लेखक सुब्रता चक्रवर्ती द्वारा स्पष्टीकरण दिया गया है। 

‘‘फोर्ब्स ने कभी भी डिब्बेवालों को एक सिक्स सिग्मा संगठन के रूप में प्रमाणपत्र नहीं दिया। वास्तव में मैंने इस शब्द का कहीं उपयोग ही नहीं किया है। जैसा कि आप जानते हैं सिक्स सिग्मा एक प्रक्रिया है न कि यह एक आंकड़ा है। परंतु आमतौर पर इसका संबंध प्रति मिलियन परिचालनों में 3.4 त्रुटियों के साथ जोड़ा जाता है, और इसी ने सारा भ्रम पैदा किया। मैं उस प्रक्रिया की कुशलता से और जटिलता से काफी प्रभावित हुआ था जिसके द्वारा प्रति दिन लगभग 175,000 टिफिन बॉक्स ऐसे लोगों द्वारा अलग-अलग छांटें जाते हैं, उनका परिवहन किया जाता है, वितरण किया जाता है और उन्हें वापस पहुँचाया जाता है, जो लगभग निरक्षर और अपरिष्.त हैं। मैंने इस संगठन के प्रमुख से पूछा था कि अक्सर उनकी कितनी गलतियां होती हैं, तो उन्होंने उत्तर दिया था कि लगभग कभी नहीं, हो सकता है कि दो महीने में एकाध बार हो सकती है। इससे अधिक गलतियां ग्राहकों के लिए अक्षम्य हो जाएंगी। मैंने गणना की, जिसके अनुसार यह स्पष्ट होता है कि 8 मिलियन वितरणों, या 16 मिलियन वितरणों में केवल एक गलती, क्योंकि टिफिन के डिब्बे प्रतिदिन घर वापस भी पहुंचाये जाते हैं। मैंने इसी गणना का उपयोग किया था। बाद में संभवतः 2002 ने एक रिपोर्टर ने डिब्बेवालों के अध्यक्ष से किसी रिपोर्टर ने प्रश्न किया था कि क्या डिब्बेवाला एक सिक्स सिग्मा संगठन है, इसपर उनका उत्तर था कि वे नहीं जानते कि सिक्स सिग्मा संगठन क्या होता है। जब उन्हें प्रति मिलियन लगभग 3.4 त्रुटियों की सांख्यिकी के बारे में बताया गया, तो ऐसा बताया जाता है कि उन्होंने कहाः ‘‘तब तो हम हैं, आप केवल फोर्ब्स से पूछ लें।‘‘ स्पष्ट रूप से रिपोर्टर ने मेरा लेख पढे़ बिना लिख दिया कि फोर्ब्स ने मुंबई के डिब्बेवाला संगठन को एक सिक्स सिग्मा संगठन का प्रमाणपत्र प्रदान किया है। इसी शब्दावली को अन्य रिपोर्टरों द्वारा भी उठा लिया गया और अन्य लेखों में बार-बार इसका उपयोग किया गया, और अब यह लगभग एक लोककथा का हिस्सा बन गया प्रतीत होता है।‘‘




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concepts,11,Inda,1,India,29,India Agriculture and related issues,1,India Economy,1,India's Constitution,14,India's independence struggle,19,India's international relations,4,India’s international relations,7,Indian Agriculture and related issues,9,Indian and world media,5,Indian Economy,1248,Indian Economy – Banking credit finance,1,Indian Economy – Corporates,1,Indian Economy.GDP-GNP-PPP etc,1,Indian Geography,1,Indian history,33,Indian judiciary,119,Indian Politcs,1,Indian Politics,637,Indian Politics – Post-independence India,1,Indian Polity,1,Indian Polity and Governance,2,Indian Society,1,Indias,1,Indias international affairs,1,Indias international relations,30,Indices and Statistics,98,Indices and Statstics,1,Industries and services,32,Industry and services,1,Inequalities,2,Inequality,103,Inflation,33,Infra projects and financing,6,Infrastructure,252,Infrastruture,1,Institutions,1,Institutions and bodies,267,Institutions and bodies Panchayati Raj,1,Institutionsandbodies,1,Instiutions and Bodies,1,Intelligence and security,1,International Institutions,10,international relations,2,Internet,11,Inventions and discoveries,10,Irrigation Agriculture Crops,1,Issues on Environmental Ecology,3,IT and Computers,23,Italy,1,January 2020,26,January 2021,25,July 2020,5,July 2021,207,June,1,June 2020,45,June 2021,369,June-2021,1,Juridprudence,2,Jurisprudence,91,Jurisprudence Governance and Institutions,1,Land reforms and productivity,15,Latest Current Affairs,1136,Law and order,45,Legislature,1,Logical Reasoning,9,Major events in World History,16,March 2020,24,March 2021,23,Markets,182,Maths Theory Booklet,14,May 2020,24,May 2021,25,Meetings and Summits,27,Mercantilism,1,Military and defence alliances,5,Military technology,8,Miscellaneous,454,Modern History,15,Modern historym,1,Modern technologies,42,Monetary and financial policies,20,monsoon and climate change,1,Myanmar,1,Nanotechnology,2,Nationalism and protectionism,17,Natural disasters,13,New Laws and amendments,57,News media,3,November 2020,22,Nuclear technology,11,Nuclear techology,1,Nuclear weapons,10,October 2020,24,Oil economies,1,Organisations and treaties,1,Organizations and treaties,2,Pakistan,2,Panchayati Raj,1,Pandemic,137,Parks reserves sanctuaries,1,Parliament and Assemblies,18,People and Persoalities,1,People and Persoanalities,2,People and Personalites,1,People and Personalities,189,Personalities,46,Persons and achievements,1,Pillars of science,1,Planning and management,1,Political bodies,2,Political parties and leaders,26,Political philosophies,23,Political treaties,3,Polity,485,Pollution,62,Post independence India,21,Post-Governance in India,17,post-Independence India,46,Post-independent India,1,Poverty,46,Poverty and hunger,1,Prelims,2054,Prelims CSAT,30,Prelims GS I,7,Prelims Paper I,189,Primary and middle education,10,Private bodies,1,Products and innovations,7,Professional sports,1,Protectionism and Nationalism,26,Racism,1,Rainfall,1,Rainfall and Monsoon,5,RBI,73,Reformers,3,Regional conflicts,1,Regional Conflicts,79,Regional Economy,16,Regional leaders,43,Regional leaders.UPSC Mains GS II,1,Regional Politics,149,Regional Politics – Regional leaders,1,Regionalism and nationalism,1,Regulator bodies,1,Regulatory bodies,63,Religion,44,Religion – Hinduism,1,Renewable energy,4,Reports,102,Reports and Rankings,119,Reservations and affirmative,1,Reservations and affirmative action,42,Revolutionaries,1,Rights and duties,12,Roads and Railways,5,Russia,3,schemes,1,Science and Techmology,1,Science and Technlogy,1,Science and Technology,819,Science and Tehcnology,1,Sciene and Technology,1,Scientists and thinkers,1,Separatism and insurgencies,2,September 2020,26,September 2021,444,SociaI Issues,1,Social Issue,2,Social issues,1308,Social media,3,South Asia,10,Space technology,70,Startups and entrepreneurship,1,Statistics,7,Study material,280,Super powers,7,Super-powers,24,TAP 2020-21 Sessions,3,Taxation,39,Taxation and revenues,23,Technology and environmental issues in India,16,Telecom,3,Terroris,1,Terrorism,103,Terrorist organisations and leaders,1,Terrorist acts,10,Terrorist acts and leaders,1,Terrorist organisations and leaders,14,Terrorist organizations and leaders,1,The Hindu editorials analysis,58,Tournaments,1,Tournaments and competitions,5,Trade barriers,3,Trade blocs,2,Treaties and Alliances,1,Treaties and Protocols,43,Trivia and Miscalleneous,1,Trivia and miscellaneous,43,UK,1,UN,114,Union budget,20,United Nations,6,UPSC Mains GS I,584,UPSC Mains GS II,3969,UPSC Mains GS III,3071,UPSC Mains GS IV,191,US,63,USA,3,Warfare,20,World and Indian Geography,24,World Economy,404,World figures,39,World Geography,23,World History,21,World Poilitics,1,World Politics,612,World Politics.UPSC Mains GS II,1,WTO,1,WTO and regional pacts,4,अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं,10,गणित सिद्धान्त पुस्तिका,13,तार्किक कौशल,10,निर्णय क्षमता,2,नैतिकता और मौलिकता,24,प्रौद्योगिकी पर्यावरण मुद्दे,15,बोधगम्यता के मूल तत्व,2,भारत का प्राचीन एवं मध्यकालीन इतिहास,47,भारत का स्वतंत्रता संघर्ष,19,भारत में कला वास्तुकला एवं साहित्य,11,भारत में शासन,18,भारतीय कृषि एवं संबंधित मुद्दें,10,भारतीय संविधान,14,महत्वपूर्ण हस्तियां,6,यूपीएससी मुख्य परीक्षा,91,यूपीएससी मुख्य परीक्षा जीएस,117,यूरोपीय,6,विश्व इतिहास की मुख्य घटनाएं,16,विश्व एवं भारतीय भूगोल,24,स्टडी मटेरियल,266,स्वतंत्रता-पश्चात् भारत,15,
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PT's IAS Academy: यूपीएससी तैयारी - भारत में प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण मुद्दे - व्याख्यान - 10
यूपीएससी तैयारी - भारत में प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण मुद्दे - व्याख्यान - 10
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