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निर्णय क्षमता सत्र # 01
1.0 प्रस्तावना
वर्ष 2011 में शुरू किये गए निर्णय क्षमता पर आधारित प्रश्नों का लक्ष्य उम्मीदवार की निर्णय लेने की क्षमता का परीक्षण करना है। परीक्षा के इस भाग में ऋणात्मक अंकन नहीं किया जाता। आयोग द्वारा प्रकाशित अधिकृत उत्तर कुंजी के अनुसार, किसी भी प्रश्न के दो सही उत्तर होंगे। अतः सही उत्तर ढूंढने के बजाय उम्मीदवार को सबसे बुरे विकल्प को छोड़ने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इससे परीक्षार्थी के पास केवल सही उत्तर की उपलब्धता सुनिश्चित हो जाएगी।
2.0 वांछनीय और अवांछनीय उत्तर
लोक सेवा अधिकारियों में कुछ गुणों का होना वांछनीय माना जाता है, जबकि कुछ गुण अवांछनीय माने गए हैं। प्रश्नों के चुने गए उत्तर परीक्षार्थी के उपलब्ध गुणों के आधार पर ही होने चाहिए, ऐसा माना जाता है। हालांकि, इसके लिए एक सामान्य नियम बनाया जा सकता है, कि कौन से गुण वांछनीय हैं, और कौन से अवांछनीय।
वांछनीय गुणः संघ लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित अधिकारी में निम्नलिखित गुण वांछनीय माने गए हैंः
- मानवीय उदाहरणार्थ, मुफ्त बिजली/पानी देना, परंतु केवल गरीबी रेखा के नीचे के लोगों के लिए
- समय-पालन, दी गई समय सीमा में कार्य पूर्ण करना
- स्पष्ट और ईमानदार व्यक्ति
- यथास्थिति के साथ चलते रहने के बजाय कम से कम कुछ ‘सकारात्मक कार्य’ करने का प्रयत्न करना
अवांछनीय गुणः निम्नलिखित गुणों का होना अवांछनीय माना गया हैः
- लचीलापन
- रिश्वत की पेशकश करने वाला
- रिश्वत का स्वीकार करने वाला
- दूसरों के गलत कामों से मुँह फेर लेने वाला
- आसानी से आहत या भयभीत होने वाला
- अनुशासनहीनता
- अक्खड़पन
- अवज्ञा, अर्थात, उच्चाधिकारियों का अनादर करना, या वरिष्ठ अधिकारी को सूचित किये बिना अवकाश पर चले जाना
- झूठ बोलना और काम करने के बजाय बहाने बनाना
- अविश्वसनीय, अव्यावहारिक विकल्प उदाहरणार्थ, सभी के लिए मुफ्त पानी और बिजली, चाहे उनकी आर्थिक स्थिति कैसी भी हो।
- ‘कोई भी कार्रवाई ना करनेवाला’ व्यक्ति, अर्थात, ऐसा व्यक्ति जो यथास्थिति बनाये रखना पसंद करता हो, कोई कार्रवाई नहीं करता, एक ऐसा व्यक्ति जो ‘समिति मानसिकता’ से ग्रसित हो।
- पूर्वाग्रहग्रस्त अधिकारी, उदासीन अधिकारी, टालमटोल करने वाला अधिकारी।
- अल्पकालिक उन्मुख, एक ऐसा निर्णय जो दीर्घावधि में कार्यालय के अनुशासन को तोड़ देगा।
अतः विद्यार्थी को ध्यान रखना चाहिए, कि उसके द्वारा चिन्हित उत्तर इन वांछनीय गुणों का प्रदर्शन करने वाले हों।
पिछली परीक्षाओं में निर्णय क्षमता पर पूछे गए प्रश्नों की संख्या निम्नानुसार है।
3.0 नमूना प्रश्न
- आपके जिम्मे एक प्राथमिकता वाली परियोजना है और आप सभी समय सीमाओं का पालन कर रहे हो, और परियोजना के दौरान ही अवकाश की योजना बना रहे हो। आपका तत्काल वरिष्ठ अधिकारी परियोजना की अत्यावश्यकता का हवाला देकर आपका अवकाश का आवेदन अस्वीकार कर देता है। इस स्थिति में आपकी प्रतिक्रिया निम्न में से किस प्रकार की होगी?
- उसकी मंजूरी की प्रतीक्षा किये बिना आप अवकाश पर चले जाओगे
- बीमारी का बहाना बना कर अवकाश पर चले जाओगे
- आपके आवेदन पर पुनर्विचार के लिए उससे वरिष्ठ अधिकारी के पास जाओगे
- अपने वरिष्ठ अधिकारी से कहोगे कि यह न्यायोचित नहीं है
- एक सचिव को आवास की आवश्यकता है क्योंकि उनके पिता बीमार हैं, परंतु मुख्य कार्यालय ने आवास अस्वीकृत कर दिया है। उसके वरिष्ठ अधिकारी के रूप में आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी?
- आप उसे अपने आवास पर बुलाएँगे और व्यक्तिगत रूप से उसे समझाओगे कि आवंटन क्यों नहीं किया जा सकता।
- उसकी निष्ठा जीतने के उद्देश्य से उसे आवास आवंटित कर देंगे।
- कार्यालीन टिप्पणी से यह दिखाने के लिए सहमत हो जाओगे कि आप पूर्वाग्रह ग्रस्त नहीं हैं, और पक्षपात नहीं करते हैं।
- फाइल अपने पास रख लेंगे और कोई आदेश पारित नहीं करेंगे।
- आप एक यात्री हैं, और आप जिस टैक्सी में यात्रा कर रहे हैं उसका चालक परिवहन अधिकारी को रिश्वत देता है। आपकी प्रतिक्रिया क्या होगी?
- आप काउंटर पर जायेंगे और उस लिपिक से कहेंगे कि वह अवैध तरीके से लिया हुआ पैसा वापस लौटाए।
- आप हस्तक्षेप नहीं करेंगे, क्योंकि यह मामला टैक्सी चालक और कर अधिकारियों के बीच का है।
- आप इस घटना को ध्यान रखेंगे और बाद में संबंधित अधिकारियों को इस बारे में रिपोर्ट करेंगे।
- इसे एक सामान्य घटना समझ कर इसे भूल जायेंगे।
- हाल के दिनों में, अर्धसैनिक बलों की जनहानि की गंभीर समस्या निर्माण हुई है, जिसका नक्सल विरोधी अभियानों पर हतोत्साहित करने वाला और विपरीत परिणाम हुआ है, और इसका प्रमुख कारण है स्थानीय वन भूभाग के बारे में उचित जानकारी का अभाव। इस स्थिति पर नियंत्रण करने का उपाय हैः
- गंभीर खतरे को देखते हुए, सुरक्षा बलों को घने जंगलों में इस तरह की कार्रवाई को रोकना चाहिए।
- जंगलों की घनता को कम करने के उपाय किये जाने चाहिए।
- जो नक्सलवादी पूर्व में आत्मसमर्पण कर चुके हैं, उन्हें नक्सल विरोधी अभियानों में शामिल किया जाना चाहिए, क्योंकि वे क्षेत्र के चप्पे-चप्पे से वाकिफ हैं।
- स्थानीय क्षेत्र की जानकारी रखने वाले स्थानीय युवकों की इन बलों में नियुक्ति की जानी चाहिए, और अर्ध सैनिक बलों के प्रशिक्षण पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।
- एक जिलाधीश एवं जिला दंडाधिकारी ग्रामीण दौरे पर हैं, और एक दूरस्त क्षेत्र में, जहां संचार और परिवहन के उचित साधन उपलब्ध नहीं हैं, वहां अचानक डायरिया के प्रादुर्भाव की सूचनाएं प्राप्त होती हैं, और वहां तत्काल चिकित्सक की उपलब्धतता नहीं हो पाती। ऐसी स्थिति में जिलाधीश एवं जिला दंडाधिकारी द्वारा सर्वोत्तम कार्रवाई क्या हो सकती है?
- वह राज्य सरकार को सूचित करे, कि फलां-फलां क्षेत्र में इस प्रकार की समस्या निर्माण हुई है, और वहां के अस्पताल शुरू करने के लिए उचित कार्रवाई की जाय।
- वह रुके और स्थिति का जायजा ले, क्योंकि ऐसी समस्याएं अस्थायी होती हैं, और गहरी चिंता की कोई बात नहीं है।
- वह दवाइयाँ सुझाये और किसी को निकट के शहर में भेज कर वे दवाएं मंगवाने और रोगग्रस्त लोगों को दिलवाने की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करे।
- स्थानीय सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की मदद से मौखिक पुनः जलयोजन उपचार के लिए कदम उठाये, और चिकित्सक शीघ्र उपलब्ध करवाने की व्यवस्था करे।
- सडक पर यातायात चालू है और अचानक आप देखते हैं कि जाम की स्थिति निर्मित हो गई है, जिसके कारण संपूर्ण यातायात व्यवस्था बाधित हो रही है। आप के हिसाब से इस स्थिति में, निम्न में से कौन से उपाय सबसे कारगर साबित होंगे?
- दुपहिया वाहनों को प्रथम जाने की अनुमति दें, ताकि बडे वाहनों द्वारा यातायात को और अधिक बाधित होने से रोका जा सके।
- वाहन चालकों को कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दें, जो उनके लिए लाभदायक होंगे, और जो यातायात के अनुशासन को सुधारने में सहाय्यक होंगे।
- जाम के विशिष्ठ बिंदुओं को चिन्हित करेंगे, और यातायात के प्रवाह को सुचारू रूप से जारी रखने के लिए, उन्हें दूर करने के तुरंत उपाय करेंगे।
- वाहन चालकों को पीछे हटने के लिए कहेंगे, ताकि रास्ता जाम से साफ हो सके और यातायात सुचारू हो सके।
- एक मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एक युवक को मद्यपान करके वाहन चलाने के लिए दोषी करार देते हैं, और उसे एक महीने की साधारण कैद की सजा सुनाते हैं। वह युवक इस सजा के विरुद्ध अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय में अपील करता है। यह न्यायालय उसकी सजा को रद्द कर देता है, और दोषी युवक को परिवीक्षा पर छोड देता है। वह उसे एक महीने के लिए सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों में संलग्न रहने के लिए, और एक महीने पश्चात इस विषय में उचित साक्ष्य या सर्टिफिकेट प्रस्तुत करने के लिए भी कहता है। यहां न्यायालय के निर्णय को आप किस दृष्टी से देखते हैं?
- न्यायालय प्रतिकारात्मक सिद्धांत की अपेक्षा संस्कारक सिद्धांत पर अधिक भरोसा करता है।
- न्यायालय संस्कारक सिद्धांत की अपेक्षा प्रतिकारात्मक सिद्धांत पर अधिक भरोसा करता है।
- न्यायालय संस्कारक सिद्धांत और प्रतिकारात्मक सिद्धांत, दोनों पर समान रूप से भरोसा करता है।
- न्यायालय ना तो संस्कारक सिद्धांत पर भरोसा करता है, और ना ही प्रतिकारात्मक सिद्धांत पर भरोसा करता है।
- एक निचली अदालत में सुनवाई के दौरान गवाह कहता है, कि उसने आरोपी को अपराध करते हुए देखा है। आरोपी का कहना है कि वह ऐसे लगभग 100 गवाह प्रस्तुत कर सकता है जिन्होंने उसे अपराध करते हुए नहीं देखा है। क्या न्यायालय अब भी गवाह पर भरोसा कर सकता है, जब आरोपी ऐसे अन्य गवाह प्रस्तुत कर देता है?
- हाँ
- नहीं
- हाँ, यदि 100 में से कुछ गवाह प्रस्तुत गवाहों का समर्थन करते हैं।
- इस मामले में कोई भी टिप्पणी करना संभव नहीं है।
- एक रेलवे लाइन ऐसे क्षेत्र से गुजरती है, जहां अभयारण्य होने के कारण वन्य हाथियों की काफी आवाजाही है, और वहां रेल लाइन होने के कारण ऐसे हाथियों के जीवन को खतरा है। इस स्थिति में, आपके अनुसार इस समस्या का सर्वोत्तम समाधान क्या हो सकता है?
- इस क्षेत्र में गाडियों की गति को धीमी रखना, ताकि धीमी गति के कारण इस पर अधिक नियंत्रण रखना संभव होगा।
- कुछ हाथी प्रशिक्षकों को शामिल करना, जो हाथियों को इस प्रकार के खतरों के बारे में प्रशिक्षित कर सकें।
- रेल यातायात को प्रतिबंधित करना और विकल्प के रूप में सडक परिवहन की व्यवस्था करना।
- क्षेत्र के रेल मार्ग पर पर्याप्त मात्रा में पुलिस और अर्ध सैनिक बलों की तैनाती करना, ताकि ऐसी घटनाओं को नियंत्रित किया जा सके।
- एक शैक्षणिक संस्थान परीक्षा की तिथियां अग्रिम में ही निर्धारित कर देता है। बाद में, निर्वाचन आयोग लोक सभा चुनावों की तिथियाँ घोषित करता है। कुछ परीक्षाओं की तिथियाँ लोक सभा चुनाव की तिथियों के दिन ही पडती हैं। इस स्थिति में सर्वोत्तम मार्ग क्या होना चाहिए?
- सभी परीक्षाओं की तिथियाँ स्थगित कर देना, ताकि सभी परीक्षाएं चुनाव के पश्चात ही शुरू हों।
- चुनाव की तिथियाँ स्थगित करना, ताकि परीक्षाएं सुचारू रूप से संपन्न हो सकें, क्योंकि छात्रों का भविष्य अधिक महत्वपूर्ण है।
- परीक्षा तिथियों को पूर्वित करना, ताकि चुनाव शुरू होने से पहले ही परीक्षाएं संपन्न हो जाएं।
- उन परीक्षाओं को स्थगित करना, जिनकी तिथियाँ चुनाव तिथियों से टकरा रही हैं।
- हाल के दिनों में, कुछ निजी उद्योगों के कर्मचारी हिंसा, संपत्ति को नुकसान पहुँचाने और यहां तक कि वरिष्ठ व्यवस्थापन के पदाधिकारियों की हत्या करने जैसी गतिविधियों में लिप्त पाये गए हैं। इस समस्या का उपयुक्त समाधान क्या हो सकता है?
- उनके प्रति उदार रवैया अपनाया जाय, ताकि उन्हें सुधरने का अवसर प्राप्त हो सके।
- उनके विरुद्ध कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाय, किंतु श्रमिकों की शिकायतों के निवारण के लिए उन्हें उचित अवसर भी प्रदान किया जाय।
- ऐसे उद्योगों को बंद कर दिया जाय, जहां ऐसी घटनाएं होती हैं, या होने की संभावना है।
- उद्योगों के व्यवस्थापन पर इस बात के लिए उत्तरदायित्व तय किया जाय, की उसने स्थिति को बिगडने की अनुमति ही क्यों दी।
- एक निजी उद्योग के व्यवस्थापन को राज्य सरकार से एक आदेश प्राप्त होता है, और साथ ही उच्च न्यायालय से इस आदेश के ठीक विपरीत आदेश प्राप्त होता है ऐसी स्थिति में व्यवस्थापन की कार्य दिशा क्या होनी चाहिए?
- राज्य सरकार के आदेश का पालन किया जाये, और उच्च न्यायालय के आदेश को लंबित रखा जाये।
- उच्च न्यायालय के आदेश का पालन किया जाये, और राज्य सरकार के आदेश को लंबित रखा जाये।
- राज्य शासन के आदेश का पालन किया जाये और राज्य शासन के इस आदेश के बारे में उच्च न्यायालय को सूचित रखा जाये।
- उच्च न्यायालय के आदेश का पालन किया जाये, और उच्च न्यायालय के इस आदेश के बारे में राज्य शासन को सूचित रखा जाये।
- एक व्यक्ति एक राज्य निगम की (भारत सरकार के अंतर्गत) वेबसाइट देखता है, जिसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी को निलंबित किया गया है, और उन्हें नौकरी से बर्खास्त करने का मामला लंबित है, किंतु वेबसाइट अभी भी उन्हें मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में दर्शा रही है। इस व्यक्ति के लिए इस गलती को सुधरवाने के लिए सही मार्ग क्या हो सकता है?
- वह इस जानकारी को उसी मुख्य कार्यकारी अधिकारी के संज्ञान में लाये जिसके विरुद्ध कार्रवाई की गई है या की जाने वाली है, और फिर भी यदि मामला सुलझाया नहीं गया, तो इसकी जानकारी केंद्रीय सूचना आयोग को दी जानी चाहिए।
- इस जानकारी को संबंधित जन सूचना अधिकारी के संज्ञान में लाया जाना चाहिए, और फिर भी यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो उसे प्रथम अपीलीय प्राधिकरण के पास जाना चाहिए और उसके बाद केंद्रीय सूचना आयोग के पास जाना चाहिए।
- इस जानकारी को संबंधित जन सूचना अधिकारी के संज्ञान में लाया जाना चाहिए, और फिर भी यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो उसे केंद्रीय सूचना आयोग के पास जाना चाहिए, और उसके बाद भारत के राष्ट्रपति के पास जाना चाहिए।
- उसे भारतीय प्रेस परिषद् को चिट्ठी लिख कर मामले पर उचित कार्रवाई के लिए जानकारी प्रस्तुत करना चाहिए।
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